प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले सत्ता संभालते ही घोषणा कर दी थी कि वो 2022 तक सबको पक्का मकान दिलाकर ही दम लेंगे। ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के संकल्प के साथ तभी से उनकी सरकार सबको आवास उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में जुटी हुई है। पीएम मोदी की इच्छाशक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक झटके में उस RERA को लागू कर दिया, जिसे बिल्डर माफिया और भ्रष्ट नेताओं के गठजोड़ के दबाव में कांग्रेस सालों तक लटकाए रही। नतीजा धरातल पर दिख रहा है, देश के गांव-गांव में मकान बन रहे हैं, शहरों में लोगों को अफोर्डेबल घर मिल रहा है और बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगनी शुरू हो गई है। जो कभी अपना घर लेने का सपना देखना भी भूल चुके थे उनके लिए भी सरकार की ओर से लगातार कोई न कोई योजना सामने लाई जा रही है। यूं समझ लीजिए कि 2014 में देश की जनता ने जो अच्छे दिन का सपना देखा था, वो पूरा हो रहा है।
RERA लागू करने का जिगर दिखाया
शहरों में बिल्डर-माफिया पर लगाम लगाने के लिए रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट एक बहुत बड़ा कदम है। बिल्डर लॉबी के दबाव और राजनीतिक लाभ के चक्कर में पूर्ववर्ती सरकार इसे हाथ लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। लेकिन मोदी सरकार ने सियासी फायदे-नुकसान की परवाह किये बिना इसे लागू करके दिखाया। इससे शहरी निम्म और मध्यम वर्ग के आय के लोगों को बहुत बड़ी राहत मिली है। ऐसे युग की शुरुआत हो रही है जहां खरीददार बाजार का बादशाह होगा। बिल्डरों को कानून के दायरे में लाने के बाद उनकी मनमानी खत्म हो गई है। घर खरीदने वालों को समय पर आवास मिलना शुरू हो जाएगा। अगर बिल्डर कोताही करता है, तो उसे खरीदारों को जुर्माना देना होगा। इसको लेकर नियम और प्रावधान पहले भी थे, लेकिन वो बिल्डरों की मर्जी पर निर्भर थे। यानी अब बिल्डरों की मनमानी के दिन लद चुके हैं। अगर बिल्डर खरीदार के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल की सजा तक का प्रावधान है। यही नहीं बिल्डर अब किसी खास प्रोजेक्ट का पैसे अपनी मर्जी से दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा सकता।
नोटबंदी से अफोर्डेबल हुआ घर खरीदना
जानकारी के अनुसार नोटबंदी से पहले रियल एस्टेट की अर्थव्यवस्था कालेधन पर टिकी थी। रियल एस्टेट में निवेश करना कालेधन छिपाने का एक बहुत बड़ा जरिया बना हुआ था। बिल्डर भी इसका खूब फायदा उठाते थे। 5 लाख का घर कैश में ब्लैकमनी लेकर 15 लाख में बेचते थे। नुकसान सिर्फ ईमानदारी के पैसों से अपने लिए छत का सपना देखने वालों को हो रहा था। मकानों के गैर-उचित दाम देखकर उनका हौसला टूट जाता था। यूं कह लीजिए कि बिल्डरों और काले कुबेरों ने रियल एस्टेट पर कब्जा कर रखा था। लेकिन नोटबंदी ने एक ही झटके में बिल्डर माफिया और भ्रष्टाचारियों की कमर तोड़ दी। ब्लैकमनी सिस्टम से बाहर हो गई। लिहाजा धीरे-धीरे घरों की कीमतें उस स्तर पर पहुंचने लगीं जो उसकी असल कीमत होनी चाहिए थी। यही नहीं मोदी सरकार ने अफोर्डेबल हाउसिंग के क्षेत्र में विदेशी निवेश को भी छूट दी है और इसे उद्योग का दर्जा दे दिया गया है।
होम लोन हुआ सस्ता
नोटबंदी के चलते बैंकों के पास भी काफी पैसे आ गए। उनकी liquidity बढ़ गई। लिहाजा उन्होंने होम लोन पर ब्याज दरों को घटाना शुरू कर दिया। इस समय देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज दर घटाकर 8.35 % तक कर दिया है। जाहिर है कि होम लोन सस्ता होने से लोगों के लिए घर खरीदना आसान हो गया है। EMI कम होने से उनका हौसला बुलंद हुआ है। उन्हें लग रहा है कि अपना घर खरीदने के लिए शायद इससे बेहतर मौका मिलना मुश्किल है।
ब्याज सब्सिडी से EMI में मिली बड़ी राहत
बैंकों ने होम लोन सस्ता करना शुरू किया, उससे पहले ही मोदी सरकार ने होम लोन पर लगने वाले ब्याज दरों में सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी। ये स्कीम मुख्य रूप से शहरी EWS,निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए है। इसके तहत कर्ज के ब्याज पर 3, 4 और 6.5 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है। यानी EWS में आने वाले जिन लोगों की सालाना आय 6 लाख रुपये तक है उन्हें 6 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए 6.5% सब्सिडी देने की व्यवस्था है। उसी तरह 12 लाख रुपये तक की आय वालों को 9 लाख रुपये तक की होम लोन के लिए 4% और 18 लाख रुपये तक की आय वालों को 12 लाख रुपये तक के होम लोन पर 3 प्रतिशत सब्सिडी सरकार की ओर से देने की व्यवस्था की गई है।
PF से डाउन पेमेंट या EMI की सुविधा
इस योजना के तहत अपना घर खरीदने के लिए पीएफ से 90 प्रतिशत तक रकम निकालने का अनुमति दे दी गई है। यही नहीं अब से होम लोन की EMI चुकाने में भी EPFO मदद करेगा। ऊंची कीमतों के कारण अपने आशियाने का सपना पूरा करना वेतन भोगियों के लिए काफी मुश्किल होता है। इसी को ध्यान में रखकर इस तरह की व्यवस्था की गई है। यानी या तो आप डाउन पेमेंट के लिए एकमुश्त पैसा अपने पीएफ से निकाल सकते हैं या फिर उसका इस्तेमाल होम लोन की EMI चुकाने में कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
पीएम मोदी ने ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ संकल्प के तहत 2022 तक सबको पक्का मकान देने का सपना संजोया है। शहरी गरीबों के लिए दो साल पहले शुरू हुई इस योजना के तहत करीब 7 लाख पक्के मकान बनाए जा चुके हैं। इस योजना के तहत 2022 तक शहरों में 2 करोड़ घर बनाने का टारगेट है।इसके लिए 96, 266 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी जा चुकी है। यही नहीं इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 27,883 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की मंजूरी भी दी गई है। सबसे बड़ी बात है कि केरल, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश समेत 15 राज्यों में हाउसिंग फॉर ऑल का टारगेट 2022 से काफी पहले 2019 तक पूरा करने लेने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
20 नवंबर, 2016 में शुरू हुई इस योजना में 2019 तक गरीब परिवारों के लिए एक करोड़ पक्के आवास बनाए जाने हैं। जबकि इस साल के अंत तक 44 लाख से ज्यादा पक्के मकान बन जाने की संभावना है। जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत गरीबों को आवास बनाने के लिए सरकार एक लाख 20 हजार रुपये का अनुदान देती है। यह अनुदान चार किस्तों में दिया जाता है, पहली किस्त नीव डालते वक्त, दूसरी किस्त निर्माण 50 प्रतिशत पूरा होने पर, तीसरी किस्त निर्माण 80 प्रतिशत होने पर और चौथी किस्त निर्माण पूरा करने के बाद मिलती है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर में शौचालय के निर्माण के लिए अलग से 12,000 रुपये दिए जाते हैं। यही नहीं गांवों में पक्के मकान बनवाने के लिए सरकार की ओर से ट्रेनिंग का भी प्रावधान है। सरकार की ओर से अब ये व्यवस्था भी गई है कि आवेदक मोबाइल फोन के माध्यम से ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।