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डिजिटल इंडिया का सपना हो रहा साकार, हाईस्पीड इंटरनेट से जुड़े एक लाख गांव

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डिजिटल इंडिया की मुहिम में लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण भारत में इंटरनेट पहुंचाने पर तेजी से काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने देशभर के 2.5 लाख गांवों को हाई स्पीड इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के लिए भारत नेट कार्यक्रम शुरू किया है, इसके 20 करोड़ से भी ज्यादा ग्रामीण आबादी लाभान्वित होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और विजन के चलते संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत नेट के प्रथम चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर, 2017 को प्रथम चरण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे समय से पहले ही पूरा कर लिया गया। इतना ही नहीं संचार मंत्रालय के मुताबिक भारत नेट का दूसरा चरण भी समय से पहले इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।

2.5 लाख गांवों को हाईस्पीड इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देश की सभी ग्राम पंचायतों को इंटरनेट सेवा से जोड़ने जा रही है। इसके लिए भारत नेट योजना के तहत सभी ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। 8 जनवरी,2018 को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्‍हा ने कहा कि देश का विजन और मिशन डिजिटल विभाजन को समाप्‍त कर भारत को जोड़ना है ताकि प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के लक्ष्‍य को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्‍व की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉड बैंड परियोजना है और इससे आने वाले दिनों में देश में प्रत्‍यक्ष तथा अप्रत्‍यक्ष दोनों प्रकार से भारी संख्‍या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्‍होंने भारत नेट के दूसरे चरण को मार्च, 2019 के लक्ष्‍य से काफी पहले ही पूरा करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायतों को ब्रॉड बैंड नेटवर्क से जोड़कर ग्रामीण डिजिटल क्रांति लाई जा सके।

इंटरनेट से 20 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण आबादी की होगी तरक्की

देश को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की दिशा में मोदी सरकार किस तेज रफ्तार से काम कर रही है, इसका अंदाजा आपको इससे होगा कि 2011 में शुरु हुई भारत नेट योजना के तहत 2014 तक यूपीए शासनकाल के दौरान सिर्फ 358 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले साढ़े तीन वर्षों में 2,79,712 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर का जाल फैलाया जा चुका है। टेलिकॉम विभाग की सचिव अरुणा सुंदरराराजन के मुताबिक भारत नेट परियोजना ने प्रतिदिन 800 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर डालकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के मुताबिक भारत नेट के दूसरे चरण को इस वर्ष के अंत तक पूरा करने की कोशिश की जा रही है, ताकि दिसंबर, 2018 तक 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को हाईस्पीड इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य पूरा किया जा सके। जाहिर है कि ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट की पहुंच से 20 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण आबादी को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कौशल, ई-कृषि, ई-वाणिज्य जैसे सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी, और सही मायने में डिजिटल तौर पर देश का सर्वांगीण विकास हो सकेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से विकास के लिए टेक्नॉलाजी के इस्तेमाल पर जोर देते हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया बनाने के लिए देश में कई ऐसी योजनाएं लागू की हैं, जिनका असर आम लोगों के जीवन पर पड़ा है। एक नजर डालते हैं डिजिटल इंडिया बनाने में योगदान देने वाली योजनाओं पर

डिजिटल पेमेंट बढ़ा, UPI लेनदेन का आंकड़ा 14.5 करोड़ के पार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैसों के डिजिटल ट्रांजेक्शन की मुहिम को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं। वर्ष 2017 में पीएम मोदी की यह कोशिशें परवान चढ़ी और यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा हर महीने बढ़ता चला गया। दिसंबर, 2017 में इन ऑकड़ों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और यह 14.5 करोड़ ट्रांजेक्शन तक पहुंच गया है।

हर महीने बढ़ रहा है डिजिटल पेमेंट का आंकड़ा

यूपीआई, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की मोबाइल के जरिए डिजिटल पेमेंट का एक तरीका है। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानी BHIM एप के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर महीने में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 14.5 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए लगभग 13,174 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। यह पहली बार है कि एक महीने में यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन का आंकड़ा 14 करोड़ के पार पहुंच गया है। नवंबर, 2017 मे इसके जरिए 10.5 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे, और लगभग 9,669 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। इसी प्रकार अक्टूबर, 2017 में कुल 7.69 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे और लगभग 7,075 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। यानी आंकड़ों से साफ है कि हर महीने यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आपको बता दें कि वैसे तो यूपीआई को अगस्त, 2016 में ही लांच किया गया था, लेकिन इसके जरिए लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी 8,नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद हुई।

महीना डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या यूपीआई के जरिए लेनदेन
अक्टूबर,2017 7.69 करोड़ 7,075 करोड़ रुपये
नवंबर, 2017 10.5 करोड़ 9,669 करोड़ रुपये
दिसंबर, 2017 14.5 करोड़ 13,174 करोड़ रुपये

 

डिजिटल पेमेंट एप BHIM निभा रहा है अहम भूमिका

आंकड़ों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल पेमेंट बढ़ाने की मुहिम तेजी से आगे बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की ‘Trend and Progress of Banking in India’ (2016-17) की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में यूपीआई प्लेटफार्म के जरिए कुल 6,950 करोड़ रुपये के 1.79 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए थे। नोटबंदी के फैसले के बाद डिजिटल पेमेंट बढ़े और जून, 2016 में एक करोड़ ट्रांजेक्शन का आंकड़ा पार हो गया। आपको बता दें कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद ही 30 दिसंबर को नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपना डिजिटल पेमेंट एप BHIM लांच किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस मौके पर कहा था कि भीम एप डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा और इसके जरिए बगैर किसी गलती के सिर्फ मोबाइल नंबर और VPAs के इस्तेमाल से पैसों का ट्रांसफर किया जा सकेगा। हुआ भी यही, दिसंबर में भीम एप लांच होने के बाद ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला, और आज इसका नतीजा सभी के सामने हैं।

40 प्रतिशत बढ़े NEFT
नोटबंदी के बाद बैंक उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। जेफरीज के अनुसार नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) में 30 प्रतिशत की बढ़त हुई है। प्रति लेनेदेन के हिसाब से भी NEFT में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इस तरह कुल मिलाकर NEFT में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।

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IMPS में 100 प्रतिशत की वृद्धि
जेफरीज के रिपोर्ट के अनुसार IMPS में भी बढ़त देखने को मिली है। इसके तहत 24X7 के लेनेदेन की उपलब्धता और आकर्षक पेमेंट्स सिस्टम की वजह से इसमें अभी भी 100 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों पर भुगतान तीन गुना बढ़ा है।

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कार्ड स्वाइप भुगतान में बढ़ोतरी
08 नवंबर, 2016 को डिमोनिटाइजेशन के बाद कार्ड स्वाइप कर भुगतान करने में दोगुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है। नोटबंदी के वक्त जहां प्रतिदिन 40 लाख पेमेंट डेबिट कार्ड के जरिए होते थे, वहीं 18 अक्टूबर, 2017 के आंकड़ों के मुताबिक रोजाना 82 लाख पेमेंट डेबिट कार्ड स्वाइप कर किए गए। वहीं क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल में भी 40 प्रतिशत से अधिक की बढ़त देखी गई है।

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Rupay का इस्तेमाल बढ़ा
जेफरीज के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए Rupay का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर किए जाने वाला खर्च भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। गौरतलब है कि Rupay वीजा और मास्टरकार्ड की ही तरह घरेलू कार्ड पेमेंट सिस्टम है। प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल सोसाइटी बनाने के आह्वान का देश के लोगों पर असर हो रहा है अब इसके प्रत्यक्ष उदाहरण सामने आ रहे हैं।

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लेस कैश व्यवस्था बनाना उद्देश्य
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त,2017 तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है।

मोबाइल वॉलेट लेन-देन में भी बढ़ोतरी
मोबाइल वॉलेट के जरिए लेनदेन भी तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के वक्त 8 नवंबर, 2016 को मोबाइल वॉलेट के जरिए रोजाना 22 लाख लेनदेन होते थे, जबकि अक्टूबर, 2017 में इन लेनदेन की संख्या 88.43 लाख प्रतिदिन पहुंच गई है। यानी एक साल के भीतर ही मोबाइल वॉलेट के इस्तेमाल में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।

मोबाइल वॉलेट के लिए चित्र परिणाम

एक अरब+एक अरब+एक अरब विजन
जनधन, आधार और मोबाइल यानि JAM की ‘त्रिमूर्ति’ से सामाजिक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र सरकार की निगाह अब एक अरब-एक अरब-एक अरब पर है। यानि एक अरब आधार नंबर जो एक अरब बैंक खातों और एक अरब मोबाइल फोन से जुड़े हों। इससे सभी भारतीय साझा वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल क्षेत्र में आ चुके हैं। यह कुछ उसी तरीके से है जिससे वस्तु एवं सेवा कर (GST) से एकीकृत बाजार बना है।

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73 करोड़ अकाउंट JAM योजना से जुड़े
जनधन, आधार और मोबाइल यानि (JAM)ने देश में फाइनेंशियल, इकोनॉमिक और डिजिटल क्रांति लाने का काम किया है। अभी तक 52.4 करोड़ आधार, 73.62 करोड़ अकाउंट्स से जोड़े जा चुके हैं। यह संख्या अब जल्दी ही एक अरब तक पहुंच जाएगी। यानी एक अरब आधार, मोबाइल और अकाउंट्स से जुड़ जाएंगे। जाहिर है मात्र इस कदम से देश के लोग स्वत: फाइनेंशियल और डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएंगे।

 

 

 

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