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उद्घाटन के नाम पर जनता से अखिलेश यादव का फर्जीवाड़ा

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का फर्जीवाड़ा सामने आया है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले अखिलेश यादव ने परियोजनाओं के उद्घाटन करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन अगर इन परियोजनाओं के हिसाब से आपने कहीं गाड़ी दौड़ाई तो समझ लीजिए कि आपकी जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। अखिलेश यादव को अपना नाम देखने का इतना शौक है कि वो आम आदमी की जिंदगी को भी खतरे में डालने पर आमादा हैं। उन्होंने महज 6 घंटे में 5500 परियोजनाओं का उद्घाटन कर दिया, जबकि सच्चाई कुछ और है। हम आपके सामने कुछ चुनिंदा परियोजनाओं में उनका फर्जीवाड़ा दिखा रहे हैं।

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे – मौत का हाईवे

लखनऊ से आगरा को जोड़ने वाला लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे का उद्घाटन 21 नवंबर, 2016 को कर दिया गया। जनता को लुभाने के लिए, 302 किमी के एक्सप्रेस वे के मात्र तीन किमी के क्षेत्र पर लड़ाकू विमान उतरवा दिया गया। जबकि हकीकत कुछ और ही है। हकीकत कोसो दूर है, इस एक्सप्रेस वे का काम अभी आधा-अधूरा ही है। क्योंकि इस एक्सप्रेस वे पर ना तो डिवाइडर बना है और न डिफर लाइन। सर्विस लेन का अता पता ही नहीं है। पूरे एक्सप्रेस वे पर कहीं भी साइनबोर्ड नहीं लगा है। और तो और सड़क पर कट जैसी महत्वपूर्ण चीजों का काम अब तक नहीं हुआ है। ऐसे में, अगर आप  इस एक्सप्रेस वे को सही में चलती स्थिति में माने तो इस पर पैदल चलना अपने हथेली पर जान लेकर चलने के बराबर होगा। अखिलेश जी आपने ये अधूरा एक्सप्रेस वे का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की जनता को मारने के लिए किया है। क्या आपकी नजरों में प्रदेश की जनता की जान की कोई कीमत नहींं है।

लखनऊ मेट्रो – पब्लिक के लिए नो इंट्री

उत्तर प्रदेश में मेट्रो सेवा के लिए केंद्र सरकार ने 550 करोड़ रुपए दे चुकी है। लखनऊ मेट्रो को फंड की कमी न हो, इसके लिए 3500 करोड़ रुपए कर्ज की भी व्यवस्था केंद्र सरकार ने की है। इसके बावजूद साढ़े 8 किमी का ही ट्रैक तैयार हो पाया है जबकि पहले चरण में 23 किमी का मेट्रो ट्रैक बनना था। चुनाव के मद्देनजर आनन फानन में मेट्रो का भी उद्घाटन इस उद्घाटनवीर अखिलेश यादव ने कर दिया। उद्घाटन किए जा चुके 8 किमी ट्रैक पर बने स्टेशनों का काम अब भी अधूरा है। उद्घाटित लेन पर मेट्रो परिचालन शुरू नहीं हुआ है और न ही जनता के लिए यह खोला गया है। ऐसे में, जनता के साथ खुलेआम फर्जीवाड़ा नहीं तो और क्या है।

Pravakta | प्रवक्‍ता.कॉम से साभार

उत्तर प्रदेश – अपराध प्रदेश

अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था कि प्रदेश की कानून व्यवस्था दुरुस्त रखेंगे। इसके लिए डायल 100 के तहत पुलिस को सशक्त करने की बात की। इसके बाद भी साल दर साल अपराधों की संख्या बढ़ती रही। पूरे पांच साल के कार्यकाल में अखिलेश यादव ने प्रदेश के सिर्फ और सिर्फ 11 जिले में डायल 100 योजना लागू कर पाए। प्रदेश के 64 जिलों में अब तक डायल 100 का अता-पता नहीं है।

जनेश्वर मिश्र पार्क – यहां कुछ भी नहीं है साफ

जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसका आधा अधूरा ही निर्माण अब तक हुआ है। इसके बाद भी इसका उद्घाटन अखिलेश यादव ने आनन-फानन में कर दिया। यहां न किड्स जोन बन पाया है और न ही झील का काम पूरा हुआ है। उद्घाटन के पांच महीने बाद भी यहां बनने वाला ‘कहानी घर’ और इंडोर स्टेडियम का अता-पता नहीं है।

खेल मानक पर खरा नहीं इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम

लखनऊ इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन तो 20 दिसंबर, 2016 को ही अखिलेश यादव ने कर दिया लेकिन यह स्टेडियम खेल मानकों पर अब तक खरा नहीं उतरा है। वह उतरेगा भी कैसे। क्योंकि स्टेडियम में अब तक फिनिशिंग का काम अधूरा है। स्टेडियम तक पहुंचने वाली सड़कों की हालत एकदम खस्ता है। पूरे स्टेडियम में कहीं भी अभी तक बैठने की व्यवस्था नहीं है लगता है दर्शक जैसे बबुआ की गोद में बैठकर मैच देखेंगे। फिर भी अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन कर दिया। यह जनता को सिर्फ मूर्ख बनाने की कोशिश है।

मुख्यमंत्री का हाईटेक कार्यालय – लोकभवन

मुख्यमंत्री कार्यालय को हाईटेक बनाने के लिए नया मुख्यमंत्री कार्यालय लोकभवन का उद्घाटन 3 महीने पहले ही अखिलेश यादव ने कर दिया। वह भी तब, जब कार्यालय बनकर तैयार हुआ ही नहीं है। यहां तीन ब्लॉक बनने हैं, लेकिेन अब तक दो ब्लॉक का निर्माण नहीं हुआ है। एक ब्लॉक बना भी है, तो वह भी अभी अधूरा ही है। इसमें भी पार्किंग का काम पूरा नहीं हो पाया है। जो मुख्यमंत्री अपना कार्यालय ठीक नहीं बनवा सकता, वह प्रदेश कैसे ठीक रख सकता है। यह उत्तर प्रदेश की जनता को समझना होगा।

अधूरा है जेपीएन इंटरनेशनल सेंटर

जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) का उद्घाटन अखिलेश यादव ने जेपी जयंती पर कर दिया। लेकिन यह सेंटर अब तक पूरी तरह से बना नहीं है। अधूरे सेंटर का उद्घाटन करके अखिलेश यादव ने स्वर्गीय जेपी का भी अपमान किया है। इस सेंटर में स्पा से लेकर लाइब्रेरी तक की सभी सुविधाएं प्रस्तावित थी। यहां स्पोर्ट्स ब्लॉक, एक्वेटिक ब्लॉक, गेस्ट हाउस आदि का काम अब तक अधूरा है। हैलीपैड अब तक नहीं बना है। इस सेंटर में अगर कुछ बना है तो वह केवल संग्रहालय ब्लॉक बना है।

गोमती रिवटफ्रंट का काम सिर्फ 16 फीसदी

गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के तहत गोमती नदी के 12 किमी के किनारों का सौंदर्यीकरण होना है। लेकिन लगभग दो साल से काम चलने के बाद भी मात्र 16 फीसदी ही काम हो पाया। इसे मार्च, 2017 में पूरा होना था। लेकिन 10 किमी का काम बाकी है। वहीं, गोमती नदी के किनारे चिल्ड्रेन पार्क, म्यूजिकल फाउंटेन, साइकिल ट्रैक, फूड प्लाजा, फुटबॉल कोर्ट, फ्लॉवर शो, ओपन एयर थियेटर, एम्पीथियेटर कहीं नहीं दिख रहा है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जाने क्यों इसका उद्घाटन कर दिया।

पब्लिक की एंट्री है बैन, इटावा लॉयन सफारी
करोड़ों रुपए खर्च करके इटावा में लॉयन सफारी बनाया जा रहा था। लेकिन लापरवाही और रखरखाव के अभाव में शेर-शेरनी की मौतों के चलते प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद भी, इसी सफारी में बनने वाले हिरण सफारी का उद्घाटन अखिलेश यादव ने कर दिया। इसके बाद भी इसे पर्यटकों के लिए खोला नहीं गया है।

समाजवादी स्मार्ट फोन – जनता के लिए झुनझुना
समाजवादी स्मार्ट फोन योजना अखिलेश यादव ने जनता को चुनावी वर्ष में लुभाने के लिए लॉन्च किया है। अगर अखिलेश दोबारा सत्ता में लौटेंगे तो सरकार वापस आई तो स्मार्टफोन दिए जाएंगे। स्मार्ट फोन बांटने का काम 2017 की दूसरी छमाही में होगा। अगर सरकार नहीं आई तो फोन नहीं मिलेगा। इसके लिए भी रजिस्ट्रेशन का काम 10 अक्टूबर, 2016 से 25 नवंबर, 2016 तक जोरों से जारी रहा।

इन योजनाओं की हकीकत और ताबड़तोड़ उद्घाटन से एक बात समझ में आ रही है, वो यह कि अखिलेश यादव को पहले से पता हो गया है कि वह चुनाव में हार जाएंगे। और दोबारा मुख्यमंत्री नही बन पाएंगे। इसलिए आधा-अधूरा ही सही जितना बना-बना, नहीं बना तो मेरी बला से। शिलान्यास किया है तो लगे हाथों उद्घाटन भी करते चलो।

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