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NDTV, PTI ने वित्त मंत्री के बयान को तोड़-मरोड़कर बनाई Fake News

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देश की जनता के समानेे सच रखने की जिम्मेदारी जिन पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के ऊपर है, आज वही वित्त मंत्री के बयान को तोड़-मरोड़कर जनता के सामने रख रहे हैं। सबसे पहले, न्यूज एजेंसी  PTI ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के राज्यसभा के प्रश्नकाल में दिए गये बयान पर बवाल खड़ा कर दिया। जाहिर है कि PTI सभी समाचार पत्र और चैनलों के लिए समाचारों का मुख्य स्रोत है, इसकी खबरों को बिना किसी जांच पड़ताल के सभी समाचार पत्र और चैनल धड़ल्ले से उपयोग करते हैं। इसलिए PTI ने फेक न्यूज की जो चिंगारी दिखाई वह तुरंत दहककर आग का गोला बन गयी।

देखिए कैसे बनी Fake न्यूज

2 जुलाई को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक स्थिति के बारे जानकारी देते हुए देश के अच्छे आर्थिक संकेतों का उल्लेख किया। वित्त मंत्री के बयान से जब PTI को कोई चासनी वाली खबर नहीं मिली तो उसने अपनी खबर की टीआरपी बढ़ाने के लिए हेडलाइन में ही चासनी डाल दी। हेडलाइन पर चासनी पड़ते ही, सभी समाचार पत्र और चैनल इस खबर पर चीटियों की तरह चिपक गये। सबसे पहले NDTV ने वित्त मंत्री के बयान की खबर को अपने वेबसाइट पर डाला-
वित्तमंत्री ने खबर को Fake बताया
इस खबर की वही हेडलाइन थी, जो PTI ने दी थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में अपने पूरे बयान के दौरान नोटबंदी पर कोई बात नहीं कही थी, लेकिन फिर भी PTI और NDTV ने खबर से हटकर, खबरों में टीआरपी लाने के लिए नोटबंदी की हेडलाइन दी और लिखा-Demonetization has no effect on Indian Economy-Nirmala Sitharaman, इस खबर के प्रकाशित होने और सोशल मीडिया पर आते ही, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सवाल खड़ कर दिए-
कांग्रेसी अखबार ‘नवजीवन’ ने झूठी हेडलाइन पर पूरी खबर गढ़ दी
NDTV और PTI की खबरों को आधार बनाकर कांग्रेसी समाचार पत्र ‘नवजीवन’ ने हेडलाइन ही नहीं पूरी खबर नोटबंदी पर बना दिया –नवजीवन ने पीटीआई की केवल हेडलाइन पढ़कर ही पूरी खबर को अपने मन मुताबिक गढ़ दिया। यह ऐसी खबर थी, जिसका कोई आधार नहीं था, जिसके कोई सबूत नहीं थे, फिर भी सरकार के खिलाफ एजेंडा खड़ा करने के लिए हेडलाइन खड़ी कर दी गई।

जनता के सामने सच लाने वाले पत्रकार और मीडिया संस्थान जब खबरों को जान- बूझकर तोड़ते मरोड़ते हैं तो Fake Journalism की जड़ें ही मजबूत होती हैं। ये पत्रकार और मीडिया संस्थान, देश और देश की प्रजातंत्रिक व्यवस्थाओं के साथ विश्वासघात करते हैं, जिसकी कीमत देश की जनता और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को चुकानी पड़ती है।

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