कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए रक्षा सौदे हमेशा से मोटी दलाली का स्रोत रहे हैं। नेहरू सरकार से लेकर सोनिया की यूपीए सरकार तक का दामन रक्षा सौदे में दागदार रहा है। इसलिए मोदी सरकार बेहद साफ सुथरी और पारदर्शॉ राफेल डिफेंस डील पर कांग्रेस की बिलबिलाहट साफ समझ में आती है।
हेलिकॉप्टर की खरीद में कब कौन सा मंत्री क्या फैसला ले रहा था, मिशेल क्रिश्चियन इसकी जानकारी विदेश भेज रहा था। समझ नहीं आता है कि कांग्रेस ने सरकार चलाई है या मिशेल मामा का दरबार चलाया है।
नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
रक्षा सौदे में दलाली और गांधी परिवार
जवाहरलाल नेहरू : जीप घोटाला 1948
इंग्लैड से सेना के लिए 200 जीपों की डील, लेकिन सिर्फ 155 जीप ही आई। घोटाले के आरोपी वीके मेनन को रक्षा मंत्री बनाया।
इंदिरा गांधी : पनडुब्बी घोटाला 1980
मोरारजी सरकार के समय में तय पनडुब्बी खरीदने की शर्तों में बदलाव किया। कुल सौदे की रकम का 7% दलाली।
राजीव गांधी: बोफोर्स घोटाला 1987
बोफोर्स तोप खरीदने में 80 लाख डालर की दलाली दी गई। कुल 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत मिली। राजीव गांधी भी संदिग्ध रहे।
राजीव गांधी: HDW घोटाला 1987
जर्मनी की पनडुब्बी कंपनी HDW पर डील में 20 करोड़ रुपये कमीशन देने का आरोप लगा।
सोनिया-मनमोहन की यूपीए सरकार: नौसेना टोही विमान घोटाला 2008-09
2008-09 में हुआ घोटाला। करीब 1000 करोड़ का घोटाला।
सोनिया-मनमोहन की यूपीए सरकार:: अगस्टा वेस्टलैंड घोटाला
वायुसेना के लिए 12 VVIP हेलीकॉप्टर खरीद में 360 करोड़ की घूस। मोदी सरकार ने बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से प्रत्यर्पित किया। सोनिया और राहुल गांधी पर भी शक।
सोनिया-मनमोहन की यूपीए सरकार:: एयरबस घोटाला- 2005-06
8000 करोड़ के सौदे में बिना जरूरत ज्यादा विमान खरीदे। दलाली के लिए 90 करोड़ दिए गए।