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अब सोनिया-राहुल के खासमखास हामिद अंसारी ने मांगे बालाकोट एयर स्ट्राइक के सबूत

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उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद से हामिद अंसारी लगातार अपने बयानों के कारण विवादों में बने हुए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर का मामला हो, तीन तलाक के कानून का विरोध हो या देश के हर जिले में शरिया अदालतें स्थापित करने का ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रस्ताव हो, हामिद अंसारी ने सभी का समर्थन किया है। अब उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सबूत मांग जाने का समर्थन किया है। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि देश के लोगों को बालाकोट एयरस्ट्राइक पर सवाल उठाने का पूरा हक है। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि अब देश के बाहर विश्व स्तर पर इतने सारे साक्ष्य उपलब्ध हैं कि आप सच को छिपा नहीं सकते। यह पूछे जाने पर कि ऐसी चर्चा है कि भारत ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को ढेर नहीं किया तो उन्होंने कहा कि अगर मैं कह दूं कि मैंने किसी शेर को मारा है तो मुझे उस शेर को दिखाना भी होगा।

 

 

 

 

 

 

विवादों में रहे हैं हामिद अंसारी

विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्‍तान ही नहीं भारत भी जिम्‍मेदार
पूर्व उप राष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि 1947 में हुए विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्‍तान ही जिम्‍मेदार नहीं है, बल्कि भारत भी इसमें जिम्‍मेदार था। अंसारी ने कहा कि, ‘हम ये मानने को तैयार नहीं है कि विभाजन के लिए हम भी बराबर के जिम्‍मेदार हैं।’ पूर्व उप राष्‍ट्रपति ने कहा कि देश के बंटवारे के लिए सियासी वजहों से मुसलमानों को जिम्‍मेदार ठहराया गया। अंसारी ने कहा कि, ‘जहां भी किसी ने गलत काम किया तो मुल्जिम एक ही… आप सब जानते हैं।’ उन्‍होंने कहा कि, ‘आजादी के चार दिन पहले सरदार पटेल ने दिल्‍ली में कहा था कि अगर देश को एक रखना है तो विभाजन जरूरी है। लेकिन सियासत ने जो रुख पलटा तो किसी को जिम्मेदार बनाना था। तो उन्होंने कहा कि जिम्मेदार बना दो, किसे, मुसलमानों को बना दो। यह सबने मान लिया कि मुसलमानों को जिम्मेदार बनाना चाहिए।’

मुस्लिमों में घबराहट का भाव- हामिद अंसारी
दस साल तक उप-राष्ट्रपति रहने वाले हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ही कहा था कि देश के मुसलमानों में घबराहट का भाव है और वो असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मुस्लिमों की कथित मॉब लिंचिंग और घर वापसी के मामले को फिर से तूल देकर देश की कथित चिंताजनक परिस्थिति का रोना रोया। 

सिर्फ मुसलमानों के प्रतिनिधि थे अंसारी ?
दरअसल हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति के तौर पर विदाई लेना चाहिए था, लेकिन जाते-जाते जो मुद्दा उठाया उसे देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी 125 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व किया ही नहीं। वो तो सिर्फ मुसलमान के प्रतिनिधि बनकर ही आये थे।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में की शिरकत
पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पिछले साल केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। 23 सितंबर, 2017 को कोझिकोड में महिलाओं से संबंधित विषय पर इस सम्मेलन को नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज ने नेशनल वूमेन फ्रंट (NWF) के साथ मिलकर आयोजित किया था। NWF, PFI की महिला शाखा है। PFI पर युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में देश के किसी संवैधानिक पद पर लंबे समय तक रहे किसी शख्स का PFI से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा बनना कई सवाल छोड़ता है। 

‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को भी नहीं समझे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र के साथ ही सभी योजनाओं और परियोजनाओं पर काम किया है। देश गवाह है कि मोदी सरकार ने किसी योजना पर अमल करने में कभी भेदभाव का सहारा नहीं लिया है। लेकिन हामिद अंसारी को ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे प्रधानमंत्री के मंत्र पर भी भरोसा नहीं किया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिये इंटरव्यू में उन्होंने नारे को तो अच्छा बताया, लेकिन उसमें ‘सबका विकास’ जैसे शब्द पर संदेह जताने की भी कोशिश की।

रॉ के पूर्व अधिकारी ने हामिद अंसारी को दोहरे चरित्र का व्यक्ति बतायारॉ के पूर्व अधिकारी आर के यादव ने 14 जुलाई को हामिद अंसारी के चरित्र का पर्दाफाश किया और कहा कि यह व्यक्ति दो चेहरे वाला है।

हामिद अंसारी के चरित्र के बारे में रॉ के अधिकारी आर के यादव ने यह बात लंबी जांच पड़ताल और अनुभव के आधार पर कही है। अपने अनुभवों के आधार पर लिखी गई किताब Mission R&AW में हामिद अंसारी के दोहरे चरित्र पर एक पूरा अध्याय- Bizarre R&AW Incidents- ही लिखा है।

हामिद अंसारी ने ईरान में कश्मीर आंदोलनकारियों  का साथ दिया- आर के यादव – Bizarre R&AW Incidents में लिखते हैं कि रॉ के अधिकारी डी बी माथुर, तेहरान के करीब कौम में कश्मीर के युवकों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप पर नियमित रुप से दिल्ली को रिपोर्ट भेजते रहते थे। ये सभी रिपोर्ट्स राजदूत हामिद अंसारी के पास से होकर गुजरती थीं, इनमें से कई रिपोर्ट्स को लेकर हामिद अंसारी काफी विरोध में रहते थे। इसी दौरान, एक सुबह डी बी माथुर को ईरान की गुप्तचर संस्था ने अगवा कर लिया, लेकिन हामिद अंसारी ने ईरान की सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की और बहुत ही साधारण रिपोर्ट दिल्ली भेज कर शांत हो गए। दो दिनों तक डी बी माथुर के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर भारतीय दूतावास के करीब 30 अधिकारियों की पत्नियों ने हामिद अंसारी के चैम्बर में जबरदस्ती घुसकर विरोध भी दर्ज कराया था।

यह बात तेहरान में रॉ के एक अन्य अधिकारी एन के सूद ने दिल्ली में रॉ के अधिकारी आर के यादव को बताई थी। दूसरे दिन ही आर के यादव, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और पूरी घटना की जानकारी दी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव से बात की। पी वी नरसिम्हा राव ने तुरंत कार्रवाई की और ईरान को कुछ ही घंटों में डी बी माथुर को रिहा करना पड़ा। इसके बाद माथुर को 72 घंटों के अंदर वापस दिल्ली बुला लिया गया था।

नहीं कराया विरोध दर्ज- रॉ के अधिकारी Bizarre R&AW Incidents में आगे लिखते हैं कि ईरान में भारतीय दूतावास के सुरक्षा अधिकारी मोहम्मद उमर से खुफिया जानकारी लेने के उद्देश्य से ईरानी गुप्तचर एजेंसी ने संपर्क किया, लोकिन मोहम्मद उमर ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस घटना की जानकारी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हामिद अंसारी को भी उमर ने बताई।

कुछ हफ्तों के बाद मोहम्मद उमर को ईरान की खुफिया एजेंसी वाले उठाकर ले गए और बुरी तरह से पिटाई करके सड़क पर अधमरा छोड़ दिया। हामिद अंसारी ने इस मुद्दे को लेकर ईरान सरकार के समक्ष कोई विरोध दर्ज नहीं कराया बल्कि मोहम्मद उमर को चुप रहने के लिए कहा।

पहचान को किया उजागर– विभिन्न देशों में भारत के राजदूत रह चुके हामिद अंसारी ने ऐसे काम किए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की पहचान दूसरे देशों के सामने आ गई। हामिद अंसारी ने ऐसा एक बार नहीं कई बार किया। 

 

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