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मोदीराज में अर्थव्यवस्था की बल्ले-बल्ले: 2017-18 में 18% बढ़कर 28.25 लाख करोड़ हुआ एफडीआई

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत होती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का ही असर है कि आज भारत में विदेशी कंपनियां खूब निवेश कर रही हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 18 प्रतिशत बढ़कर 28.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष के दौरान एफडीआई 4,33,300 करोड़ रुपये बढ़कर 28,24,600 रुपये पर पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मॉरीशस से (19.7 प्रतिशत) हुआ है। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और जापान का स्थान है।

मोदी सरकार ने अहम क्षेत्रों में एफडीआई नीति में सुधार को और आगे बढ़ाते हुए कई बड़े कदम उठाए है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की अध्‍यक्षता में कैबिनेट ने एफडीआई नीति में कई संशोधनों को मंजूरी दी है। इन संशोधनों का मकसद एफडीआई नीति को और ज्‍यादा उदार और सरल बनाना है, जिससे देश में कारोबार करने में और आसानी हो। कैबिनेट के इस फैसले से विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा जो निवेश, आय और रोजगार में उल्‍लेखनीय योगदान करेगा।

FDI के मोर्चे पर 20 वर्ष में पहली बार भारत ने चीन को पछाड़ा
भारत 20 साल में पहली बार एफडीआई हासिल करने के मामले में चीन से आगे निकल गया है। वर्ष 2018 में वालमार्ट, Schneider Electric और यूनीलीवर जैसी कंपनियों से भारत में आए निवेश के चलते ये संभव हो सका। इस दौरान भारत में 38 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि चीन सिर्फ 32 अरब डॉलर ही जुटा सका। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार और नए क्षेत्रों में भारी अवसरों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 235 सौदे हुए। पिछले 20 वर्षों से चीन विदेशी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना हुआ था। पिछले साल चीन के बाजारों में आंशिक मंदी और अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है। इस साल सबसे बड़ा सौदा वालमार्ट की तरफ से हुआ है। वालमार्ट ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट को खरीदा। इस सौदे का दूसरे विदेशी निवेशकों में भी सकारात्मक संकेत गया। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि तेजी का ये रुख आने वाले वर्षों में भी बना रहेगा।

मोदी राज में देश के इतिहास में सबसे अधिक विदेशी पूंजी निवेश
केंद्र सरकार ने ज्‍यादातर क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी है। इसके साथ ही सरकार ने हाल के महीनों में रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग जैसे कई क्षेत्रों में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं। इन कदमों के कारण देश में एफडीआई के प्रवाह में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 के दौरान कुल मिलाकर 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है, जबकि वर्ष 2013-14 में यह निवेश 36.05 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था। वर्ष 2015-16 के दौरान देश में कुल मिलाकर 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में कुल मिलाकर 60.08 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्राप्‍त हुआ, जो अब तक का सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर है।

साल निवेश
2013-14 36.05 अरब डॉलर
2014-15 45.15 अरब डॉलर
2015-16 55.46 अरब डॉलर
2016-17 60.08 अरब डॉलर

 

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, मेक इन इंडिया, जीएसटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली,में सुधार के बाद मोदी सरकार ने महसूस किया कि देश में इससे भी ज्‍यादा विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता है, जिसे एफडीआई व्‍यवस्‍था को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाकर प्राप्‍त किया जा सकता है। इसलिए सरकार ने एफडीआई नीति में संशोधन करने का निर्णय लिया।

निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बना भारत
इससे भारत को लेकर दुनिया की सोच बदली है। दुनिया भर की सभी प्रमुख कंपनियां आज भारत में निवेश करना चाहती हैं। उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (FDI) खासकर प्रवासी भारतीयों को घरेलू निवेशक के रूप में अनुमति दिए जाने से भारत एक आकर्षक जगह बन गया है।

पिछले दिनों सिंगापुर में आसियान-इंडिया प्रवासी भारतीय दिवस में अबू धाबी के लुलु ग्रुप इंटरनेशनल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक यूसुफ अली एमए ने कहा कि उदार एफडीआई नीति से देश में कई क्षेत्र खुले हैं और इससे निवेश के प्रवाह को गति मिली है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के निवेश को घरेलू माने जाने के निर्णय से भारत व्यापारियों के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया है।

मोदी काल में विदेशी निवेश क्यों बढ़ा
प्रधानमंत्री मोदी ने देश की आर्थिक व्यवस्था के ढांचे को मजबूत करने के लिए जिन ऐतिहासिक और साहसिक कदमों को उठाया है, उसी का यह परिणाम है कि विदेशी निवेशकों को भी भारत निवेश के लिए आकर्षक लगने लगा है। कोई भी विदेशी निवेशक अपनी पूंजी को उन्हीं देशों में लगाते हैं, जहां स्थायित्व के साथ-साथ उद्योगों को स्थापित करने के नियमों में सरलता और पारदर्शिता होती है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने से देश की आर्थिक व्यवस्था अधिक पारदर्शी और फार्मलाइज हुई है।

आर्थिक सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था में आये बदलावों पर विश्व के अनेक संस्थानों ने भी अपनी मुहर भी लगा दी है। बॉण्ड-क्रेडिट रेटिंग एजेंसी- मूडीज ने पिछले 14 सालों में पहली बार भारत की विश्व रैंकिंग में परिवर्तन किया, एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने ईज ऑफ डूइं‍ग बिजनेस के मामले में एक लंबी छलांग लगाई है। भारत अब 77वें पायदान पर पहुंच गया है, जबकि साल 2014 में भारत ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस के मामले में 142वें नंबर पर रहा था।

निवेश से ‘सबका साथ, सबका विकास’
प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक देश में सभी गरीबों को ऐसा घर देने का वायदा किया है, जो बिजली, पानी, और सड़क की मूलभूत सुविधाओं से युक्त होगा। इसके साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने का वायदा किया है। किसानों और गरीबों के साथ साथ देश के युवाओं के हाथ में रोजगार देने का भी संकल्प लिया है। देश की 125 करोड़ आबादी के विकास के लिए जिस धन के निवेश की आवश्यक्ता होगी, वह पूंजी देश में उपलब्ध नहीं है, इसके लिए अन्य देशों से पूंजी को निवेश करा कर, धन की जरूरत को पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी देश में धन की इस बड़े पैमाने पर जरूरत को सत्ता संभालने के पहले दिन ही समझ चुके थे, इसलिए उन्होंने उन आर्थिक सुधारों पर बल दिया जिससे विदेशी निवेश को बड़े पैमाने पर लाया जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधार
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों में देश में कई ऐतिहासिक आर्थिक सुधार किए-
• नोटबंदी से ‘क्लीन मनी’ अभियान को बढ़ाया
• जीएसटी से देश का आर्थिक एकीकरण किया
• डिजिटलाइजेशन से आर्थिक प्रणाली को पारदर्शी बनाया
• व्यापार संतुलन बनाया
• भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की नीतियां लागू की
• विदेशी कर्ज को घटाया
• विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाया
• तीन सालों में हुए 7000 छोटे और सूक्ष्म नियमों में सुधार किया

प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सुधारों से देश में रिकार्ड विदेशी पूंजी का निवेश
प्रधानमंत्री मोदी ने देश मे सबका विकास के संकल्प को पूरा करने के लिए, धन की आवश्यक्ता को पूरा करने के लिए जिन आर्थिक सुधारों को लागू किया, उसका ही परिणाम है कि देश में ऐतिहासिक विदेशी पूंजी का निवेश हो रहा है। कांग्रेस के दस सालों के शासन के दौरान, जिसमें देश के प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह थे, भी ऐसा पूंजी निवेश नहीं करवा सके जो प्रधानमंत्री मोदी के साढ़े चार साल के शासन के दौरान करवा दिया।

एफपीआई निवेश चार गुना बढ़कर 2,200 अरब रुपये रहने की उम्मीद
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश में भी अच्छी खबर आ रही है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष में एफपीआई का निवेश प्रवाह 2,200 अरब रुपये या 35 अरब डॉलर रहने का अनुमान जताया है। इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में घरेलू पूंजी बाजारों में एफपीआई के निवेश में चार गुना की वृद्धि होगी। इक्रा की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 में एफपीआई ने पूंजी बाजारों में सात अरब डॉलर का निवेश किया था। 

प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक सुधारों से देश को विकास के जिस मार्ग पर ला दिया है, उसपर देश को ही नहीं, विश्व के निवेशकों का भी भारत की आर्थिक वृद्धि में विश्वास बढ़ा है। भारत में बढ़ता यह विश्वास, प्रधानमंत्री मोदी की इस देश के प्रति की गई सच्ची सेवा है, जो पिछले तीस सालों में इस देश की कोई सरकार नहीं कर सकी।

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