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क्या हिंदुओं के साथ हो रहा है भेदभाव, इन राज्यों में लाभ से वंचित हैं हिंदू समुदाय के लोग

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क्या देश में हिंदुओं के साथ भेदभाव हो रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि देश के आठ राज्यों में अल्पसंख्यक होते हुए भी हिंदुओं को वो लाभ नहीं मिल रहे हैं जो आमतौर पर अल्पसंख्यकों को मिलते हैं। भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इन राज्यों में हिंदुओं की जनसंख्या में गिरावट को देखते हुए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की है।

देश में 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू समुदाय आठ राज्यों में अल्पसंख्यक हैं। लक्षद्वीप में 2 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि यहां की 97 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। इसके बावजूद भी यहां हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिला हुआ है। इस कारण यहां के हिंदू समुदाय के लोग अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभ से वंचित हैं। इसी तरह मिजोरम में 3 प्रतिशत हिंदू और 90 प्रतिशत ईसाई हैं। नगालैंड की जनसंख्या में 8 प्रतिशत हिंदू और 90 प्रतिशत ईसाई हैं। मेघालय में 11 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की और 84 प्रतिशत ईसाइयों की है। जम्मू और कश्मीर में 28 प्रतिशत हिंदू हैं, जबकि 69 प्रतिशत मुस्लिम हैं। इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत हिंदू और 31 प्रतिशत ईसाई हैं। यही हाल मणिपुर में भी है। यहां 31 प्रतिशत आबादी हिंदूओं की और 42 प्रतिशत ईसाइयों की है।

हिंदू अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित नहीं
लक्षद्वीप, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक है। अश्विनी उपाध्याय ने इन राज्यों में हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक दर्जे की मांग की है। उनका कहना है कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। क्योंकि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारों ने हिंदुओं को अल्पसंख्यक कानूनों के तहत अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया है।

अल्पसंख्यक समुदाय
देश में छह समुदायों- मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन को अल्पसंख्यक घोषित किया गया है। उपाध्याय का कहना है कि हिंदू राष्ट्रीय स्तर पर बहुसंख्यक हैं, लेकिन इन राज्यों में वो अल्पसंख्यक हैं। फिर भी उन्हें अल्पसंख्यक होने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम आबादी 69 प्रतिशत हैं और हिंदू 28 प्रतिशत। इसके बावजूद वहां मुस्लिम अल्पसंख्यक दर्जे का लाभ उठा रहे हैं, जबकि हिंदुओं को इससे वंचित रखा गया है। यही हाल पूर्वोत्तर के कई राज्यों में है। यहां हिंदू समुदाय उन लाभों से वंचित है जो कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मौजूद हैं।

अल्पसंख्यक होते हुए भी दर्जा नहीं
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2-सी के तहत हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया है। केंद्र सरकार अल्पसंख्यक की मदद के लिए राज्यों सरकारों को करोड़ों रुपए की मदद देती है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ इन राज्यों के हिंदुओं को नहीं मिल पा रहा है।

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