फेक न्यूज और अफवाहों के माध्यम से देश को बदनाम करने से लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े करने का ख्वाब देखने वाले गैंग देश का सौहार्द बिगाड़ने के लिए फिर सक्रिय हो गए हैं। इस गैंग में शामिल जेएनयू की छात्रा शेहला राशिद ने उत्तराखंड के देहरादून में कश्मीरी मुस्लिम छात्राओं को भीड़ द्वारा घेरने की अफवाहें फैलाई हैं। उसने अपने ट्वीट के माध्यम से इस प्रकार की अफवाहें फैलाई हैं। उनकी इस अफवाह के कारण कई लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया है। शेहला ने न सिर्फ भीड़ के इकट्ठा होने की बात लिखी है बल्कि यह भी लिखा है कि वहां पुलिस मौजूद है लेकिन वह किसी को हटा भी नहीं रही है। जबकि उसे पता था कि जिस हॉस्टल की बात वह कर रही है उसमें करीब 75 छात्राएं रह रही है और वे सभी सुरक्षित हैं।
Ashok Kumar, ADG (Law&Order), Uttarakhand: The incident of students being trapped in a girls hostel is a rumour being spread on social media. A procession was taken up by locals in wake of the #PulwamaAttack where people were chanting ‘Pakistan murdabad’. pic.twitter.com/4DGkVxn7YP
— ANI (@ANI) February 17, 2019
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जबकि उत्तराखंड के एडीजी अशोक कुमार का कहना है कि देहरादून के एक महिला हॉस्टल में रह रही कश्मीरी छात्रा को घेरने की बात बिल्कुल अफवाह है। उन्होंने कहा कि पुलवामा में आतंकी हमले के खिलाफ कुछ स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। प्रदेश के एडीजी अशोक कुमार के बयान से यह साबित हो गया है कि शेहला राशिद और उसके गैंग ने पाकिस्तान के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए जाने से नाराज होकर ही यह अफवाह फैलाई है। उन्होंने न केवल कश्मीरी छात्रओं को छात्रावास में घेरने की अफवाह फैलाई है बल्कि उससे पहले उसने उत्तराखंड में कश्मीरी छात्रों के खिलाफ हमला होने की अफवाह फैलाई है। उसने उत्तराखंड प्रशासन और सरकार के नाम ट्वीट कर अफवाह फैलाने का रास्ता चुना है ताकि लोगों को उसकी बात सच लगे।
This is not true …Police sorted out d issue ..There r no crowds .. Initially there was an allegation that kashmiri students raised pro pakistan slogans.
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 16, 2019
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जेएनयू की फ्रीलांस प्रोटेस्टर के रूप में प्रख्यात हो चुकी शेहला राशिद ने एक अर्जेंट ट्वीट के नाम ट्वीट किया कि देहरादून के डॉल्फिन इंस्टीट्यूट की 15-20 छात्राओं को हॉस्टल के एक कमरे में बंदर कर भीड़ ने घेर लिया है। वहां पुलिस तो मौजूद है लेकिन वह भीड़ को भगा नहीं रही है। इतना ही नहीं अपने ट्वीट के द्वारा उसने यह भी अफवाह फैलाने की कोशिश की कि वहां जमा भीड़ उन छात्राओं को डॉल्फिन इंस्टीटूयट से निकालने की मांग कर रहे हैं।
#DONT_SPREAD_RUMOURS
शुधोवाला स्थित हास्टल मेॆ वर्तमान कतिपय अफवाहें फैलाई जा रही है कि हास्टल मेॆ बालिकाओ को बंद किया गया हैं। जो कि बिल्कुल निराधार है वर्तमान में हास्टल मेॆ 75 बालिकाओ रह रही है व ऐसा कुछ भी नही व स्थिति सामान्य है। pic.twitter.com/ykHvHXaeZC— SSP Dehradun (@DehradunSsp) February 17, 2019
उनकी अफवाहों की सच्चाई दो मिनट में सामने आ गई जब देहरादून के एसएएसपी ने हॉस्टल की कई तस्वीरें शेयर करते हुए ट्वीट किया कि ये शुधोवाला स्थित हास्टल को लेकर जो बातें सोशल मीडिया में कही जा रही है वह सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के ध्येय से कही जा रही है। हास्टल में छात्राओं को बंद करने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हास्टल में 75 बालिकाएं रह रही हैं और वहां की स्थिति बिल्कुल सामान्य है।
शेहला राशिद की आदत रही है फेकन्यूज फैलाना
ऐसा नहीं है कि शेहला पहली बार ऐसी अफवाहें और फेकन्यूज फैलाई है। उसके बारे में कहा जाता है कि वह इसी का खाती है। तभी तो उसका नाम जेएनयू में फ्रीलांस प्रोटेस्टर के रूप में विख्यात है। ध्यान रहे कि फ्रीलांस प्रोटेस्टर उसे कहते हैं जो पैसे लेकर किसी के लिए प्रदर्शन करने को तैयार हो जाए। इससे पहले उसने कठुआ रेप कांड में यही भूमिका निभाई थी। उसने ही देश और हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कठुआ रेप कांड को सांप्रदायिक रंग देने के लिए अफवाह फैलाई थी।
कठुआ रेप केस के लिए जमा धन चुराने का आरोप
शेहला राशिद पर महज अफवाह और फेक न्यजू फैलाने का ही आरोप नहीं है। उसके खिलाफ कठुआ रेप केस मामले में मासूम बच्ची को इंसाफ दिलाने के लिए जो एकत्रित धन चुराने का आरोप है। मालूम हो कि जब कठुआ रेप कांड को सांप्रदायिक रंग देकर गुनहगारों को सजा दिलाने के नाम पर जो आंदोलन हुआ था वह पूरी तरह प्रायोजित था। इसके पीछे कुछ देशविरोधी पत्रकारों के साथ जेएनयू के टुकड़े-टुकड़े गैंग का हाथ था। ध्यान रहे कि इस आंदोलन में यही शेहला राशिद ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। खासकर इस आंदोलन को चलाने तथा पीड़ित परिवार की मदद करने के लिए धन इकट्ठा करने में। ताज्जुब की बात है कि जिसकी मदद के लिए धन इकट्ठा किया गया उसे आज तक एक पैसे की मदद नहीं की गई। उसके परिवारवालों का कहना था कि उन्हें केस लड़ने के लिए आजीविका के साधन रही बकरी तक बेचनी पड़ी। अब सवाल उठता है कि आखिर मासूम बच्ची को इंसाफ दिलाने के लिए इकट्ठा किया गया धन हुआ क्या? पीड़ित परिवार ने शेहला राशिद पर उस फंड की चोरी करने का आरोप लगाया।
.@Shehla_Rashid had proudly claimed collections in excess of Rs 40 lakhs within a week for Kathua victim’s family but the family says they have been forced to sell their livestock for commuting to Courts. Where is the money? https://t.co/PioKYsuhak via @opindia_com
— ৱিকাশ সাৰস্বত Vikas Saraswat (@VikasSaraswat) November 1, 2018
दुनिया में सबसे बड़ा पाप माना जाता है दान का पैसा खाना। वैसे तो वामियों को पाप-पुण्य से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन खुद को मानवीय होने का डंका तो पीटते रहते है। इससे बड़ी अमानवीयता क्या हो सकती है कि एक गरीब माता-पिता की मासूम बेटी की रेप के बाद हत्या मामले को तूल देकर उसके नाम पर इकट्ठा लाखों रुपये चंदा अपनी अय्याशी पर उड़ा दिया हो। कठुआ रेपकांड के पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के नाम पर शेहला राशिद जैसी वामी एक्टिविस्ट ने लाखों रुपये चंदा इकट्ठा किया। 40.63 लाख रुपये इकट्ठा होने की जानकारी शेहला राशिद ने ट्वीट कर बताई थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से एकत्रित फंड से उन्नाव रेप पीड़िता को मदद करने की डींगें भी हांकी थी। लेकिन दूसरों की मदद की तो बात छोड़िए कठुआ कांड के पीड़ित परिवार की भी मदद नहीं की गई।
इस आरोप पर जब शेहला को जवाब देने को कहा तो उन्होंने इस पूरी रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया। जबकि उन्होंने खुद ट्वीट कर बताया था कि अभी तक एकत्रित 40 लाख रुपये के फंड में से 10 लाख रुपये पीड़ित परिवार को दिया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि उस परिवार को आज तक एक पैसा नहीं दिया गया।
जिस प्रकार शेहला राशिद ने उत्तराखंड में कश्मीरी छात्राओं के घेरने की अफवाह फैलाई है उसे देखकर यह तो तय हो गया है कि देश के लिए कितना भी संवेदनशील मु्द्दा क्यों न हो वामपंथी विचारधारा वाले अपनी घिनौनी हरकत से बाज नहीं आने वाले।