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नोटबंदी से बढ़ेगा टैक्स देने वालों का दायरा, 120 करोड़ से भी ज्यादा लोग नहीं देते टैक्स

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भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ जारी नोटबंदी अभियान से टैक्स देने वाले लोगों का दायरा बढ़ने की उम्मीद है। अभी देश में 125 करोड़ में से सिर्फ 3 करोड़ 65 लाख लोग रिटर्न भरते हैं। साफ है कि देश के 120 करोड़ से भी ज्यादा लोग टैक्स नहीं देते। वे आजादी के इतने साल भी टैक्स दायरे से बाहर हैं। जबकि दौलत, शानो-शौकत के मामले में उनकी काफी तरक्की हुई है।

देश में सिर्फ 24 लाख लोग ऐसे हैं जिनकी घोषित सालाना आमदनी 10 लाख से ऊपर है। सवा सौ करोड़ के देश में 50 हजार से भी कम लोग ऐसे है जो सालाना एक करोड़ रुपए से ज्यादा की आमदनी दिखाते हैं। जाहिर है लोग आमदनी तो बढ़ाना चाहते हैं लेकिन टैक्स देना नहीं चाहते। जिस हिसाब से लोगों की आमदनी बढ़ी है उस हिसाब से टैक्स देने वालों की संख्या नहीं।

आइए एक नजर डालते हैं इनकम टैक्स के आंकड़ों पर-

  • 2014-15 में तीन करोड़ 65 लाख लोगों ने रिटर्न भरा
  • 5.32 लाख लोगों की सालाना आय दो लाख रुपए से कम, इसीलिए कर दायरे से बाहर
  • सिर्फ 5.5 लाख लोगों (1.5 प्रतिशत) ने ही पांच लाख रुपए से ज्यादा का इनकम टैक्स दिया
  • रिटर्न भरने वालों में से सिर्फ 1.5 प्रतिशत का कर राजस्व में 57 प्रतिशत योगदान
  • 24.4 लाख करदाताओं की सालाना आय 10 लाख रुपए से ज्यादा
  • 1.47 लाख करदाताओं की आय 50 लाख सालाना से अधिक
  • सिर्फ 48,417 लोगों की सालाना आय एक करोड़ रुपए से अधिक

देश में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जिन पर टैक्स की देनदारी बनती है, लेकिन वे उसे नहीं चुका रहे। इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि देश में हर साल 25 लाख नई कारें खरीदी जाती हैं। यानी पिछले पांच साल में सवा करोड़ से ज्यादा नई कारें बिकी हैं। पिछले तीन साल में कारों की बिक्री 25.03 लाख, 26 लाख और 27 लाख रही। इन कारों में हर साल मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू ऑडी और जगुआर जैसी करीब 35 हजार महंगी गाड़ियां बिकती हैं। लेकिन लोग अपनी आमदनी आज भी कम करके दिखा रहे हैं और टैक्स अदा नहीं कर रहे हैं।

नोटबंदी अभियान के बाद अब सरकार टैक्स चोरी को रोकने के लिए कदम उठा रही है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे लोगों पर नजर रख रहा है जिनके पास कार तो है लेकिन वो टैक्स के दायरे से बाहर हैं। अगर जांच में यह पाया गया कि आपने इनकम छिपाई है तो आपको डिपार्टमेंट की तरफ से टैक्‍स नोटिस मिल सकता है। विभाग की नजर अब ऐसी महंगी कारों पर है जो नोटबंदी के बाद खरीदी गई हैं। आशंका है कि कई लोगों ने अपने कालेधन को ऐसी लग्जरी कारें खरीदने में खपा दिया है।

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