Home चुनावी हलचल EVM पर कांग्रेस का दोहरा चरित्र

EVM पर कांग्रेस का दोहरा चरित्र

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गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली कामयाबी ने साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जनता का विश्वास न सिर्फ कायम है, बल्कि उसमें लगातार बढ़ोत्तरी भी हो रही है। वहीं कांग्रेस की नाकामी ने साबित कर दिया है कि वह जनता का भरोसा लगातार खोती जा रही है। दोनों राज्यों में कांग्रेस को हार की आशंका पहले से ही थी, यही वजह है कि उसने लगातार ईवीएम और चुनाव आयोग पर निशाना साधकर अपना दोहरा चरित्र दिखाया।

ईवीएम में गड़बड़ी का निराधार आरोप
गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पाटीदार आंदोलन के नेता और कांग्रेस के साथी हार्दिक पटेल ने ईवीएम पर फिर सवाल उठाया और बीजेपी पर ईवीएम में गड़बड़ी कर जीतने का आरोप लगा दिया। उन्होंने विपक्ष से एकजुट होकर ईवीएम में गड़बड़ी का मामला उठाने की अपील की। हार्दिक ने मतगणना से दो दिन पहले भी ईवीएम में गड़बड़ी करने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने बीजेपी पर जीत के लिए 5 हजार ईवीएम को हैक करने के लिए 150 इंजीनियरों को लगाने की बात कही थी। लेकिन हार्दिक पटेल ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया। अपनी नाकामी को छिपाने के लिए उन्होंने ईवीएम को ही अपना आसान टार्गेट बनाया।

जहां जीते, वहां EVM अच्छे, जहां हारे वहां EVM खराब
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद दिल्ली, बिहार और पंजाब में ईवीएम से ही विधानसभा के चुनाव हुए; और वहां पर विपक्ष को अप्रत्याशित सफलताएं मिलीं। लेकिन इन राज्यों में किसी ने भी ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया। वहीं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी को मिली कामयाबी को विपक्ष पचा नहीं पाया और उसने बीजेपी पर ईवीएम से छेड़छाड़ कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया। विपक्ष ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये और ईवीएम को हैक करने की चुनौती भी दी।

पंजाब में जीते थे, तब कोई सवाल नहीं उठाया
पंजाब विधानसभा चुनाव और गुरुदासपुर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद रविवार को नगर निगमों के चुनाव भी कांग्रेस के पक्ष में रहे। इन चुनावों में भी ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था, लेकिन यहां कांग्रेस ने ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाया। यहां तक कि वो अपनी कामयाबी पर ढोल पीटती नजर आई। 

EVM हैकिंग को साबित करने में नाकामी
बीजेपी को मिल रही लगातार सफलता को विपक्ष ने ईवीएम हैकिंग का नतीजा बताया। झूठे और मनगढ़ंत सबूतों के माध्यम से ईवीएम के खिलाफ पूरे देश में माहौल बनाने की कोशिश की और बहस छेड़ी गई। लेकिन विपक्ष ईवीएम हैकिंग के संबंध में कोई ठोस सबूत देने में नाकाम रहा। ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने के लिए चुनाव आयोग ने फैसला किया और 7 राष्ट्रीय दलों और 48 राज्य स्तरीय दलों को ईवीएम हैक करने की चुनौती दी। 3 जून से 26 जून, 2017 तक ईवीएम हैक करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया । साथ ही सभी पार्टियों को चार-चार घंटे का समय भी दिया। देश में लोकतंत्र को स्थापित करने वाली ईवीएम को परीक्षा से गुजरना पड़ा। लेकिन कोई भी चुनाव आयोग के तय समय में ईवीएम को हैक नहीं कर पाया । ऐसे में सारे आरोप धरे के धरे रह गए।  

संवैधानिक संस्था का अपमान
बीजेपी की प्रत्येक जीत के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने चुनाव आयोग को निशाने पर लिया। ईवीएम पर सवाल उठाकर उसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। यहां तक कि चुनाव आयुक्तों पर सरकार से मिलीभगत का आरोप लगाकर संवैधानिक संस्था का अपमान किया। इसको देखते हुए आयोग ने गुजरात चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया और मतगणना के दौरान उसकी जांच भी की। ताकि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को कायम रखा जा सके। 

हार की नाकामी छिपाने की कोशिश
मोदी सरकार ने जनता के हित में अनेक फैसले लिए हैं। जिसका असर गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव के नतीजों में साफ दिखाई दे रहा है । वहीं कांग्रेस को अपनी हार का अंदेशा हो चुका था। यही वजह है कि नतीजे आने के दो दिन पहले राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी गई। ताकि अध्यक्ष बनने का जश्न फीका नहीं पड़े और हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जा सके। कांग्रेस ने गुजरात में जीत हासिल करने के लिए सामाजिक विभाजन के साथ हर वो तरीका अपनाया जिससे बीजेपी को चुनाव में मात दे सके, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के करिश्मे के सामने उनकी एक न चली और अब अपनी नाकामी को छुपाने के लिए बेचारी ईवीएम का चीरहरण करने में लगी है।  

जनता के फैसले का अनादर
लोकतंत्र में जनता का मत सर्वोपरि होता है। जिसकी अभिव्यक्ति ईवीएम के माध्यम से होती है। आज जब ईवीएम से ज्यादातर कमल के फूल निकल रहे हैं, तो विपक्ष को नागवार गुजर रहा है। वो जनता के मत और उसके फैसले को स्वीकार करने के लिए तैयार नहींं है। ऐसे में विपक्ष ईवीएम पर सवाल उठाकर जनता के फैसले का अनादर कर रहा है।  

विपक्ष शासित राज्यों में ईवीएम में गड़बड़ी की न तो शिकायतें आती हैं और न कभी जांच की मांग की जाती है। वहीं गुजरात चुनाव में वीवीपैट के इस्तेमाल के बावजूद बीजेपी की जीत को ईवीएम में गड़बड़ी का नतीजा बता कर उसके महत्त्व को कम करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन कांग्रेस के इस दोहरे चरित्र को जनता भी समझ चुकी है। अब जनता विपक्ष के बरगलाने में आने वाली नहीं है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों से साबित हो चुका है।

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