Home गुजरात विशेष मोदी राज के चंद सितारे जो दुनिया के लिए हैं नजीर

मोदी राज के चंद सितारे जो दुनिया के लिए हैं नजीर

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नेतृत्व निष्पक्ष हो, उसकी छवि स्वच्छ हो और सोच परिपक्व हो तो बनता है गुजरात। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के कई पैमानों पर मील के पत्थर गाड़े हैं, इसलिए तो आज गुजरात की तस्वीर में कई सितारे जड़े हैं। ये न सिर्फ छह करोड़ गुजरातियों के लिए शान की बात हैं, बल्कि देश-दुनिया के लिए नजीर हैं।

साबरमती रिवर फ्रंट से बदली सूरत
नदी के दोनों तरफ कंक्रीट का किनारा, पेड़-पौधे, हरियाली से भरा पूरा वातावरण, रेस्टोरेंट, एम्फीबियन बस, छोटे क्रूज शिप, तैरते होटल और वाटर स्पोर्ट्स ये नजारा विदेश का नहीं बल्कि गुजरात का है। भारत में अपनी तरह का अनूठा प्रोजेक्ट साबरमती रिवर फ्रंट आज गुजरात की शान है।

2001 से पहले यही वो इलाका था जहां गंदगी का अंबार रहता था, साबरमती सूख गई थी और नदी एक गंदे नाले में तब्दील हो गई थी। लेकिन गुजरात का सीएम बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने नर्मदा नदी का पानी साबरमती में लाने की योजना बनाई और करके दिखा दिया।

नर्मदा से साबरमती का सीधा कनेक्शन किया और आज साबरमती लबालब भरी रहती है। इस प्रयोग से न सिर्फ साबरमती का सूखा खत्म हुआ, बल्कि आसपास के इलाकों का जल स्तर भी ऊपर उठ आया है। साबरमती की ये परियोजना अब तक 20 पुरस्कार भी पा चुका है।

दुनिया के आकर्षण का केंद्र महात्मा मंदिर
गुजरात के 18 हजार गांव और दुनिया के 169 शहरों की माटी पानी को महात्मा मंदिर के निर्माण में डाला गया है। दरअसल महात्मा गांधी के विचार पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है। ऐसे में इस महामानव को किसी एक देश की धरोहर न मानकर पूरी दुनिया के दृष्टिनायक के तौर पर बताने की नरेंद्र मोदी की एक विशिष्ट सोच है। डेढ़ करोड़ की लागत से महज डेढ़ साल में बना महात्मा मंदिर 34 एकड़ में फैला है। परिसर में गांधी जी के जीवन दर्शन को बताती हुई 365 घटनाओं का स्कल्पचर है। वहीं हाइटेक सुरक्षा व्यवस्था से लैस 10 हजार लोगों की बैठने वाला सेमीनार हॉल भी है।


एकता का प्रतीक होगी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी
भारतीय राज्यों के एकीकरण के सूत्रधार लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक भव्य प्रतिमा बनाई जा रही है। मूर्ति के लिये देश के गांव-गांव से लोहा एकत्र किया जा रहा है। हर गांव से लोहे का टुकड़ा इकठ्ठा करने के पीछे मकसद ये है कि इससे बनी मूर्ति किसानों के खून पसीने की याद दिलाये और देश भर के किसानों की एकता का प्रतीक बने।

सरदार सरोवर बांध से जुड़े नदी इलाके में बनाई जा रही 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। 3000 करोड़ रुपये खर्च कर बनाई जा रही ये प्रतिमा 2018 के मध्य तक बन जाएगी।


गुजरात की जीवन रेखा सरदार सरोवर
नर्मदा का आभूषण कहिए या गुजरात की जीवन रेखा, सरदार सरोवर बांध आज गुजरात की शान है। एक उद्यान, नींव का पत्थर, नौका विहार के लिए एक झील, पहली लॉक गेट और प्रकृति शिविर यहां के आकर्षण के केंद्र हैं। इसकी जसंग्रह क्षमता 138.68 मीटर है और ये 30.70 लाख क्यूसेक पानी एक साथ छोड़ने की क्षमता रखता है। इंजीनियरिंग के बेहतरीन कमाल इस प्रोजेक्ट को 1944 में TIME पत्रिका ने Eight Modern Wonders Abuilding कहा था।

एशिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल हब होगा धोलेरा SIR
गुजरात में एक ऐसा शहर बनने जा रहा है जो न सिर्फ दुबई और हांगकांग जैसे शहरों को भी टक्कर देगा बल्कि चीन के इंडस्ट्रियल हब शेन्जेन को भी पीछे छोड़ देगा।

गांधीनगर से 140 किलोमीटर दूर बन रहे धोलेरा शहर के इस प्रोजेक्ट को स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन यानी SIR कहा जा रहा है। केंद्र सरकार की सहयोग से चल रहा यह प्रोजेक्ट 886 एकड़ भूखंड में फैला होगा। 32,700 हेक्येटर में फैला धोलेरा सर प्रोजेक्ट एशिया का सबसे बड़ा इण्डस्ट्रियल हब बनने जा रहा है। इसके तहत 8 कोर इण्डस्ट्रियल कलस्टर शामिल हैं। जाहिर है प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद प्रदेश आर्थिक और औद्योगिक विकास की नई ऊंचाईयों को छुएगा।

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