महाराष्ट्र में सतारा जिले का भीलर गांव दुनिया भर में किताबों के लिए लोकप्रिय हो गया है। भीलर देश का पहला किताब गांव बन गया है। पहले यह गांव दुनिया भर में स्ट्रॉबेरी के लिए जाना जाता था। अब इस गांव को किताबों का गांव वाला टैग मिल गया है। ‘पुस्तकाचे गांव’ का उद्घाटन चार मई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया।
‘पुस्तकाचे गांव’ किताब गांव राज्य सरकार की एक पहल है। शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी भाषा विभाग काम कर रहा था। गांव में किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चुना गया है। यहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं की किताबें होंगी।
प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक सराहनीय प्रयास बताया।
Commendable efforts to make reading more popular among citizens. https://t.co/vjgNwPwQE1
— Narendra Modi (@narendramodi) May 4, 2017
यह अवधारणा ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। यह अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जाता है। फिलहाल यहां करीब 15,000 मराठी किताबें उपलब्ध कराई गई हैं।
राज्य सरकार ने मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी 2015 को इस तरह के किताब गांव और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी।
अब सरकार गांव में साहित्य महोत्सव आयोजित कराने की योजना बना रही है। सतारा का यह गांव खूबसूरत पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के नजदीक है।