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मोदी सरकार की कश्मीर नीति: पत्थरबाजी में आयी 90 प्रतिशत कमी

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नरेंद्र मोदी सरकार की सख्त नीतियों के चलते कश्मीर में आतंकवादियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। केंद्र सरकार की सख्ती के कारण कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में ना सिर्फ 90 प्रतिशत तक की कमी आई है बल्कि कई ऐसे हफ्ते भी रहे हैं जिनमें पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं हुई है, जबकि पहले ऐसी 50 से भी ज्यादा घटनाएं सामने आती थीं।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पत्थरबाजी की घटनाओं में (कश्मीर में) ना सिर्फ 90% तक की कमी आई है बल्कि कई ऐसे हफ्ते भी रहे हैं जिनमें पत्थरबाजी की एक भी घटना नहीं सामने आई। इससे यह साबित होता है पत्थरबाज किराये पर लाये जाते थे और इसमें नोटों (currency) का इस्तेमाल होता था।

सरकार की सख्ती के कारण आतंकियों के हौसले पस्त हैं और उनके पांव उखड़ रहे हैं। अधिकतर आतंकी या तो अंडरग्राउंड हो चुके हैं या फिर आतंक का रास्ता छोड़ कहीं छिप गए हैं।

एक-एक कर मारे जा रहे बड़े आतंकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकियों के विरुद्ध अपनाई गई सख्ती का परिणाम है कि आतंकी गुट आपस में ही सिर फुटव्वल कर रहे हैं। आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई के तहत बीते चंद महीनों में 148 आतंकी मारे जा चुके हैं। इन आतंकियों में से 17 लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और अल-बद्र के टॉप कमांडर थे।

कुख्यात आतंकियों का खात्मा
पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद हाल में जो आतंकी मारे गए हैं उनमें ए++ कैटेगरी का पाकिस्तानी आतंकी अबु दुजाना लश्करे तैयबा का साउथ कश्मीर का डिवीजनल कमांडर था। सबजार अहमद बट्ट हिजबुल-मुजाहिदीन का कमांडर था। जुनैद लश्कर का कमांडर था। यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ हिजबुल मुजाहिदीन के एक टॉप कमांडर था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ मारे गए हैं। ये सब सुरक्षा बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में थे।

ढेर हुए आतंकी के लिए चित्र परिणाम

मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची-

  • बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
  • बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
  • सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
  • जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
  • सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
  • आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
  • अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
  • तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
  • यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबू इस्माइल, लश्कर ए तैयबा

इंटेलिजेंस इनपुट सुधार से मिल रही सफलता
दरअसल कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों और स्थानीय गिरोहों के बीच टकराव पैदा हो गया है। विदेशी और स्थानीय आतंकी गिरोहों के बीच टकराव होने के कारण सुरक्षा बलों को गोपनीय सूचनाएं मिलती हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा बल कार्रवाई करते हैं। दुजाना और लश्करी जैसे आतंकियों के मारे जाने से यह साफ है कि स्थानीय लोगों से लश्कर और जैश से जुड़े विदेशी आतंकियों से जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट्स ज्यादा बेहतर ढंग से मिल रहे हैं।

आतंकियों पर रहम नहीं की नीति पर अमल
सरकार कश्मीर को लेकर मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही है। आतंकी सरेंडर करने से इनकार करते हैं तो उन्हें खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सुरक्षाबल एनकाउंटर वाली जगहों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शनों से बेअसर रहते हैं। इसके साथ ही टेरर फंडिंग से जुड़े हुर्रियत अलगाववादियों पर एक्शन हो रहा है। इसके साथ ही स्थानीय नागरिकों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है ताकि वे लोग खुद को पीड़ित या हाशिये पर न महसूस करें।

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बॉर्डर पर सेना को कार्रवाई की मिली छूट
पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सेना हर कदम पर कुछ ठोस कर रही है। जुलाई महीने के दौरान घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया था। दरअसल ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। सीमा पर पाकिस्तान के नापक मंसूबों को नाकाम किया जा रहा है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने साफ संदेश दे दिया था कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।

‘खोजो और मारो’ का अभियान
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नयी नीति बनाई गई है। सरकार की इस नयी नीति से आतंक के खिलाफ केंद्र सरकार के कठोर संकल्प का पता चलता है। ‘खोजो और मारो’ अभियान के साथ ही साथ दूसरी रणनीति भी शुरू हो चुकी है, ये रणनीति है आबादी में ‘घेरो, जंगल में मारो’।

कश्मीर में अब भाग रहे हैं आतंकी, NIA की कार्रवाई के बाद कामयाबी: जेटली, national news in hindi, national news

जान बचाने को फिक्रमंद हैं आतंकी
सुरक्षा बलों की सतर्कता और मोदी सरकार की आतंकमुक्त कश्मीर नीति की वजह से आतंकवादी अब जान बचाने की फिक्र में हैं। सुरक्षा बलों की कार्रवाई से डरकर आतंकी भाग रहे हैं। सेना के एक्शन के कारण एक तो नये आतंकवादियों की भर्ती नहीं पा रही है ऊपर से हाल ये है कि जितनी भर्ती होते हैं उससे दोगुने आतंकवादियों को ढेर कर दिया जा रहा है। राज्य में अलगाववादी अब अपनी गतिविधियों के लिए विदेशी घुसपैठियों पर अधिक निर्भर रह रहे हैं।

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आतंकियों से स्थानीय लोगों का मोहभंग
सुरक्षा बलों ने विशेष मास्टर प्लान तैयार किया है जिसके तहत टॉप आतंकी कमांडरों को लगातार ढेर किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन आतंकियों द्वारा स्थानीय महिलाओं के संबंधों का खुलासा होने से लोगों का विदेशी आतंकियों से मोहभंग हुआ है। दरअसल आतंकियों की नजर स्थानीय युवतियों पर होती है जो लोगों को नागवार गुजर रहा है।

 

 

जिहाद के नाम पर लोगों का समर्थन नहीं
पुलिस ऑफिसर अयूब पंडित की Lynching के बाद स्थानीय लोगों में आतंकियों के विरुद्ध आक्रोश भड़क गया है। स्थानीय लोगों के समर्थन से अब ऐसा माहौल तैयार हो गया है कि आतंकी अपनी जान बचाने की फिक्र कर रहे हैं। दूसरी तरफ स्थानीय युवकों को जिहाद के नाम पर भड़का नहीं पा रहे हैं। इससे आतंकी संगठनों में हताशा और निराशा का माहौल पैदा होता है।

कश्मीर में मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची के लिए चित्र परिणाम

कश्मीरियों को गले लगाने के लिए मोदी सरकार ने की पहल
कांग्रेस की सरकारों ने कश्मीर को एक समस्या बनाकर रखा था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की कमान संभालने के पहले दिन से ही कश्मीर की समस्या को संजीदगी से देखा है और इसके स्थायी समाधान की तरफ कदम बढ़ा रही है। ”गाली और गोली से नहीं, गले लगाने से कश्मीर समस्या हल होगी”… 15 अगस्त, 2017 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कही गई इस बात ने संकेत दे दिये थे कि कश्मीर में अब बातचीत की पहल जल्द शुरू होने वाली है। दरअसल ऑपरेशन ऑल आउट की सफलता और अलगाववादियों पर नकेल के बाद अब वक्त है कि कश्मीर के लोगों में विश्वास बहाली की पहल हो। 

बातचीत से निकलेगा हल
मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में बातचीत की पहल को आगे बढ़ाएंगे पूर्व IB चीफ दिनेश्वर शर्मा। उन्होंने साफ कहा है कि जो भी इस देश का नागरिक है जो भी स्टेकहोल्डर है, जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर उन सभी से बातचीत की जाएगी। वे जल्दी ही जम्मू कश्मीर जाएंगे और उन लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरू करेंगे। दरअसल मोदी सरकार की कोशिश है कि कश्मीर में विकास के रास्ते खुले, विकास हो और कश्मीर के नौजवानों को रोजगार मिले और जो नौजवान भटका हुआ है वह सही रास्ते पर आए। बिहार के गया जिले के रहने वाले और केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश्वर शर्मा जब एनएसए अजीत डोभाल आईबी में डायरेक्टर थे, उसी दौरान कश्मीर का काम देखते थे और कश्मीर के कई आतंकी ऑपरेशन को उस दौरान अंजाम दिया था।

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अलगाववादियों पर कसी गई नकेल
कांग्रेस की सरकारों ने जिन अलगाववादियों को पाल रखा था मोदी सरकार में उनके दिन लद गए हैं। सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक और उमर वाइज फारुख जैसे अलगाववादी नेताओं पर एनआइए की कार्रवाई ने बहुत हद तक कश्मीर में अमन लाया है। पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह बंद हो गई हैं और इन अलगावादी नेताओं को भी समझ में आने लगा है कि कश्मीर को भारत से अलग करना नामुमकिन है। लिहाजा ये भी अब कश्मीरियत और जम्हूरियत की जुबान बोलने लगे हैं। बीते अगस्त में एक वीडियो भी आया था जिसमें उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे का हल इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के दायरे में रहकर ही हल किया जा सकता है।

टेरर फंडिग से अलगावादी कनेक्शन
सैयद अली शाह गिलानी के इस हृदय परिवर्तन का कारण मोदी सरकार की वो कठोर नीति है जो भारत से कश्मीर को अलग करने का ख्वाब देखने वालों पर शिकंजा कसता है। दरअसल आतंकवादियों को पाकिस्तान से होने वाली फंडिंग के मामले में गिलानी और उनके रिश्तेदारों पर मोदी सरकार ने शिकंजा कस रखा है। गिलानी का दामाद अल्ताफ फंटूश समेत 5 दूसरे लोग हिरासत में हैं और गिलानी के दोनों बेटों से लगातार पूछताछ चल रही है। एक अनुमान के अनुसार कश्मीर में देश विरोध गतिविधियों के माध्यम से गिलानी परिवार ने सैकड़ों करोड़ की अवैध संपत्ति बना रखी है।

पाकिस्तान पड़ा अलग-थलग
कहावत है जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उसे टेढ़ी करनी पड़ती है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे उंगली टेढ़ी करनी शुरू की है, तब से पाकिस्तान सीधी राह चलने लगा है। पीएम मोदी की पहल पर एक तरफ अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने पर लताड़ लगाई तो ब्रिक्स देशों ने भी पाकिस्तान को साफ कर दिया कि वह अपने यहां पल रहे आतंकियों पर कार्रवाई करे। नतीजा हुआ कि अब तक डिनायल मोड में चल रहे पाकिस्तान ने मान लिया है कि उसकी जमीन से लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन संचालित हो रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो पाक सेना भी मानने लगी है कि पाक में आतंकी जिहाद नहीं, फसाद फैला रहे हैं। भारत को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली जब प्रधानमंत्री मोदी के दबावों के चलते ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया।

सलाउद्दीन पर लगा प्रतिबंध
प्रधानमंत्री मोदी के दबाव के कारण अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में इनको ट्रेनिंग मिलती हैं और यहां से ही इन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग हो रही है। 26 जून को अमेरिका ने हिजबुल सरगना सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया तो साफ हो गया कि आतंक के मामले पर अमेरिका अब भाारत के साथ पूरी तरह खुलकर खड़ा है। दरअसल सलाउद्दीन का जम्मू-कश्मीर में कई हमलों के पीछे उसका हाथ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे अभियान की यह एक बड़ी सफलता है।

हिजबुल मुजाहिदीन पर बैन
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका ने 16 अगस्त, 2017 को हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन करार दे दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इसे आतंकवादी हमले करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलेगा, अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इससे संबद्धता रखने पर प्रतिबंधित होगा। अमेरिका ने यह भी कहा कि हिजबुल कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका इससे पहले लश्कर के मुखौटा संगठन जमात उद दावा और संसद हमले में शामिल जैश ए मोहम्मद पर पाबंदी लगा चुका है।

स्थानीय लोगों का बढ़ा भरोसा
भारतीय सेना के बारे में भले ही जो भी छवि गढ़ने की कुत्सित कोशिश की जाती रही हो, लेकिन जमीन पर हालात अलग है। कश्मीर के ज्यादातर लोगों को सेना पसंद हैं, उनके काम पसंद हैं और स्थानीय लोगों से उनका जुड़ाव पसंद है। सेना भी कश्मीरियों का भला करने में पीछे नहीं रहती है। आर्मी गुडविल स्कूल के तहत जरूरतमंदों को शिक्षा मुहैया करना हो या फिर सुपर-40 के जरिये प्रतिभाओं को नई धार देने की कोशिश, सब में सेना बढ़-चढ़ कर शामिल रहती है। सेना में युवाओं के भर्ती अभियान को भारी सफलता मिल रही है। कश्मीर में लड़कियां खेल रही हैं क्रिकेट और फुटबॉल। कट्टरपंथियों को कश्मीर से युवा जवाब दे रहे हैं और मुख्यधारा से जुड़ने को बेताब हैं।

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