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बायोफ्यूल से विमान उड़ाने वाला पहला विकासशील देश बना भारत, देहरादून से दिल्ली तक भरी सफल उड़ान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बायोफ्यूल के बड़े हिमायती रहे हैं। पर्यावरण अनुकूल बायो ईंधन के बहुत फायदे हैं। भारत ने बायोफ्यूल के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। स्पाइस जेट एयरलाइन्स के बायोफ्यूल उड़ने वाले विमान ने सोमवार को देहरादून से उड़कर दिल्ली में सफल लैडिंग की है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में यह प्रयोग सफल रहा है। अब भारत भी इन्हीं देशों की श्रेणी में आ गया है। विकासशील देशों में यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत पहला देश है। आपको बता दें कि साल की शुरुआत में ही दुनिया की पहली बायोफ्यूल फ्लाइट ने लॉस एंजेलिस से मेलबर्न के लिए उड़ान भरी थी। बायोफ्यूल से उड़ने वाले विमान ने जब दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर लैंडिंग की तो वहां विमान का स्वागत करने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान और सुरेश प्रभु समेत कई मंत्री और अधिकारी मौजूद थे। इस विमान में 25% बायो फ्यूल के साथ एयर टर्बाइन फ्यूल की 75% मात्रा मिलाई गई थी। यह बायोफ्यूल जट्रोफा (रतनजोत) के बीज से बना है। जाहिर है कि इससे विमानों के उड़ान की लागत में 20% तक कमी आएगी।

आपको बता दें कि 2012 में देहरादून स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) ने कनाडा की मदद से वहां बायोफ्यूल से उड़ान का सफल प्रयोग किया था, लेकिन इस बार भारत ने अपने दम पर सफलतापूर्वक प्रयोग पूरा किया है। इस 78 सीटर विमान में आईआईपी के निदेशक अंजन रे, केटालिसिस डिविजन की प्रमुख अंशु नानौती, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्रोजेक्ट अफसर सुमित सरकार समेत प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम अफसर मौजूद थे।

2012 में पेट्रोलियम विज्ञानी अनिल सिन्हा ने जट्रोफा के बीज के कच्चे तेल से बायोफ्यूल बनाने की टेक्नोलॉजी का पेटेंट कराया। इस फ्लाइट में इस्तेमाल हो रहा फ्यूल उन्हीं की टेक्नोलॉजी व निगरानी में बना है। कर्नाटक बायोफ्यूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ रहे वाईबी रामाकृष्ण ने बड़े पैमाने पर बायोफ्यूल तैयार करके दिखाया। आईआईपी के निदेशक अंजन रे के मुताबिक बायोफ्यूल को अपनी ही लैब में तैयार किया गया है। लैब की क्षमता एक घंटे में 4 लीटर बायोफ्यूल बनाने की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ में 500 किसानों से जट्रोफा के दो टन बीज लिए गए, जिनसे 400 लीटर फ्यूल बना। इस पर डेढ़ महीने तक 20 लोग दिन-रात काम करते रहे। 300 लीटर बायोफ्यूल के साथ 900 लीटर एटीएफ विमान के राइट विंग में भरा जाएगा। लेफ्ट विंग में 1200 लीटर एटीएफ इमरजेंसी के लिए रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी हैं बायोफ्यूल के बड़े पैरोकार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बायोफ्यूल के बड़े पैरोकारों में से एक हैं। इसी महीने दस अगस्त को वर्ल्ड बायोफ्यूल डे के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में श्री मोदी ने कचरे से बायोफ्यूल बनाने पर जोर दिया था। इसी कार्यक्रम में उन्होंने वैकल्पिक माध्यमों से बिजली बनाने, प्रदूषण को कम करने, वैकल्पिक ऊर्जा का प्रसार करने की अपनी सरकार की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी थी। भारत तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। पीएम मोदी ने भी हाल मे ‘नैशनल पॉलिसी फॉर बायोफ्यूल 2018’ जारी की थी। इसमें आनेवाले 4 सालों में एथेनॉल के प्रॉडक्शन को 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। अगर ऐसा होता है तो तेल आयात के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये तक बचाए जा सकते हैं।

हवाई उड़ानों में बायोफ्यूल का फायदा
अगर विमान में बायोफ्यूल इस्तेमाल होने लगा तो हर साल 4,000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। साथ ही विमानों की ऑपरेटिंग लागत भी 17% से 20% तक कम हो जाएगी। भारत में बायोफ्यूल का आयात तेजी से बढ़ रहा है। 2013 में 38 करोड़ लीटर बायोफ्यूल की सप्लाई हुई, जो 2017 में 141 करोड़ लीटर तक पहुंच चुकी थी। आपको बता दें कि कुल कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में एयर ट्रैवल की भूमिका 2.5% है, जो अगले 30 साल में चार गुना तक बढ़ सकती है। बायो फ्यूल इसी एमिशन पर काबू रख सकता है। बायोफ्यूल सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनता है। जीवाश्म ईंधन की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, एयरलाइंस इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन (IATA) नाम की ग्लोबल असोसिएशन ने लक्ष्य रखा है कि उनकी इंडस्ट्री से पैदा होने वाले कॉर्बन को 2050 तक 50 प्रतिशत कम किया जाए। एक अनुमान के मुताबिक, बायोफ्यूल के इस्तेमाल से एविएशन क्षेत्र में उत्सर्जित होनेवाले कार्बन को 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

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