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नेहरू से मोदी तक : परिवारवाद का जहर VS अंधेरे से रोशनी का सफर

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भारतीय राजनीति को अगर किसी ने सबसे ज्यादा बदनाम किया है तो वो परिवारवाद है। ये परिवारवाद चाहे-अनचाहे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से शुरू हुआ, जो राहुल गांधी-प्रियंका गांधी तक आकर नासूर बन चुका है। नेहरू-गांधी परिवार से शुरू हुई इस बीमारी ने यादव परिवार (मुलायम+लालू), पवार परिवार, अब्दुल्ला परिवार और सिंधिया परिवार से लेकर देश के हर राज्य की राजनीति को दूषित किया है। कई बारगी पता ही नहीं चलता कि देश में लोकतंत्र है या राजतंत्र। जो परिवार सत्ता पर काबिज है वो खुद को राजा समझता है और जो सत्ता से दूर है वो खुद को पीड़ित समझने के लिए अभिशप्त है, लेकिन राजनीति के इस दूषित चेहरे को अगर किसी ने फिर से पवित्र करने की कोशिश की है तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका परिवार है।

इंडिया टुडे ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक विशेष लेख प्रकाशित किया। इस लेख पर नजर डालें तो स्वाभाविक तौर पर जहन में एक ही बात आती है कि दुनिया की चकाचौंध से दूर सादगी से जी रहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिवार उम्मीदों और आशाओं से भरे भारतीय लोकतंत्र के लिए रोशनी की तरह है। शायद कम ही लोगों को पता हो कि गरीबी में जी रहे प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्य मेहनत मजदूरी कर चंद हजार रुपये ही कमाते हों, लेकिन ये भारतीय लोकतंत्र की सत्य की ताकत को प्रदर्शित करते हैं। जाहिर तौर पर मोदी का परिवार हमें देश के बाकी शाही परिवारों को परखने के लिए भी मजबूर करता है।

आइये आपको देश के सभी परिवारों की असलियत दिखाते हैं

चकाचौंध से दूर सादगी में जी रहा नरेंद्र मोदी का परिवार

सबसे पहले नरेंद्र मोदी के परिवार की बात करते हैं। उस नरेंद्र मोदी की जो 15 साल से सत्ता के शिखर पर है। 13 साल मुख्यमंत्री और ढाई साल से देश के प्रधानमंत्री। नरेंद्र मोदी के चार भाई सोमभाई मोदी, अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी और एक बहन वांसती बेन हैं।

फोटो-इंडिया टुडे

पीएम मोदी के सबसे बड़े भाई सोमभाई मोदी अपने पैतृक शहर वडनगर में वृद्धाश्रम चलाते हैं। वे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से नहीं मिले हैं। पिछले ढाई साल के दौरान सिर्फ फोन पर बात हुई है।

मोदीजी से ठीक बड़े अमृतभाई मोदी एक प्राइवेट कंपनी के फिटर पद से रिटायर हुए हैं। 2005 में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे, उस समय ये रिटायर हुए और इनकी सैलरी तब भी महज 10 हजार रुपये थी। उनके साथ 47 वर्षीय बेटा संजय मोदी, अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। संजय छोटा-मोटा कारोबार चलाते हैं।

नरेंद्र मोदी से ठीक छोटे भाई प्रह्लादभाई मोदी सस्ते गल्ले की दुकान चलाते हैं।प्रधानमंत्री के सबसे छोटे भाई पंकजभाई मोदी हैं। पंकज भाई गुजरात सूचना विभाग में काम करते हैं और मां हीराबेन उन्हीं के साथ गांधीनगर में तीन कमरे के सामान्य-से घर में रहती हैं। प्रधानमंत्री मोदी की मां से मिलने जाने के कारण छोटे भाई पंकज से मुलाकात हो जाती है।

पीएम मोदी के बाकी चचेरे भाई, भतीजे या दूसरे रिश्तेदारों का जीवन भी संघर्षों और कठिनाइयों से भरा है। कुछ तो अपनी जिंदगी बेहद गरीबी में काट रहे हैं।

नरेंद्र मोदी के चचेरे भाई अशोकभाई मोदी तो वडनगर के घीकांटा बाजार में एक ठेले पर पतंगें, पटाखे और कुछ खाने-पीने की छोटी-मोटी चीजें बेचते हैं। वे अब अपनी पत्नी के साथ एक व्यापारी के यहां काम करते हैं। यहीं अशोक भाई खाना बनाते हैं तो उनकी पत्नी बरतन मांजती हैं। कुल मिलाकर अशोकभाई मोदी 7-8 हजार कमा लेते हैं। उनके बड़े भाई भरतभाई एक पेट्रोल पंप पर छह हजार रुपए महीने में अटेंडेंट का काम करते हैं। तीसरे भाई चंद्रकांतभाई एक पशु गृह में हेल्पर का काम करते हैं। चौथे भाई अरविंदभाई कबाड़ी का काम करते हैं और इससे छह से सात हजार कमा लेते हैं। सबसे ज्यादा 10 हजार की कमाई भरतभाई मोदी की है। इनके सबसे बड़े भाई भोगीभाई किराने की दुकान चलाते हैं।

फोटो-इंडिया टुडे

प्रधानमंत्री का साफ मानना है कि सत्ता के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव उन्हें भ्रष्ट कर सकता है। इसी वजह से उन्हें परिवार को दूर रखना पड़ता है।

देश आजाद हुआ या नेहरू-गांधी परिवार का गुलाम बना

मोदी परिवार की हालत तो आपने देख ली। लेकिन नेहरू-गांधी परिवार की स्थिति भारतीय लोकतंत्र का मजाक उड़ाने के लिए काफी है। आजादी के बाद से ही देश की सत्ता और कांग्रेस पार्टी पर इस परिवार का कब्जा रहा है। 69 साल में 48 साल तक इस परिवार ने राज किया, 38 साल सीधे-सीधे और 10 साल तक मनमोहन सरकार की डुगडुगी अपने पास रखी।

परिवार की लगातार तीन पीढ़ियां – जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री के पद पर काबिज रहे। जबकि यूपीए सरकार के समय भी सत्ता की कमान सीधे-सीधे राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी के पास रहीं। कांग्रेस की इतनी बुरी हार के बाद भी वो पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हर चुनाव में शिकस्त मिलनेके बाद भी उनके पुत्र राहुल गांधी की तरक्की हो रही है और वो इस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। इसके अलावा राजीव गांधी के भाई संजय गांधी हों या राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा, कांग्रेस पार्टी के भीतर इनके कद का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर वाड्रा पर आरोप भी लगते हैं तो पूरी कांग्रेस पार्टी विधवा विलाप करने लग जाती हैं।

यूपी की सत्ता पर मुलायम यादव के परिवार का मकड़जाल

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर मुलायम सिंह यादव के परिवार ने मकड़ी के जाल की तरह कब्जा जमा लिया है। मुलायम के परिवार के 20 लोग राजनीति में सक्रिय हैं… 11 सदस्य तो चुनाव जीतकर अपनी-अपनी मलाई काट रहे हैं। प्रसिद्ध कवि गोरख पांडेय की तर्ज पर कहें तो समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आ गई है। हालत ये है कि राजनीति में आने के लिए मुलायम ने जिस कुश्ती को अलविदा कहा अब सत्ता के लिए बाप-बेटे, भाई-भाई और चाचा-भतीजा में राजनीति की नूरा कुश्ती शुरू हो चुकी है।

लोहिया के चेले मुलायम केंद्रीय मंत्री रहने के साथ तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। अब जरा इनका समाजवाद देखिए-

फोटो- आजतक

बेटा अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री हैं तो बहू डिंपल यादव सांसद। एक भाई शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं, तो दूसरे भाई राम गोपाल यादव सांसद हैं। इसके अलावा भतीजा तेजप्रताप सिंह, भतीजा धर्मेंद्र यादव, भतीजा अक्षय यादव भी सांसद हैं। जबकि कुनबे में कोई ब्लॉक प्रमुख है तो कोई यूथ ब्रिगेड का अध्यक्ष, कोई विधानसभा का उम्मीदवार है तो कोई किसी कमेटी का अध्यक्ष। सवाल ये है कि क्या मुलायम का परिवार ये मानता है कि राजनीति की समर भूमि में उत्तर प्रदेश वीरों से खाली हो गई है।

बिहार की राजनीति में लालू यादव परिवार का चक्रव्यूह

जेपी आंदोलन से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले लालू यादव ने परिवारवाद के जरिये बिहार की पूरी राजनीति को बदनाम कर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहते इनपर चारा घोटाले का आरोप लगा तो इन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को ही सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। अब जरा राजनीति में इनके खानदान का राजनीतिक तिलिस्म देखिए। बेटा तेजस्वी यादव बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री हैं, तेज प्रताप यादव बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं। बड़ी बेटी मीसा भारती सांसद बन गई हैं तो उनके इंजीनियर पति भी राजनीति में कूद पड़े हैं। बेटी हेमा यादव के पति भला राजनीति से क्यों दूर रहें। बेटी राजलक्ष्मी के पति तेज प्रताप यादव तो बकायदा मुलायम सिंह यादव के पोते हैं, तो वो भी लोकसभा सांसद के तौर पर नेतागीरी कर रहे हैं। बेटी अनुष्का के पति चिरंजीव राव हरियाणा कांग्रेस के नेता हैं।

फोटो- कैच न्यूज

महाराष्ट्र में पवार परिवार का पावर

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष शरद पवार तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। इनपर भ्रष्टाचार, अपराधियों को बचाने, स्टाम्प पेपर घोटाले, जमीन आवंटन विवाद जैसे दर्जनों आरोप लगे, लेकिन इनका परिवार राजनीति में सीढ़ियां ही चढ़ता रहा। बेटी सुप्रिया सुले बारामती से सांसद हैं। भतीजा अजित पवार महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन पर सिंचाई घोटाले के भी आरोप लग चुके हैं।

घाटी तक पसरा परिवारवाद का जहर

परिवारवाद के जहर से जम्मू कश्मीर भी अछूता नहीं है। शेख अब्दुल्ला दो बार जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद इनके बेटे फारूक अब्‍दुल्‍ला तीन बार मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद ये विरासत तीसरी पीढ़ी को सौंप दी और उमर अब्दुल्ला ने भी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। लेकिन सच तो ये है कि कश्मीर की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।

यही हाल मुफ्ती मोहम्मद सईद के परिवार का है। जिसके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने राजनीति की कमान संभाल ली है।

जाहिर तौर पर अगर देश के विकास का कोई दुश्मन है तो वो सिस्टम नहीं बल्कि सिस्टम के ऊपर बैठने वाले वो नेता हैं जो राजनीति को अपनी बपौती समझते हैं।

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