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…तो क्या कांग्रेस का नाश करने के लिए ‘हिमालय के तपस्वी’ संसद में पहुंच चुके हैं!

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”मैं कांग्रेस को श्राप देता हूं कि एक दिन हिमालय में तपस्या कर रहा एक साधु आधुनिक वेशभूषा में इसी संसद को कब्जा करेगा और कांग्रेसी विचारधारा को नष्ट कर देगा। यह एक सच्चे औऱ असली ब्राह्मण का श्राप है।”

7 नवंबर, 1966 के गोहत्या बंदी Andolan में संसद के सामने रोते और साधुओं की लाशें उठाते हुए करपात्री जी महाराज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यही श्राप दिया था।

हाल में ही सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हो रहा है। इसके अनुसार 7 नवंबर 1966 को इंदिरा गांधी ने गोवंश की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे 250 संतों को मरवा डाला था।

कारण यह था कि करपात्री महाराज के आशीर्वाद से इंदिरा गांधी ने शास्त्री जी के निधन के बाद चुनाव जीता था। उन्होंने वादा किया था कि वह गो-हत्या पर पाबंदी लगा देंगी, परन्तु चुनाव जीतने के बाद भूल गईं।

करपात्री जी महाराज का धैर्य टूट गया और वह लाखों संतों के साथ संसद भवन का घेराव करने पहुंच गए। इंदिरा गांधी से वादा पूरा करने की मांग को लेकर जब संत समाज ने प्रदर्शन किया तो उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में मांग अनसुनी कर दी और साधुओं पर गोलियां चलवा दीं। इसमें सैकड़ों संतों के हताहत होने की खबर है।

इस नरसंहार से आहत करपात्री जी माहाराज ने उन्हें श्राप दिया की जिस तरह तुमने गौ सेवकों पर गोलियां चलवाई है उसी तरह तुम मारी जाओगी।

यह संयोग है या श्राप का फलीभूत होना – जिस दिन इंदिरा गांधी ने गोलियां चलवाई थीं उस दिन गोपाष्टमी थी, और जिस दिन इंदिरा गांधी को गोली मारी गई उस दिन भी गोपाष्टमी थी। कहा जाता है कि करपात्री जी महाराज का श्राप फलित हुआ…

वायरल मैसेज के अनुसार करपात्री जी महाराज ने यह भी कहा था कि एक दिन इस देश से कांग्रेस की विचारधारा भी समाप्त हो जाएगी।

…पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणामों में दो राज्यों, त्रिपुरा और नागालैंड में कांग्रेस को एक भी सीटें नहीं मिलीं। मेघालय में भी वह सरकार बनाने में नाकाम रही। हार दर हार के बाद कांग्रेस अब महज तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सिमट गई है… एक वक्त देश के 100 प्रतिशत भू-भाग पर राज करने वाली कांग्रेस महज 7 प्रतिशत तक सिमट गई है… स्पष्ट है कि कांग्रेस का अस्तित्व खत्म होने की ओर अग्रसर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन वर्षों तक अपना जीवन हिमालय में बिताया है, कहा तो जाता है कि उन्होंने हिमालय पर तपस्या भी की थी। यह भी सत्य है कि वे आधुनिक विचारों के हैं और साथ संसद के सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं… उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत का आह्वान भी किया है… तो क्या करपात्री जी महाराज की दूसरी भविष्यवाणी भी सत्य साबित होने वाली है…….???

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