पत्रकारिता का धर्म होता है कि जनता को बिना पक्षपात के सत्य से अवगत कराए, लेकिन जब पत्रकार अपने पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर पत्रकारिता करता है, तो एक कुत्सित एजेंडा स्वरुप लेता है, जिसे आज देश में कई पत्रकार चला रहे हैं। इन पत्रकारों का एक ही मसूंबा है कि बहुमत से चुने हुए प्रधानमंत्री मोदी के लिए हर उस मौके को न छोड़ा जाए, जहां उनकी व्यक्तिगत छवि को नकारात्मक रुप से पेश किया जा सकता है। ABP न्यूज चैनल के पत्रकार जावेद मंसूरी के भी ऐसे ही मसूंबे हैं। जावेद मंसूरी की एजेंडा पत्रकारिता देश के विकास के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में एक रोड़े का काम कर रही है। ये पत्रकार, एजेंडा पत्रकारिता को व्यक्तिगत रूप से अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं, जबकि लोग ऐसे पत्रकार और पत्रकारिता को स्वीकार नहीं करते हैं। आइये, आपको बताते हैं कि जावेद मंसूरी की नफरत के एजेंडा की पत्रकारिता कैसी है-
नफरत की पत्रकारिता-1
जावेद मंसूरी जैसे एजेंडा पत्रकारों के लिए गुजरात चुनाव ऐसा मौका रहा, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की हार को सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, क्योंकि गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी की हार इनके लिए सबसे बड़ी विजय होती, लेकिन ऐसा न हो सका। गुजरात चुनाव के दूसरे व अंतिम चरण के मतदान के दो दिन पहले, 11 दिसंबर को जावेद मंसूरी ने Facebook पर गुजराती थाली की एक तस्वीर पोस्ट की और उसे गुजरात चुनाव से जोड़ते हुए एक कुतर्क लिखा।
नफरत की पत्रकारिता-2
8 दिसंबर, को प्रधानमंत्री मोदी पर सीधे हिंसा को उकसाने का आरोप लगाते हुए Facebook के Post पर लिखा “भारत गणराज्य का पीएम चुनावी फायदे के लिए मंच से कहता है कि कांग्रेस राम मंदिर बनाने में रोड़े डाल रही है। कल कोई सिरफिरा इसे गंभीरता से लेकर किसी कार्यकर्ता को जंगल में ले जाकर काट डालेगा।“
नफरत की पत्रकारिता-3
09 दिसंबर को Times Of India के Tweet “You want mandir or masjid, PM @narendramodi asks Congress” पर Facebook के post पर प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, व्यंग्य में नकारात्मक टिप्पणी करते हुए जावेद मंसूरी ने लिखा-
नफरत की पत्रकारिता-4
जावेद मंसूरी ने 11 दिसंबर को Facebook के Post में जो कुछ लिखा उससे साफ होता है कि जावेद ने प्रधानमंत्री मोदी के विरोध के लिए अपने एजेंडे पर पीएम मोदी के खिलाफ नफरत फैलाने का बीड़ा उठा रखा है।
नफरत की पत्रकारिता-5
जावेद मंसूरी ने 08 दिसंबर को ABP न्यूज पर रात दस बजे गुजरात विकास के मॉडल पर दिखाई जाने वाली अपनी रिपोर्ट के बारे में Facebook Post पर एक तस्वीर लगाई, जिसमें खुद ABP न्यूज का माइक लेकर एक गड्डे में खड़े हैं और लिखा “ मैं गुजरात मॉडल के अंदर खड़ा हूं, पूरी रिपोर्ट आज रात दस बजे देख सकते हैं।“ इस पोस्ट के माध्यम से सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की चुनाव के दौरान नकारात्मक छवि बनाने का काम किया, जो जावेद की एजेंडा पत्रकारिता का उद्देश्य है।
नफरत की पत्रकारिता-6
गुजरात चुनाव के कई महीने पहले से ही जावेद मंसूरी प्रधानमंत्री मोदी के विरोध का एजेंडा चला रहे थे। 4 अगस्त 2017 को, मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर Facebook के Post में प्रधानमंत्री मोदी के विकास मॉडल को आधार बनाकार उनके खिलाफ निशाना साधा, अपने Post में लिखा “ बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के 3 साल पूरे हो चुके हैं। आज मैने एकाउंट से 15 लाख निकाले फिर बुलेट ट्रेन में बैठकर नौकरी ढूंढने स्मार्ट सिटी गया। वहां जाकर पता चला कि दो करोड़ नौकरियां पहले ही बंट चुकी है, तभी जेटली जी ने बताया कि बाबा रामदेव जी के यहां चले जाओ विदेशों से आया कालाधन बंट रहा है। उसे ले के अयोध्या में बने भव्य राममंदिर के दर्शन करते हुए 370 रहित कश्मीर की वादियों को घूम कर आया और वापसी में स्वच्छ गंगा मैया में स्नान करके 2019 की चुनाव की तैयारी में लगा हूँ।“
नफरत की पत्रकारिता-7
जावेद मंसूरी ने 4 जुलाई को Facebook Post पर चांदनी चौक के एक व्यापारी की GST पर की गई प्रतिक्रिया की आड़ में, प्रधानमंत्री मोदी की GST को लेकर नकारात्मक छवि बनाने के अपने एजेंडे को बड़ी ही सफाई से आगे बढ़ाया। इस पोस्ट पर लिखा-
नफरत की पत्रकारिता-8
जावेद मंसूरी ने 5 जनवरी 2018 को Facebook पर एक तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर के व्यक्ति की शक्ल, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी से मिल रही थी। जावेद ने इसी तस्वीर को ही आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी के विरोध के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया।
जावेद मंसूरी, जैसे पत्रकारों का जब एक ही मकसद होता है कि हर मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का विरोध किया जाए तो लोगों के बीच पत्रकारिता को लेकर अविश्वास पैदा होता है, और यह भावना प्रबल होती है कि पत्रकारिता से देश का भला कम, नुकसान अधिक हो रहा है।