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डोकलाम पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, सेना हटाने को राजी हुआ चीन

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डोकलाम मामले पर भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। चीन अपनी सेना को हटाने के लिए राजी हो गया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि डोकलाम विवाद पर दोनों देशों ने लगातार बात की है। बातचीत के बाद भारत और चीन की सेना ने डोकलाम से पीछे हटने का फैसला लिया है। बयान में बताया गया है कि पिछले कई दिनों से दोनों देशों के बीच इस मामले को सुलझाने को लेकर बातचीत चल रही थी। दोनों देश की सेना अब धीरे-धीरे अपनी सेना हटाएगी।

चीन पड़ा अलग-थलग
इसके पहले डोकलाम को लेकर चीन के साथ जारी तनाव के बीच अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भारत का समर्थन किया। अमेरिका और जापान ने साफ कहा कि इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए और विवादित क्षेत्र में पूर्व की स्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने कहा है कि भारत की भूटान के साथ एक द्विपक्षीय समझौता है, इसी समझौते की वजह से भारतीय सैनिक वहां मौजूद है।

क्या है डोकलाम विवाद? डोकलाम का इलाका भूटान में आता है। सिक्किम के नाथुला दर्रे के पास करीब 300 वर्ग किलोमीटर का यह इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है। इस इलाके में चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश की थी। चीन के सड़क बनाने पर पहले भूटान फिर भारतीय सेना ने विरोध जताया। चीन ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहा कि जब विवाद चीन और भूटान के बीच है तो भारत उसमें दखलअंदाजी क्यों कर रहा है, जबकि भारत का कहना है कि चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश करके उसके और भूटान के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस इलाके में भारतीय सेना को रणनीतिक बढ़त हासिल है। चीन यहां सड़क बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।

‘भारत परिपक्व, चीन टीनेजर’
”अब तक नई दिल्ली ने सही चीजें की हैं। न तो वह विवाद में पीठ दिखाकर भागा है और न ही उसने पेइचिंग की तरह बढ़-चढ़कर भाषणबाजी से जवाब दिया है। सिक्किम गतिरोध पर भारत के संयमित व्यवहार और चीन के छिछलेपन पर अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में प्रोफेसर जेम्स आर होम्स ने बातें कहीं। उन्होंने कहा, भारत एक परिपक्व शक्ति की तरह बर्ताव कर रहा है, जबकि चीन किसी बदमिजाज किशोर की तरह व्यवहार करता हुआ नजर आ रहा है।”

भूटान ने दिखाया आईना
इसके पहले भूटान ने चीन के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें ड्रैगन की ओर से कहा गया था कि डोकलाम हमारे देश का हिस्सा है। भूटान ने कहा कि उसकी तरफ से चीन को यह बात साफ की जा चुकी है कि भूटान की सीमा में सड़क का निर्माण वर्ष 1988 और 1998 में हुए समझौते का उल्लंघन है। दरअसल चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से यह दावा किया गया था कि भूटान इस बात को मान चुका है कि डोकलाम, हमारे देश का हिस्सा है। 

1890 पर चीन ने झूठ बोला
कुछ दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंगे शुआंग ने कहा, ‘भारत-चीन सीमा का सिक्किम खंड ब्रिटेन और चीन के बीच सिक्किम और तिब्बत को लेकर 1890 में हुए संधि में परिभाषित की गई है।” लेकिन उनके दावे में दम नहीं है। भारत ने ब्रिटेन और चीन के बीच सिक्किम और तिब्बत को लेकर हुए 1890 में हुए संधि का पूरी तरह से समर्थन नहीं किया था। 1959 में जवाहर लाल नेहरु को जाऊ इनलाई के लिखे पत्र में साफ कहा गया है कि नई दिल्ली का बीजिंग के साथ चीन, भूटान और भारत की सीमा को लेकर मतभेद थे। जोऊ इनलाई उस वक्त चीन के पीएम थे।

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