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मोदी सरकार रखेगी रेल यात्रियों का ध्यान, ट्रेन लेट होने पर मिलेगा मुफ्त खाना व पानी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के कायापलट में लगी है। पिछले चार वर्षों में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी, स्टेशनों के आधुनिकीकरण, ऑनलाइन टिकटों की बिक्री, टिकट आरक्षण की प्रणाली में बदलाव समेत तमाम कदम उठाए गए हैं। रेलवे के सामने ट्रेनों की लेटलतीफी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। रेल मंत्रालय के मुताबिक इस समस्या से निजात दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसबीच रेल मंत्रालय ने फैसला लिया है कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मुफ्त में खाना-पीना उपलब्ध कराया जाएगा।

अब रविवार के दिन होगा मेगा ट्रैफिक ब्लॉक
रेल मंत्रालय के मुताबिक ट्रेनें लेट होने की मुख्य वजह कई जगहों पर सिग्नल व्यवस्था, ट्रैक सुधार, विद्युतीकरण आदि का कार्य है। अब रविवार के दिन ही मेगा ट्रैफिक ब्लॉक कर छुट्टी वाले दिन ही यह सारे कार्य किए जाएंगे, और जिन जगहों पर ज्यादा समस्या है, जैसे इलाहाबाद और मुगलसराय के बीच, वहां पर एलिवेटेड ट्रैक, बाईपास रेल ट्रैक बनाकर ट्रेनों को राइट टाइम चलाया जाएगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अगर ट्रेन देरी से संचालित होती है तो रेलवे यात्रियों को मुफ्त में खाना व पानी देगा। दरअसल रेलवे ने निर्माणकार्य को ध्यान में रख प्रतिदिन दो-तीन घंटे व रविवार को मेगा ट्रैफिक ब्लॉक लेने का निर्णय लिया है।

इस दौरान अगर ट्रेन किसी भी स्टेशन पर रुकती है तो खाने के समय में यात्रियों को मुफ्त खाना दिया जाएगा। आईआरसीटीसी को अपनी तरफ से यात्रियों के लिए लंच और पीने के पानी की व्यवस्था करेगा, इतना ही नहीं अनारक्षित श्रेणी वाले यात्रियों को खाना देने पर रेल मंत्रालय विचार करेगा।

रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंड बाई रखे जाएंगे
यात्रियों को अब ट्रेनों की रवानगी के लिए आने वाली ट्रेन का इंतजार नहीं करना होगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अब रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंडबाई रखे जाएंगे, ताकि ट्रेन को समय से रवाना किया जा सके। अभी तक होता यह कि आने वाली ट्रेन को ही वापस रवाना किया जाता है, और रवाना होने से पहले ट्रेन की साफ-सफाई आदि में 6 घंटे का वक्त लगता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा कोच निर्माण कर इस समस्या से समाधान ढूंढा जाएगा। इसके लिए रेलवे 700 से 800 नए कोच र्निमित करने के बारे में योजना बना रहा है। ये कोच उस वक्त कामगार साबित होगें जब आने वाली ट्रेन रास्ते में लेट हो रही हो।

मोदी सरकार रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सरकार का ध्यान रेल यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण सुविआएं प्रदान करने पर है। एक नजर डालते हैं मोदी सरकार में किस तरह आगे बढ़ रही है भारतीय रेल-

अनारक्षित टिकट के लिए मोबाइल एप लांच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश डिजिटलीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे में आरक्षित टिकटों की ऑनलाइन बिक्री तो काफी पहले शुरू हो गई थी लेकिन अनारक्षित टिकटों के लिए आज भी स्टेशन पर रेलवे विंडो पर लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। यात्रियों को इसी परेशानी से निजात दिलाने के लिए मोदी सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप के माध्यम से आसानी से अनारक्षित टिकट बुक किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस टिकट के प्रिंट की जरूरत नहीं है, टीटी को मोबाइल पर ही टिकट दिखाया जा सकता है। मोबाइल आधारित एप्लिकेशन ‘अटसनमोबाइल’ को रेल सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने विकसित किया है।

रेल मंत्रालय के मुताबिक ‘अटसनमोबाइल’ एप में सावधिक (सीजन) और प्लेटफॉर्म टिकटों के नवीनीकरण, आर-वॉलेट की बकाया राशि की जांच और लोड करने तथा यूजर प्रोफाइल मैनेजमेंट और बुकिंग हिस्ट्री की भी सुविधा है। रेल यात्री इस एप को गूगल प्ले स्टोर या विंडोज स्टोर से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। इस एप में यात्री सबसे पहले अपना मोबाइल नंबर, नाम, शहर, रेल की डिफ़ॉल्ट बुकिंग, श्रेणी, टिकट का प्रकार, यात्रियों की संख्या और बार-बार यात्रा करने के मार्गों का विवरण देकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण कराने पर यात्री का जीरो बैलेंस का रेल वॉलेट (आर-वॉलेट) स्वत: ही बन जाएगा। आर-वॉलेट बनाने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। आर-वॉलेट को किसी भी यूटीएस काउंटर पर या वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्प के माध्यम से रीचार्ज किया जा सकता है। इस एप में अग्रिम टिकट बुकिंग की अनुमति नहीं है। यानि हमेशा वर्तमान तिथि में ही यात्रा की जाएगी।

रेल यात्रियों के लिए रेल मदद और मेन्यू ऑन रेल एप
रेल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने 11 जून को दो मोबाइल एप ‘रेल मदद’ और ‘मेन्यू ऑन रेल’ को लॉन्च किया। ‘मेन्यू ऑन रेल’ द्वारा सफर के दौरान यात्री खाने-पीने की चीजों के बारे में सभी जानकारी ले सकेंगे, वहीं, ‘रेल मदद’ मोबाइल ऐप से रेल संबंधी किसी भी शिकायत को दर्ज कराया जा सकेगा। रेलवे ने पिछले महीने इन दोनों एप को लॉन्च करने की घोषणा की थी। ‘मेन्यू ऑन रेल’ एप की मदद से यात्री यह जान पाएंगे कि ट्रेन में खाने के लिए क्या-क्या उपलब्ध है। सामान के साथ-साथ उनकी कीमत भी बताई जाएगी। एप का इस्तेमाल करते हुए यात्री को पहले यह सिलेक्ट करना होगा कि वह किस ट्रेन में सफर कर रहा है, जैसे राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, गतिमान या फिर तेजस। इसके हिसाब से उपलब्ध खाना दिखाया जाएगा। 

मोदी राज में रेलवे का कायाकल्प
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे का चहुमुंखी विकास और विस्तार हो रहा है। मोदी राज में एक के बाद एक तमाम ऐसी योजनाएं शुरू की गई है जिससे रेल यात्रियों का सफर सुहाना होने के साथ ही किफायती और सुविधाजनक भी होता जा रहा है। पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने ‘साफ नीयत, सही विकास’ के दर्शन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा को भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है। सुरक्षा अब सर्वोच्च प्राथमिकता हो गई है और इसके परिणामस्वरूप ट्रेन दुर्घटनाएं वर्ष 2013-14 के 118 से घटकर वर्ष 2017-18 में 73 रह गईं। इस तरह ट्रेन दुर्घटनाएं घटकर 62 प्रतिशत के स्‍तर पर आ गईं। 1 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) फंड को 5 वर्षों में सुरक्षा खर्च के लिए आवंटित किया गया है। असुरक्षित रेलवे क्रॉसिंग की समस्‍या से युद्ध स्‍तर पर निपटने के लिए पिछले चार वर्षों में 5,479 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त किया गया है। सुरक्षा में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों के तहत भर्ती के माध्यम से 1.1 लाख सुरक्षा पद भी भरे जा रहे हैं।

रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण में हुआ रिकॉर्ड स्तर पर काम
‘नए भारत’ के लिए बुनियादी ढांचे की नींव रखकर पूंजीगत व्यय में व्‍यापक वृद्धि की गई है। पिछले 4 वर्षों में औसत वार्षिक पूंजीगत व्यय दरअसल वर्ष 2009-14 के दौरान हुए औसत व्‍यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। रेलवे अत्‍यंत तेज गति से पूरे भारत को जोड़ रही है। नई लाइनों को चालू करने की औसत गति में 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो 4.1 किमी (2009-14) से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन (2014-18) के स्‍तर पर पहुंच गई है।

परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
विस्तार और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए बेंगलुरू उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 17,000 करोड़ रुपये) और मुंबई उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 54,777 करोड़ रुपये) के लिए व्‍यापक निवेश निर्धारित करने से भारत के शहरी क्षेत्रों में नियमित दैनिक यात्रि‍यों की आवाजाही को काफी बढ़ावा मिला है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एचएसआर) गति, सुरक्षा और सेवा के माध्यम से भारत के परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। एचएसआर परियोजना से ‘मेक इन इंडिया’ संबंधी लाभों के अलावा रेलवे लातूर, (मराठवाड़ा) महाराष्ट्र; न्‍यू बोंगाईगांव, असम; लुमडिंग, असम; झांसी, (बुंदेलखंड) उत्तर प्रदेश और सोनीपत, हरियाणा में अनेक आगामी परियोजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर और आर्थिक विकास सृजित कर रही है। रेलवे ने विद्युतीकरण में छह गुना वृद्धि के साथ टिकाऊ रेल परिवहन की ओर अग्रसर होना शुरू कर दिया है। इसके तहत विद्युतीकरण को वर्ष 2013-14 के दौरान 610 आरकेएम से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 के दौरान 4,087 आरकेएम कर दिया गया।

माल ढुलाई में भारी वृद्धि
रेलवे ने वर्ष 2017-18 में 1,162 एमटी और वर्ष 2016-17 में 1,107 एमटी की सर्वाधिक माल ढुलाई के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। माल ढुलाई आमदनी भी पिछले साल की तुलना में अनुमानित 12 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2017-18 में लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 तक विभिन्‍न चरणों में समर्पित माल गलियारों (डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर) के चालू हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।

सुविधा पर जोर
डिजाइन में स्थानीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हुए रेलवे एस्केलेटर, लिफ्ट, नि:शुल्क वाई-फाई इत्‍यादि सहित आधुनिक सुविधाएं स्‍थापित करके स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने समेत यात्री सुविधाओं को बेहतरीन कर रही है। मार्च 2019 तक 68 रेलवे स्टेशनों में सुधार लाया जाना निर्धारित है। सरकार ने तेजस, अंत्योदय एवं हमसफर रेलगाडि़यों का परिचालन शुरू करने समेत रेलगाडि़यों एवं रेल डिब्बों को काफी सुधार दिया है। यात्रियों की यात्रा एवं आराम संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए त्योहारी मांग पूरी करने के लिए 1.37 लाख रेल सेवाओं के साथ पिछले चार वर्षों के दौरान 407 नई रेल सेवाएं आरंभ की गई हैं। खान-पान (केटरिंग) भी रेलवे का एक फोकस क्षेत्र रहा है जिसमें 300 से भी अधिक रेलगाडि़यों में खाने-पीने की सभी वस्तुओं पर एमआरपी की प्रिंटिंग अनिवार्य कर दी गई है और इसके साथ ही गुणवत्ता एवं स्वच्छता में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बेस किचनों में भोजन बनाने पर करीबी नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग किया जा रहा है।

सुधार के कारण समय पर असर
बुनियादी ढांचे और सुरक्षा कार्यों को प्राथमिकता देने के कारण अल्पावधि में समय के पालन पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन लंबी अवधि में इससे त्‍वरित और सुरक्षित ट्रेन आवाजाही सुनिश्चित होगी। रनिंग समय को कम करके और नियोजित रखरखाव ब्लॉकों की अनुमति देकर ट्रेनों की समय-सारणी बेहतर कर दी गई है। ट्रेनों में किसी भी देरी के बारे में यात्रियों को सूचित करने के लिए 1,373 ट्रेनों पर एसएमएस सेवाएं आरंभ की गई हैं।

स्वच्छता को प्राथमिकता
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए भारतीय रेल भी अपनी ओर से इसमें अहम योगदान दे रही है। साफ-सफाई, तीसरे या अन्‍य पक्ष द्वारा स्वतंत्र सर्वेक्षणों सहित स्वच्‍छता, एकीकृत मशीनीकृत साफ-सफाई की शुरुआत , बॉयो-टॉयलेट, गंदगी साफ करने के लिए ऑटोमैटिक रेल-माउंटेड मशीन, इत्‍यादि पर प्रमुखता के साथ फोकस रहा है।

भारतीय रेलवे ने डिजिटल पहलों और पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। ई-रिवर्स नीलामी नीति शुरू की जा रही है जिससे लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन में सरल अनुमोदन प्रक्रियाओं की बदौलत संबंधित प्रक्रिया में लगने वाली समयसीमा 30 माह से घटाकर 6 माह हो गई है।

देश का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय
13 लाख से भी अधिक सदस्‍यों वाले रेल परिवार को सशक्त बनाने और उनका कौशल बढ़ाने के महत्व को ध्‍यान में रखते हुए निचले स्‍तर पर अधिकारों को सौंपने या हस्‍तांतरण करने सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है। कर्मचारी सशक्तिकरण से लेकर कौशल बढ़ाने के नए अवसरों पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए रेलवे अपने कार्यबल में एक नई ऊर्जा भर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेलवे जीवन रेखा बन जाए और जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे सके और 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।

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