Home समाचार सपना देखने का सामर्थ्य हो तो दुनिया ऐसे बदलती हैः मोदी

सपना देखने का सामर्थ्य हो तो दुनिया ऐसे बदलती हैः मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात दौरे के अंतिम दिन गांधीनगर में इंटीग्रेटेड स्पोर्ट्स इंटरटेनमेंट एरिना प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सपने देखने का सामर्थ्य हो तो दुनिया कैसे बदलती है, यहां इस एरिना प्रोजेक्ट को आकर देख सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दस साल पहले ये जगह कैसी थी? वीरान, बंजर, उजड़ अवस्था में। अब हिंदुस्तान में वो सारी व्यवस्थाएं विकसित हो रही हैं जो दुनियाभर में हमारे खिलाड़ी देखते हैं। मैंने खिलाड़ियों के हौसले, परिश्रम में कमी नहीं पाई है। इरादों में कमी नहीं पाई है। कठिनाई ये है कि सामर्थ्यवान युवा पीढ़ी है, पूरा न्यू इंडिया हमारे सामने है।

खेल करियर की ऊंचाइयों को पाने का अवसर
खेल भी करियर हो सकता है, यह हमारे देश के लोगों को पता ही नहीं है। समाज में खेल को अक्सर कमतर आंका जाता रहा है।  समाज में ही नहीं परिवार में भी पूछते है कि खेलोगे ही कि पढ़ाई भी करोगे। पुलेला गोपीचंद का नाम लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ तो उन्हें भी ऐसा कहते रहे होंगे। पीएम ने कहा कि हमें अपने देश का माहौल बदलना है। खेल करियर की ऊंचाइयों को पाने का अवसर बन चुका है। दूसरे देश के खिलाड़ी का नाम लेता हूं तो तालियां गूंजने लगती है। खिलाड़ियों के प्रति सम्मान आदर, परिवार, देश, समाज की परंपरा होनी चाहिए। व्यवस्थाएं विकसित होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हर खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी हो, ये जरूरी नहीं है लेकिन खेल जीना सिखाता है। खिलाड़ियों में अंदर से जीतने की ताकत आती है। जिंदगी में जय-पराजय को खेल बनाकर जी लेना भी तो सौभाग्य है।

जिंदगी को खिलने का अवसर देता है खेल
गुजरात में खेल कितना लोकप्रिय है। इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि खेल और गुजरात किसी के मन में फिट नहीं होता क्योंकि गुजरातियों के रगों में व्यापार है। इसके बाद भी गुजरात में पिछली बार 30 लाख लोग खेल के मैदान में उतरे। एक साल में गुजरात में 10 गोल्ड मेडल आया। हर शहर, हर जिले में ऐसी व्यवस्था मिलनी है। गुजरात खेल महाकुंभ की तरह पूरे देश में ‘खेले इंडिया’ का अभियान चलने वाला है। खेल जिंदगी को खिलने का अवसर देता है। क्रिकेट खिलाड़ी पार्थिव पटेल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं बचपन से उसे जानता हूं। उसके चाचा रोज 4 बजे सुबह स्टेडियम लेकर जाते थे, तब पार्थिव पटेल पैदा होता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को स्टेडियम दिखाना चाहिए। देखेंगे तो छात्र बहुत कुछ सीखेंगे।
रियो पैरालंपिक में पदक विजेता दीपा मलिक की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे अच्छा मोटिवेटर नहीं देखा। वह जब भी करती हैं, नए सपने, नई उमंग, नए हौसले की बात करती हैं। ये नई युवा पीढ़ी की हीरो हैं।

सुधार के लिए खिलाड़ियों से पीएम ने मांगे सुझाव
पीएम ने कहा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल से गुजरात ने एक नया मॉडल दिया है खेल जगत को। आने वाले दिनों में ओलंपिक के मैदानों में भारत की गूंज सुनाई देगी, ताकत के साथ सुनाई देगी। सवा सौ करोड़ का हिंदुस्तान भी उन सपनों को पूरा कर सकता है। इस एरिया में किस तरह का सुधार होना चाहिए, इसको लेकर प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ियों से सलाह देने का आग्रह भी किया।

वीडियो गेम नहीं स्टेडियम
नौनिहालों के वीडियो गेम के प्रति आकर्षण पर चिंता जाहिर करते हुए पीएम ने कहा कि वीडियो गेम में बचपन बर्बाद हो रहा है। खेल के मैदान की ओर लोगों को आकर्षित कराना है। ये बचपन हमारे लिए उज्ज्वलता की निशानी नहीं है। साधनों के बिना भी खेल खेला जा सकता है। क्रिकेट में अच्छा किया है, करते रहना है। फुटबॉल और हॉकी को हम भूल नहीं सकते। फीफा वर्ल्ड कप इस बार भारत में होने जा रहा है। दुनियाभर के खिलाड़ियों को यहां लाने की तैयारी हो रही है।

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