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किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प पथ पर तेजी से बढ़ रही है सरकार: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि मौजूदा सरकार किसानों की आय डबल करने और उनके जीवन को आसान बनाने के संकल्प पथ पर तेजी से आगे बढ़ रही है। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित कृषि उन्नति मेले में आए देश भर के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस बात का पूरा ध्यान रख रही है कि अपनी आय बढ़ाने के लिए किसान जो भी विकल्प अपना रहे हैं, उसके लिए उन्हें पैसे की कमी ना हो।

बजट में किसानों के हित में कई प्रावधान

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को खेती के लिए कर्ज मिलना आसान रहे, इसलिए नए बजट में इससे संबंधित राशि में एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। यह राशि 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ कर दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि किराए पर जमीन लेकर यानि बंटाई की खेती करने वाले किसानों को आसानी से कर्ज दिलाने के लिए केंद्र, राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस सिलसिले में देश की सारी प्राइमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी के कंप्यूटरीकरण का काम तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेशनल बैम्बु निशन के लिए बजट में लगभग 1300 करोड़ रुपये का प्रावधान किसानों के हित में ही किया गया है।

किसानों को पूरी लागत से डेढ़ गुना ज्यादा MSP

मौजूदा सरकार ने बजट में किसानों को लागत से डेढ़ गुना ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) देने का प्रावधान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस प्रावधान को लेकर कुछ लोग भ्रम फैलाने और निराशा का वातावरण बनाने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधार किसानों की पूरी लागत को बनाया जाएगा। इसमें दूसरे श्रमिक के परिश्रम का मूल्य, किसानों के अपने मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, सभी तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया रेवेन्यू, लीज की जमीन के लिए दिया गया किराया और अन्य कई खर्च शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि खेत से उपभोक्ता तक सामान की जो कीमत बढ़ती है उसका लाभ किसानों को मिले। इसके साथ ही ऐसे कई इंतजाम किए जा रहे हैं कि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दूर तक न जाना पड़े। ऐसे ही एक प्रयास के तहत ग्रामीण हाटों को eNAM से जोड़ा जाएगा।

कृषि विज्ञान केंद्र आधुनिक कृषि का लाइटहाउस

कृषि उन्नति मेले के मौके पर प्रधानमंत्री ने जैविक खेती से जुड़े ई-मार्केटिंग पोर्टल और 25 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ई-पोर्टल देश के कृषि जगत में एक नया अध्याय है जिसके जरिये जैविक खेती से संबंधित जानकारी अब किसानों और उपभोक्ताओं को आसानी से उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 नये केंद्रों के साथ देश में कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या लगभग 700 होगी। उन्होंने कहा कि वो इन केंद्रों को आधुनिक कृषि के लाइटहाउस के तौर पर देखते हैं जो देश के कृषि जगत को प्रकाशवान बनाएगा।

अतिरिक्त आय के साधनों की कमी नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि Sweet Revolution यानि मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन में भी किसानों की आय बढ़ाने की पूरी क्षमता मौजूद है। छोटे स्तर पर 50 बॉक्स के साथ भी किसान अगर इसकी शुरुआत करता है तो साल भर में दो से ढाई लाख रुपये तक की अतिरिक्त कमाई हो सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सोलर फार्मिंग भी किसानों की अतिरिक्त आय में मददगार है। इसके जरिये सिंचाई की जरूरत को पूरा करने के साथ पर्यावरण को भी मदद मिलती है। इतना ही नहीं इसके जरिये प्राप्त अतिरिक्त बिजली सरकार को भी बेची जा सकती है।

स्वस्थ धरा तो खेत हरा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फसल के जिस अवशेष यानि पराली को किसान सबसे बड़ी आफत मानते हैं, उससे भी पैसा कमाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील की कि वो मशीनों के माध्यम से पराली खेत में मिला दें, तो ये अच्छा फर्टिलाइजर बनकर मदद करेगा। इससे मिट्टी की सेहत में जबरदस्त सुधार आता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार स्वस्थ धरा तो खेत हरा इस मंत्र को अपनाकर कृषि जगत को बढ़ावा देने में जुटी हुई है।

किसान और वैज्ञानिक: न्यू इंडिया के दो प्रहरी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह के उन्नति मेलों की न्यू इडिया की राह सशक्त करने में बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि इस मेले के माध्यम से उन्हें न्यू इंडिया के दो प्रहरियों से एक साथ बात करने का अवसर मिला है- एक प्रहरी हैं हमारे अन्नदाता तो दूसरे प्रहरी हमारे वैज्ञानिक हैं जो नई-नई तकनीक विकसित कर किसान का जीवन आसान करने में लगे रहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में कृषि सेक्टर ने अनेक मामलों मे पूरी दुनिया को राह दिखाई। आज समय के साथ चुनौतियां बहुत हैं लेकिन इनसे निपटने की दिशा में मौजूदा सरकार निरंतर कार्य कर रही है। टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक आधार पर कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देने का ही परिणाम है कि आज खाद की खपत कम हुई है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ा है।

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