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जम्मू-कश्मीर में प्रवर्तन निदेशालय की बड़ी कार्रवाई,आतंकियों की सात संपत्तियां जब्त

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर पहले ही आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों की कमर तोड़ दी है। अब केंद्र सरकार के निर्देश पर आतंकियों पर हर तरफ से शिकंजा कसा जा रहा है। धारा 370 हटने के बाद पहली बार कड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने टेरर फंडिंग से जुड़े मामलों में अटैच 7 प्रॉपर्टीज को जब्त कर लिया है। ये सभी प्रॉपर्टीज कश्मीर में स्थित हैं।

जाहिर है कि इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ खुलकर कार्रवाई नहीं कर पाता था। लेकिन, अब ED ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदी प्रमुख सैयद सलाउद्दीन और मोहम्मद शफी समेत 7 दहशतगर्दो के खिलाफ करवाई की है। ED काफी लंबे समय से इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी थी लेकिन, कामयाबी अब जाकर मिली है। जब्त की गई संपतियों में आतंकवादी खुर्शीद आलम, मुजफ्फर अहमद डार, तालिब लाली, मुश्ताक अहमद लोन की प्रॉपर्टीज भी शामिल हैं। इनमें से कुछ दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं, जबकि कुछ पाकिस्तान में बैठकर आतंक की नई साजिश बुन रहे हैं। आपको बता दें कि ED ने महीनों पहले ही इन आतंकियों के खिलाफ PMLA के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी।

मोदी राज में आतंक पर शिकंजा: 2014 से अब तक मारे गए एक हजार से अधिक आतंकी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आतंकवाद को लेकर सख्त है। केंद्र सरकार ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, आतंकवाद का मुकाबला करने में सुरक्षा बल प्रभावी और निरंतर कार्रवाई कर रहे हैं। सरकार की सख्ती के कारण जम्मू-कश्मीर में 2014 से अब तक 1 हजार से अधिक आतंकी मारे गए हैं। इन आतंकियों को सेना और सुरक्षाबलों ने राज्य में हुई विभिन्न मुठभेड़ों और एंटी-कॉम्बिंग ऑपरेशनों के दौरान मारा है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण सेना आतंकवादियों को ढेर करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। सरकार से खुली छूट मिलने के बाद से सुरक्षाबल आतंकियों के सफाए के मिशन पर लग गए। जम्मू-कश्मीर में इस साल करीब 170 आतंकियों को मार गिराया गया है। साल 2018 में 257, साल 2017 में 213, साल 2016 में 150, साल 2015 में 108 और साल 2014 में 110 आतंकी मारे गए।

साल  आतंकी मारे गए
2014 110
2015 108
2016 150
2017 213
2018 257
2019  170

 

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की कमर तोड़ दी है। डालते हैं एक नजर-

पत्थरबाजी में आई भारी कमी
केंद्र सरकार की सख्ती के कारण जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं काफी कम हो गई हैं। गृहमंत्रालय के अनुसार 2016 में पत्थरबाजी की 2600 से ज्यादा घटनाएं हुईं थीं, जबकि 2019 की पहली छमाही में ऐसी कुछ ही दर्जन घटनाएं हुईं। इस साल के पहले छह महीने में पत्थरबाजी की करीब 40 घटनाएं हुईं। पत्थरबाजी में शामिल असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी की घटनाएं भी 10,500 से घट करीब 100 ही रह गईं। मंत्रालय के मुताबिक, 2016 में पत्थरबाजी की 2653 घटनाओं में पुलिस ने 10571 लोगों को गिरफ्तार किया। साल 2017 में पत्थरबाजी की 1412 घटनाएं हुईं। इनमें गड़बड़ी फैलाने वाले 2838 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2018 में पत्थरबाजी की 1458 घटनाएं हुईं, इनमें 3797 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

साल पत्थरबाजी की घटनाएं
2016 2653
2017 1412
2018 1458
2019 (जून तक) 40

 बालाकोट स्ट्राइक के बाद घुसपैठ में भारी कमी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आतंकवाद और सीमा पार से होने वाले घुसपैठ को लेकर सख्त है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ दी है। बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर की गई स्ट्राइक के बाद सीमापार से घुसपैठ में काफी कमी आई है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद घुसपैठ के मामलों में 43 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों से जम्मू-कश्मीर में 2019 के पहले छह महीनों में पिछले साल के इस अवधि की तुलना में सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने सीमापार घुसपैठ को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। राज्य सरकार के साथ मिलकर घुसपैठ को रोकने के लिए बहुआयामी प्रयास किए हैं। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर बहुस्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड़ लगाने के काम के अलावा खुफिया तंत्र को भी मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक फेंसिंग घुसपैठ जैसी घटनाओं को रोकने में महत्‍वपूर्ण साबित हो रहा है।

पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड आतंकी ढेर
घाटी में सेना की कार्रवाई में मार्च महीने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतंकियों मारे गए। मारे गए आतंकियों में जैश कमांडर मुदस्सिर अहमद खान और सज्जाद शामिल है। मुदस्सिर पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड था। उसने ही हमले के लिए बारूद पहुंचाया था, जबकि सज्जाद ने हमले के लिए गाड़ी खरीदने में मदद की थी और वही कार को हमले की जगह लेकर गया था। इसके पहले पुलवामा आतंकी हमले के चार दिन के अंदर ही सेना के जवानों ने हमले के मास्टरमाइंड गाजी रशीद समेत दो आतंकियों को मार गिराया था। गाजी रशीद घाटी में पाक समर्थिक आंतकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का कमांडर था और इसी ने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमले की साजिश रची थी। गाजी रशीद के साथ ही एक अन्य आतंकी भी मारा गया। हमले का मास्टरमाइंड गाजी रशीद लोगों की आड़ में घरों में छिपा हुआ था। पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकियों ने 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर आत्‍मघाती हमला किया था।

अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर NIA की छापेमारी
आतंकवादियों को आश्रय और फंडिग देने वाले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसी सिलसिले में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने 26 फरवरी को कश्मीर घाटी में विभिन्न अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक एनआईए के अधिकारियों ने करीब नौ स्थानों पर छापेमारी की। इनमें पाकिस्तान का समर्थन करने वाले अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नईम गिलानी का आवास भी शामिल है। इनके अलावा, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, अशरफ सेहराई, मीरवाइज उमर फारुख और जफर भट के घरों पर भी छापे मारे गए। यह छापेमारी हवाला के जरिए अलगाववादियों को कथित रूप से पाकिस्तान से मिलने वाले धन को लेकर की गई है।

सरकार ने वापस ली अलगाववादी नेताओं की दी गई सुरक्षा
इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने पुलवामा हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई। इनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे। इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियां लगी थीं। इसके अलावा 1000 पुलिसकर्मी इन नेताओं की सुरक्षा में लगे थे।

कश्मीर में मोदी सरकार ने दिखाया दम, रिकॉर्ड संख्या में आतंकी ढेर
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। मोदी सरकार के निर्देश पर सेना द्वारा चलाए जाए ऑपरेशन का ही असर है कि 2018 में 257, साल 2017 में 213, साल 2016 में 150, साल 2015 में 108 और साल 2014 में 110 अधिक आतंकवादियों को मार गिराने में सफलता हासिल हुई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घाटी में सेना का खुली छूट दे दी है। सेना की कार्रवाई से घाटी में आतंकवादियों और उन्हें पनाह देने वालों की शामत आई हुई है।

बारामूला से आतंकी हुए जड़ से खत्म
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सफाए में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति को सबसे बड़ी सफलता मिली है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के गढ़ कहे जाने वाले बारामूल्ला में अब एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचा है। हाल ही में इस बात की घोषणा राज्य पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने की है। हिजबुल मुजाहिदीन के गढ़ के रूप में कुख्यात बारामूला में पिछले दो साल में ऑपरेशन ऑलआउट के तहत पचास से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया है। बारामूला, जम्मू-कश्मीर का वही जिला है, जहां उरी सेक्टर में 18 सितंबर, 2016 को सेना के कैंप पर आतंकवादियो ने तड़के अचानक हमला बोल दिया था। इस वारदात में 19 जवान शहीद हुए थे। इसी का बदलना के लिए सेना ने उसी साल 29 सितबर को सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर के अंदर बने हुए आतंकियों के लॉन्चिंग पैड को तबाह कर किया था, जो भारत द्वारा की गई पहली सर्जिकल स्ट्राइक थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने देश के अंदर आतंक और भय का वातावरण पैदा करने वाले आतंकवादियों और माओवादियों के साथ सख्ती से निपटने की जो नीति अपनायी थी, वह नीति सफलता के झंडे गाड़ रही है। देश में पहले ही 44 जिलों से माओवादियों का सफाया किया जा चुका है और आज बारामूला भी आतंकी मुक्त जिला बन गया है।

घाटी में कम हुई आतंकियों की औसत उम्र
सीआरपीएफ के महानिदेशक राजीव राय भटनागर का कहना है कि सुरक्षा बलों के एक के बाद एक अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की ‘उम्र’ घट गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2017 में जहां 213 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मारा था, वहीं 2018 में 257 आतंकवादियों को मार गिराया गया। बाकी सुरक्षा बलों और सीआरपीएफ के जवानों के बीच बहुत बढ़िया तालमेल है, इसी कारण आतंकियों के खात्मे के अभियान में सफलता मिल रही है।

भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश
घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों को हथियार उठाने से रोकने के सभी मुमकिन प्रयास किए गए हैं। सुरक्षा बलों ने घाटी के स्थानीय युवाओं से समर्पण करवाया है और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है।  मोदी सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और सुशासन से जम्मू कश्मीर और घाटी में स्थानीय लोगों और वहां के युवाओं में विश्वास बढ़ा है। 

मारा गया हिजबुल का टॉप कमांडर समीर टाइगर
2018 के अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली थी। हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर समीर टाइगर को पुलवामा में मार गिराया। सुरक्षा बलों ने टाइगर के अलावा आकिब खान नाम के एक और आतंकी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। बुरहान वानी की तरह टाइगर को भी घाटी में हिजबुल के नए पोस्टरबॉय के रूप में देखा जा रहा था। 

दोगुनी रफ्तार से ढेर किए जा रहे आतंकी
आतंकवाद देश के लिए नासूर है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इसे जड़ से सफाया करने का अभियान जारी है। एक ओर जहां हमारे सुरक्षा बल आतंकवादियों पर कहर बनकर टूट रहे हैं, वहीं भटके हुए युवाओं को गले लगाने की भी प्रक्रिया शुरू की गई है। जनवरी, 2017 में जब से ऑपरेशन ऑल आउट शुरू किया गया है, प्रतिदिन कोई न कोई आतंकी मारा जा रहा है। आतंकियों के हौसले पस्त हैं और कश्मीर घाटी अमन की ओर बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री मोदी की सोच ने आतंकवादियों की कमर तोड़ कर रख दी है और 2014 से मारे गए आतंकवादियों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि जम्मू-कश्मीर के जिले अब आतंकवाद से मुक्त हो रहे हैं।

कुख्यात आतंकवादियों का खात्मा
कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में ही सेना और अर्धसैनिक बलों ने लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के 14 से ज्यादा कमांडर और अहम जिम्मेदारियां संभालने वाले आतंकियों को मार गिराया गया है। मारे गए बड़े आतंकी चेहरों में अबू दुजाना (लश्कर), अबू इस्माइल (लश्कर), बशीर लश्करी (लश्कर), महमूद गजनवी (हिजबुल), जुनैद मट्टू (लश्कर), यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ (हिजबुल) और ओसामा जांगवी मुख्य था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ भी सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो चुका है।

मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची-

  • बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
  • बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
  • सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
  • जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
  • सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
  • आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
  • अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
  • तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
  • यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबू इस्माइल, लश्कर ए तैयबा
  • ओसामा जांगवी, लश्कर ए तैयबा
  • ओवैद, लश्कर ए तैयबा
  • मुफ्ती विकास, जैश ए मोहम्मद

पत्थरबाजों पर कसी गई नकेल
वर्ष 2017 में पत्थरबाजी में 90 प्रतिशत तक की कमी आई थी, अब यह पूरी तरह से बंद हो गई है। 2017 से पहले हर रोज पत्थरबाजी की 40 से 50 घटनाएं होतीं थीं । नोटबंदी का इस पर खासा असर पड़ा है। इसके अलावा टेरर फंडिंग को लेकर एनआईए ने अलगाववादियों पर जो कार्रवाई की उसका भी इस पर सकारात्मक असर पड़ा। आज घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह से बंद हैं।

आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित हुआ पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया है। इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नॉर्वे, कनाडा, ईरान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुट रहने का वादा भी किया। 

सलाउद्दीन पर लगा प्रतिबंध
प्रधानमंत्री मोदी के दबाव के कारण अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में इनको ट्रेनिंग मिलती हैं और यहां से ही इन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग हो रही है। 26 जून, 2018 को अमेरिका ने हिजबुल सरगना सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया तो साफ हो गया कि आतंक के मामले पर अमेरिका अब भाारत के साथ पूरी तरह खुलकर खड़ा है। दरअसल सलाउद्दीन का जम्मू-कश्मीर में कई हमलों में हाथ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे अभियान की यह एक बड़ी सफलता है।

हिजबुल मुजाहिदीन पर बैन
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका ने 16 अगस्त, 2017 को हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन करार दे दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इसे आतंकवादी हमले करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलेगा, अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इससे संबद्धता रखने पर प्रतिबंधित होगा। अमेरिका ने यह भी कहा कि हिजबुल कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका इससे पहले लश्कर के मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा और संसद हमले में शामिल जैश-ए- मोहम्मद पर पाबंदी लगा चुका है।

लोगों को गले लगाने का ऐलान
एक तरह सुरक्षा बलों की कार्रवाई जारी रही, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार स्थानीय लोगों के प्रति नरम रुख अपना रही थी। बीते साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा, ‘गाली और गोली से नहीं, गले लगाने से कश्मीर समस्या हल होगी’। मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रोडमैप ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ पर चलने का फैसला किया। आतंकियों को ढेर, पत्थरबाजों पर नकेल और अलगाववादियों पर शिकंजा कसने के बाद सरकार ने शांति वार्ता की ओर रुख किया। मोदी सरकार के ट्रिपल एक्शन से अब आतंकवादी और उनके आका बैकफुट पर हैं। 

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