Home पोल खोल दवाओं के बिना मौत का जिम्मेदार कौन- बताएगी केजरीवाल सरकार?

दवाओं के बिना मौत का जिम्मेदार कौन- बताएगी केजरीवाल सरकार?

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समय पर इलाज के लिए दवाओं और सुविधाओं के न मिलने से जब किसी परिवार के सदस्य की मौत होती है, तो क्या इससे बड़ा कोई आपराधिक कृत्य हो सकता है। शायद, नहीं। तो, आये दिन दिल्ली के अस्पतालों में दवाओं और सुविधाओ की कमी से, रिकार्ड में दर्ज न होने वाली, मौतों का जिम्मेदार कौन है?

धन कमाने की मंशा 

मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन जिम्मेदार हैं, क्योंकि दिल्ली की जनता ने उन्हें दवाएं और अस्पतालों में सुविधा देने के लिए सत्ता की कुर्सी पर बैठाया है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री की मंशा ही जब यह हो कि अधिक से अधिक धन कैसे इकठ्ठा किया जाए, तो दिल्ली की जनता के स्वास्थ्य का ध्यान उन्हें कैसे हो सकता है।

मुख्यमंत्री केजरीवाल, जो पूरे सिस्टम को बदल देने की ख्वाहिश रखते हैं और इसी बदलाव के आंदोलन से दिल्ली राज्य की सत्ता पर काबिज हुए। वह अपने स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन के भ्रष्टाचार करने की आदत में तो कोई बदलाव नहीं ला सके, अलबत्ता उन्हें पाल पोसकर, भ्रष्टाचार के अपराध में शामिल हो गये।

गरीब की दवाई का पैसा खाया

सिस्टम को बदलने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 19 जुलाई 2015 को दिल्ली के पीरागढ़ी में मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की। इसके जरिए जनता को घर के करीब सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं और अन्य सुविधाएं देने की आदर्श कल्पना थी। 

लेकिन इस आदर्श कल्पना की पोल तब खुली जब 1 जून 2017 को दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने ताहिरपुर, जनकपुरी व रघुवीर नगर स्थित सेंटर प्रोक्योरमेंट एजेंसी के तीन गोदामों पर छापेमारी की और यहां से भारी मात्र में एक्सपाइरी मेडिसिन के साथ दवाओं की खरीद-फरोख्त के बिल जब्त किए।

मोहल्ला क्लीनिकों और अस्पतालों में दवाईयों एवं अन्य सामान  खरीदने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन के कहने पर मेडिकल सुपरिन्टेंडेन्ट से छीनकर, सेन्ट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को दे दिया। यह एजेंसी स्वास्थ्य मंत्री के विभाग के अधीन काम करती है। मंत्री के कहने पर इस एजेंसी ने लगभग 300 करोड़ रुपयों की एक्सपाइयरी दवाओं से  ताहिरपुर, जनकपुरी व रघुवीर नगर के गोदामों को भर दिया।

कई और कारनामे

यह आप पार्टी के खर्च को चलाने के लिए की गई पहली या आखिरी गलती नहीं थी बल्कि मंत्री संतेन्द्र जैन के भ्रष्टाचार के ऐसे ही कई और कारनामे हैं जिनसे साबित होता है कि उनके डीएनए में ही भ्रष्टाचार है। इनमें से कई मामलों में सीबीआई उनको अपने दफ्तर में बैठाकर घंटों पूछताछ कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग में परिवार वालों की नियुक्ति- जनता को स्वास्थ्य की अच्छी सुविधाएं देने से अधिक मंशा स्वास्थ्य विभाग का अपने लिए इस्तेमाल करने की थी। सतेन्द्र जैन ने अपनी बेटी को मोहल्ला क्लीनिक परियोजना की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप दी क्योंकि उनके पास हास्पिटल मैनेजमेंट की डिग्री थी। मंत्री जी के कदम यहीं नहीं रुकते हैं, उन्होंने केजरीवाल के रिश्तेदार डा. निकुंज अग्रवाल, को जो सरकारी डाक्टर नहीं थे उन्हें स्वास्थय विभाग का ओएसडी बना दिया।

16 करोड़ रुपये का हवाला

सतेन्द्र जैन एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें गलत तरीकों से धन कमाने और पचाने के गुर पता हैं। ऐसे काम करने की आदत उन्हें केजरीवाल की आप पार्टी में आने से पहले ही थी। इनकम टैक्स विभाग से सीबीआई को मिली जानकारी के अनुसार 2010-12 के दौरान सतेन्द्र जैन ने 11.78 करोड़ नगद रुपये कोलकत्ता के दो एंट्री आपरेटर्स- जिवेन्द्र मिश्रा और राजेन्द्र बंसल—के पास अपने कंपनी के कर्मचारियों के हाथों भेजा। इन दोनों एंट्री आपरेटरर्स ने इसी रुपये के बदले सतेन्द्र जैन की कंपनियों-प्रयास इंफोसोल्यूसंस, अकिंचनद डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और मंगलायतन प्राजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड—के दस रुपये के शेयर को 590 रुपये में खरीद कर सतेन्द्र जैन के काले धन को सफेद कर दिया। इसी तरह मंत्री बनने के बाद 2015-16 में 4.63 करोड़ नगद रुपये, एक बार फिर कोलकत्ता इन एंट्री आपरेटरर्स के पास भेजा, जिन्होंने  संतेन्द्र जैन की कंपनियों के शेयर खरीद कर काले धन को सफेद कर दिया।

मंत्री सतेन्द्र जैन के इसी काम को हवाला कहा जाता है। हवाला से मिले धन से मंत्री महोदय ने दिल्ली में अपनी कंपनियों के नाम पर पांच प्रापर्टी खरीद ली। आज कल ये प्रोपर्टी बेनामी संपत्ति कानून के तहत अटैच है।

केजरीवाल ईमानदार व्यक्तियों का साथ नहीं ले सके

आदर्श कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए जिन ईमानदार व्यक्तियों के साथ साथ धन और सत्ता का त्याग चाहिए, वह केजरीवाल में नहीं दिखाई देता। इसलिए उनके साथ काम करने वाले स्वास्थ्य मंत्री घोटाला करते रहे और वह समझौता करते रहे। अंततोगत्वा, केजरीवाल व्यक्ति के रुप में यही साबित करते हैं कि उनकी कथनी और करनी में  एक लंबी खाई है, जिसे वह अपने अहंकार के कारण नजरदांज करके, उसे आरोपों की गंदी राजनीति से छुपाना चाहते हैं, लेकिन ये ‘ पब्लिक सब जानती है’।     

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