Home केजरीवाल विशेष भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे केजरीवाल से छिनेगा रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड ?

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे केजरीवाल से छिनेगा रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड ?

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दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की परेशानी और बढ़ गई है। कभी उनके खासम-खास रहे एक पुराने सहयोगी ने ही उनसे रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड छीन लेने की मांग की है। ये मांग केजरीवाल के एक पुराने साथी सुनील लाल ने की है। वहीं दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार के अस्पतालों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। बड़ी बात ये है कि इन अस्पतालों की देख-रेख की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की है, जिनके खिलाफ कई घोटालों की जांच चल रही है। यानि जिस भ्रष्टाचार को मिटाने का संकल्प लेकर दिल्ली की जनता ने विवादित केजरीवाल को सीएम बनाया, वही भ्रष्टाचार अब दिल्ली को दीमक की तरह चाट रहा है। ऊपर से दुनियाभर में बदनामी अलग हो रही है।

केजरीवाल के मैग्सेसे अवॉर्ड पर संकट
हिंदी समाचार पोर्टल जागरण के अनुसार आम आदमी पार्टी के एक पूर्व नेता सुनील लाल ने 2006 में अरविंद केजरीवाल को दिए गए रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इसके लिए रोम की मैग्सेसे फाउंडेशन को एक पत्र लिखकर इसे वापस लिए जाने का आग्रह किया है। दरअसल दिल्ली के विवादित सीएम को जब ये अवॉर्ड दिया गया था, तब सूचना के अधिकार को लागू कराने में उनकी भूमिका अहम मानी गई थी। यही नहीं तब उन्होंने भ्रष्टाचार के विरोध में अपना एक मुखर व्यक्तित्व पेश करने का भी ढोंग किया था। लेकिन, दो दशक बाद केजरीवाल की सच्चाई दुनिया जान चुकी है। सबको पता चल चुका है कि उनका पूरा व्यक्तित्व ही भ्रष्टाचार, घोटाले, स्वार्थ सिद्धि और झूठ-फरेब पर टिका है। शायद यही बात सुनील लाल ने अपने पत्र के माध्यम से मैग्सेसे फाउंडेशन तक भी पहुंचाने की कोशिश की है। ये पुरस्कार जनता की साहसपूर्वक सेवा, लोकतांत्रिक समाज में व्यावहारिक आदर्शवादिता और स्वच्छ चरित्र के व्यक्तित्व को दिया जाता है। सबसे बड़ा सवाल है कि, क्या आज केजरीवाल इनमें से किसी एक भी कसौटी पर खरे उतर पाएंगे ?

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी सरकार, स्वास्थ्य सेवाओं को किया बदहाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिल्ली छोड़कर बाकी पूरी दुनिया की चिंता है। शायद यही वजह है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों की स्थिति बेहद दयनीय बनाकर छोड़ी है। आजतक न्यूज पोर्टल की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 50 प्रतिशत दवाइयां उपलब्ध ही नहीं हैं। मरीजों को एक-एक दवा के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। अब कोई खुद ही अंदाजा लगा सकता है कि जिस विभाग में दिल्ली सरकार जबर्दस्त तरीके से काम होने का दावा करती रही है अगर उसमें ये हाल है, तो बाकी के बारे में तो सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जब स्वास्थ्य विभाग के करतूतों के बारे में सीएम को पता चला तो वो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से हिसाब लेने के बजाय सीधे मुख्य सचिव पर भड़क गए। यहां ये बता देना बहुत जरूरी है कि सत्येंद्र जैन पर घोटाले और भ्रष्टाचार के गंभीर मामले दर्ज हैं। लेकिन सीएम को उनसे सवाल तक पूछने की हिम्मत नहीं है। क्योंकि केजरीवाल के पुराने साथियों के आरोपों के अनुसार आम आदमी पार्टी का हवाला कारोबार सत्येंद्र जैन के माध्यम से ही फलता-फूलता रहा है।

केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप:

केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप-
करीब ढाई साल पुराने अरविंद केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार का ये सबसे गंभीर आरोप है। जो आदमी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को भुनाकर मुख्यमंत्री बना उसके अपने ही कैबिनेट सहयोगी ने 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। सबसे बड़ी बात ये है कि कपिल मिश्रा ने केजरीवाल से जिस व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है, वो उन्हीं की सरकार में सीएम के चहते मंत्री सत्येंद्र जैन हैं। कपिल मिश्रा के आरोपों में कितना दम है ये तो जांच के बाद पता चलेगा। लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे ईमानदारी का चोला ओढ़े केजरीवाल की कलई खुल जाती है। जैसे इतने गंभीर आरोप पर न तो उन्होंने सफाई देने की जरूरत समझी है और न ही कपिल मिश्रा के विरोध में किसी कानूनी कार्रवाई की ही बात कही है।

हवाला के जरिए पैसे जुटाने का आरोप

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा दावा कर चुके हैं कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने फर्जी कंपनी बनाकर हवाला के जरिए पैसा जुटाया है। वो कह चुके हैं कि मोहल्ला क्लीनिक बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने इसके संबंध में दस्तावेज होने के भी दावे दिए हैं। यही नहीं कपिल मिश्रा ने पार्टी के नेताओं के विदेश यात्राओं की फंडिंग को लेकर भी सवाल उठाए हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि केजरीवाल ने अबतक सार्वजनिक रूप से कपिल मिश्रा के एक भी सवाल का जवाब देने की हिम्मत नहीं दिखाई है।

स्वास्थ्य मंत्री का घोटाला छिपाया !
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। उनपर पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपए मंगाने का आरोप है। इन मामलों में उनकी सघन जांच हो रही है। इसके अलावा जैन पर अपनी ही बेटी को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाने का भी आरोप है। इस केस की जांच भी सीबीआई के जिम्मे है। शुंगलू कमेटी ने भी इस मामले में दिल्ली सरकार पर उंगली उठाई है। यहां ये बताना आवश्यक है कि कपिल मिश्रा ने इन्हीं पर केजरीवाल को पैसे देने के आरोप लगाए हैं। मिश्रा के अनुसार जैन ने अपनी करतूतों पर पर्दा डाले रखने के लिए केजरीवाल के किसी रिश्तेदार की 50 करोड़ रुपये की डील भी कराई है।

विज्ञापन घोटाला
केजरीवाल पर विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी आरोप है। इसके लिए उनकी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूले भी जाने हैं। जांच में पाया गया है कि सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से केजरीवाल ने अपनी और अपनी पार्टी का चेहरा चमकाने की कोशिश की है। इनमें से उनकी पार्टी की ओर से दिए गए कई झूठे और बेबुनियाद विज्ञापन भी शामिल हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भी केजरीवाल सरकार पर दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली की जनता के खजाने पर डाका डालने का आरोप है। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल सरकार ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। 2015-16 में केजरीवाल ने जनता के 522 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर किए थे।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला-
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार सिसोदिया ने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।

रिश्तेदार के साथ मिलकर घोटाला
दिल्ली के विवादास्पद सीएम केजरीवाल, उनके रिश्तेदार सुरेन्द्र कुमार बंसल और पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच हो रही है। इस केस में शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री के रिश्तेदार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और उसके लिए जाली बिल बनाकर सरकारी खजाना लूटने का आरोप है।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने का घोटाला
केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में पिछले साल एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

स्ट्रीट लाइट घोटाला
आम आदमी पार्टी नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार उन्होंने मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरों पर सरकार के 6 लाख रुपये उड़ा दिए। जब आम आदमी पार्टी में केजरीवाल की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है तो फिर राखी पर लगे आरोपों की सही जांच होने देने से किसने रोका है ?

संविधान को ताक पर रखकर बांटी रेवड़ियां
13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए भी कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को लालबत्ती वाली गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा। अब उन विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग की तलवार लटकी हुई है।

सबसे बड़ी बात है कि केजरीवाल सत्ता मिलते ही शीला दीक्षित को जेल भेजने का दंभ भरते थे। वो उनके खिलाफ हजारों पन्नों का दस्तावेज भी रखने का दावा करते थे। लेकिन सत्ता में आते ही सारे सबूत और सारे आरोप हवा हो गए। अब जब उनपर कपिल मिश्रा ने आरोप लगाए हैं तो उसका जवाब नहीं दे पा रहे। अगर कपिल झूठ बोल रहे हैं तो उनपर मुकदमा क्यों नहीं करते ? सत्येंद्र जैन को बचाने की कौन सी मजबूरी है? जैन उनका कौन सा राज जानते हैं ? आरोप सारे गंभीर हैं। अब बड़ा सवाल है कि मैग्सेसे फाउंडेशन केजरीवाल के ही एक पुराने सहयोगी की मांग का क्या करता है ?

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