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निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बना भारत, प्रवासी भारतीय भी जमकर कर रहे हैं निवेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई बड़े सुधारों की प्रक्रिया शुरू की है। इससे भारत को लेकर दुनिया की सोच बदली है। दुनिया भर की सभी प्रमुख कंपनियां आज भारत में निवेश करना चाहती हैं। उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (FDI) खासकर प्रवासी भारतीयों को घरेलू निवेशक के रूप में अनुमति दिए जाने से भारत एक आकर्षक जगह बन गया है।

सिंगापुर में आसियान-इंडिया प्रवासी भारतीय दिवस में अबू धाबी के लुलु ग्रुप इंटरनेशनल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यूसुफ अली एमए ने कहा कि उदार एफडीआई नीति से देश में कई क्षेत्र खुले हैं और इससे निवेश के प्रवाह को गति मिली है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के निवेश को घरेलू माने जाने के निर्णय से भारत व्यापारियों के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया है।

मोदी राज में देश के इतिहास में सबसे अधिक विदेशी पूंजी निवेश
मोदी सरकार बनने के बाद देश में विदेशी पूंजी निवेश में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में देश में अन्य किसी वर्ष की तुलना में सबसे अधिक 43.47 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जिसका चालू वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़ने की पूरी संभावना है। चालू वित्त वर्ष के सितंबर माह तक देश में 25.35 बिलियन डॉलर का निवेश हो चुका है, जो यूपीए के दस सालों के राज में किसी एक वर्ष में विदेशी निवेश से सबसे अधिक है।

2017 में देश की ई-कामर्स की कंपनियों में विदेशी पूंजी का निवेश अबतक बढ़कर 9 बिलियन डॉलर हो चुका है। इसमें सबसे अधिक जापान के सॉफ्ट बैंक ने 4 बिलियन डॉलर का निवेश फ्लिपकार्ट, ओयो रुम, ओला और पेटीएम में किया है। साॉफ्टबैंक ने पिछले तीन सालों में देश में 6 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुकी है।

मोदी काल में विदेशी निवेश क्यों बढ़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आर्थिक व्यवस्था के ढांचे को मजबूत करने के लिए जिन ऐतिहासिक और साहसिक कदमों को उठाया है, उसी का यह परिणाम है कि विदेशी निवेशकों को भी भारत निवेश के लिए आकर्षक लगने लगा है। कोई भी विदेशी निवेशक अपनी पूंजी को उन्हीं देशों में लगाते हैं, जहां स्थायित्व के साथ-साथ उद्योगों को स्थापित करने के नियमों में सरलता और पारदर्शिता होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने से देश की आर्थिक व्यवस्था अधिक पारदर्शी और फार्मलाइज हुई है।

आर्थिक सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था में आये बदलावों पर विश्व के अनेक संस्थानों ने भी अपनी मुहर भी लगा दी है। बॉण्ड-क्रेडिट रेटिंग एजेंसी- मूडीज ने पिछले 14 सालों में पहली बार भारत की विश्व रैंकिंग में परिवर्तन किया, एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने ईज ऑफ डूइं‍ग बिजनेस के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। साल 2017 में इस छलांग के साथ भारत 100वें पायदान पर पहुंच गया जहां साल 2014 में भारत ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस के मामले में 142वें नंबर पर रहा था।

निवेश से ‘सबका साथ, सबका विकास’
 प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक देश में सभी गरीबों को ऐसा घर देने का वायदा किया है, जो बिजली, पानी, और सड़क की मूलभूत सुविधाओं से युक्त होगा। इसके साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने का वायदा किया है। किसानों और गरीबों के साथ साथ देश के युवाओं के हाथ में रोजगार देने का भी संकल्प लिया है। देश की 125 करोड़ आबादी के विकास के लिए जिस धन के निवेश की आवश्यक्ता होगी, वह पूंजी देश में उपलब्ध नहीं है, इसके लिए अन्य देशों से पूंजी को निवेश करा कर, धन की जरूरत को पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी देश में धन की इस बड़े पैमाने पर जरूरत को सत्ता संभालने के पहले दिन ही समझ चुके थे, इसलिए उन्होंने उन आर्थिक सुधारों पर बल दिया जिससे विदेशी निवेश को बड़े पैमाने पर लाया जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधार
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों में देश में कई ऐतिहासिक आर्थिक सुधार किए-
• नोटबंदी से ‘क्लीन मनी’ अभियान को बढ़ाया
• जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण किया
• डिजिटलाइजेशन से आर्थिक प्रणाली को पारदर्शी बनाया
• व्यापार संतुलन बनाया
• भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की नीतियां लागू की
• विदेशी कर्ज को घटाया
• विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया
• तीन सालों में हुए 7000 छोटे और सूक्ष्म नियमों में सुधार किया

प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधारों से देश में रिकार्ड विदेशी पूंजी का निवेश
प्रधानमंत्री मोदी ने देश मे सबका विकास के संकल्प को पूरा करने के लिए, धन की आवश्यक्ता को पूरा करने के लिए जिन आर्थिक सुधारों को लागू किया, उसका ही परिणाम है कि देश में ऐतिहासिक विदेशी पूंजी का निवेश हो रहा है। कांग्रेस के दस सालों के शासन के दौरान, जिसमें देश के प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह थे, भी ऐसा पूंजी निवेश नहीं करवा सके जो प्रधानमंत्री मोदी के तीन साल के शासन के दौरान करवा दिया।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से प्राप्त ताजा आंकड़ें इस बात के पक्के सबूत हैं। यूपीए सरकार के दस सालों में सबसे अधिक निवेश 2011-12 में 35.12 बिलियन डॉलर का ही रहा था, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के मात्र तीन सालों में ही सबसे अधिक निवेश वर्ष 2016-17 में 43.47 बिलियन डॉलर का हुआ। प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक कदमों के कारण इसकी पूरी संभावना है कि इस साल पिछले साल का भी रिकार्ड टूट जायेगा।

एफपीआई निवेश चार गुना बढ़कर 2,200 अरब रुपये रहने की उम्मीद
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश में भी अच्छी खबर आ रही है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष में एफपीआई का निवेश प्रवाह 2,200 अरब रुपये या 35 अरब डॉलर रहने का अनुमान जताया है। इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में घरेलू पूंजी बाजारों में एफपीआई के निवेश में चार गुना की वृद्धि होगी। इक्रा की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 में एफपीआई ने पूंजी बाजारों में सात अरब डॉलर का निवेश किया था। 

प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक सुधारों से देश को विकास के जिस मार्ग पर ला दिया है, उसपर देश को ही नहीं, विश्व के निवेशकों का भी भारत की आर्थिक वृद्धि में विश्वास बढ़ा है। भारत में बढ़ता यह विश्वास, प्रधानमंत्री मोदी की इस देश के प्रति की गई सच्ची सेवा है, जो पिछले तीस सालों में इस देश की कोई सरकार नहीं कर सकी।

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