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मोदी राज में नोटबंदी से पड़ी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बुनियाद, जानिए 11 फायदे

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान देशवासियों से वादा किया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार और कालेधन पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने लोगों को यह भी भरोसा दिया था कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने का प्रयास करेंगे। अपने उसी वादे के अनुरूप प्रधानमंत्री मोदी ने कई बड़े और कड़े कदम उठाए हैं। भारत जैसे विशाल देश में नोटबंदी जैसा निर्णय कोई आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री ने साहस दिखाया और देश की जनता ने उनका साथ दिया। 08 नवंबर को नोटबंदी लागू किए हुए दो साल पूरे हो गए हैं और नोटबंदी के बाद कैश का बैंकिंग सिस्टम में आना, टैक्स पेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी, कैशलेस ट्रांजेक्शन में वृद्धि और आतंकवादी-नक्सलवादी गतिविधियों में भारी गिरावट नोटबंदी की सफलता की कहानी कहती है। इस एक वर्ष में नोटबंदी के अनेकों फायदे सामने आए हैं, आइये हम उनपर एक दृष्टि डालते हैं-

1. कर अनुपालन में हुई बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2013-14 में 3.79 करोड़ थी, जो 2017-18 में बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई। इसके साथ ही 2013-14 में करदाताओं की संख्या 5.27 करोड़ से 40 प्रतिशत बढ़कर 2017-18 में 7.41 करोड़ हो गई।

2. डिजिटल हो रही अर्थव्यवस्था
नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था लेस कैश सोसाइटी की ओर अग्रसर है। कैशलेस लेनदेन लोगों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ हर लेनदेन से काले धन को हटाते हुए क्लीन इकोनॉमी बनाने में भी मददगार साबित हुआ है। नवंबर 2016 में जहां यूपीआई आधारित ट्रांजेक्शन सिर्फ 90 करोड़ रुपए का था अक्तूबर 2018 में बढ़कर 74978 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इस दौरान क्रेडिट और डेबिट कार्ड का ट्रांजेक्शन भी दोगुना से ज्यादा हो गया है।

3. ट्रेस आउट हो सका कालाधन
नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत नकदी बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं। इसका फायदा यह है कि अब काले धन का पता लगाना काफी आसान हो गया है। इस निर्णय के बाद 17.73 लाख ऐसे संदिग्ध मामलों की पहचान की गई जिनमें पैन कार्ड धारकों के प्रोफाइल नोटबंदी के पहले के प्रोफाइल से मेल नहीं खाते।

4. इकोनॉमी सिस्टम में स्वच्छता
नोटबंदी के बाद चार लाख लाख संदिग्ध कंपनियां जांच एजेंसियों के राडार पर आईं। इनमें से अधिकतर कालाधन को छिपाने और कर चोरी के उद्देश्य से संचालित की जा रहीं थी। इनमें से 2.24 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया।

5. फॉर्मल हो रही इकोनॉमी
नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है। अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा से उनके अधिकारों के संरक्षण दिये जा रहे हैं। एक करोड़ से अधिक श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलने लगा है और ESIC में 1.3 करोड़ श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है।

6. जाली नोटों पर कसा शिकंजा
नोटबंदी के बाद जाली नोटों की बाजार में उपलब्धता बेहद कम हो गई है। रिजर्व बैंक ने जिन नकली नोटों का पता लगाया था इनमें से 500 रुपये के 41 प्रतिशत और 1000 के 33 प्रतिशत थे। नोटबंदी के बाद ही ये पता लग पाया कि पांच सौ के हर 10 लाख नोट में औसत 7 और 1000 के हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

7. बैंकों के ब्याज दरों में कमी
नोटबंदी के बाद बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में करीब एक प्रतिशत तक कमी की है। नोटबंदी के बाद 1 जनवरी, 2017 को भारतीय स्टेट बैंक ने आश्चर्यजनक रूप से धन की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) में 0.9 प्रतिशत कटौती की थी। इसके बाद दूसरे बैंकों ने भी ऐसा ही किया जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली है।

8. रियल एस्टेट के लिए वरदान
रियल एस्टेट क्षेत्र कालेधन के ट्रांजेक्शन्स के लिए बेहद ही आसान जरिया बन गया था। लेकिन नोटबंदी के निर्णय के बाद आम लोगों के लिए घर खरीदना बहुत सस्ता हो गया। दो लाख रुपये से अधिक के कैस ट्रांजेक्शन पर रोक लगने के बाद प्रॉपर्टी की कीमतों में 25 से 40 प्रतिशत तक कमी आ चुकी है। नोटबंदी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर अब अधिक पारदर्शी, संगठित, भरोसेमंद और खरीददारों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है।

9. करोड़ों की बेनामी संपत्ति जब्त
नोटबंदी के बाद से सीबीडीटी ने देश में चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपत्तियों की खोजबीन शुरू की। दरअसल ये संपत्ति वास्तविक मालिक के बजाय किसी और के नाम पर दर्ज हैं। नोटबंदी के बाद ऐसी बेनामी संपत्ति का पता लगाने में भी बड़ी सफलता मिली है। आयकर विभाग के अनुसार 14 क्षेत्रों में 233 मामलों में 813 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त की गई है। बेनामी अधिनियम के तहत 233 मामलों में संपत्तियों को अस्थायी तौर पर अटैच किया गया। विभाग ने 600 करोड़ रुपये से अधिक बेनामी संपत्तियों को कुर्क भी किया। गौरतलब है कि 240 मामलों में से 40 मामलों में ही 530 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है।

10. आतंकवाद और जाली नोट पर चोट
नोटबंदी के बाद से आतंकियों के हौसले पस्त हुए हैं और उनके पास पैसा पहुंचने पर काफी हद तक ब्रेक लगाई जा सकी है। पहले जब कभी भी किसी आतंकी का एनकाउंटर होता था तो हजारों लोग वहां पहुंच जाते और आर्मी पर पत्थरबाजी करते। अब हालात ये हैं कि इनकी तादाद 20 या 30 से ज्यादा नहीं होती। हवाला के जरिये नक्सलियों आतंकवादियों और जिहादियों को जो पैसा मिलता था वो अब कचरा बन गया है। नोटबंदी इसलिए आवश्यक था क्योंकि भारतीय रुपया नकली नोटों की वजह से बर्बाद हो रहा था। रिजर्व बैंक के अनुसार 500 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोट में औसत 7 नोट नकली थे और 1000 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

11. नोटबंदी ने महामंदी से बचाया
नोटबंदी के बाद जीडीपी की गिरावट और विनिर्माण क्षेत्रों में मंदी के सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक तथ्य यह है कि नोटबंदी के निर्णय ने भारत को बड़ी मुसीबत से बचा लिया है। 2004 के बाद एक दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की तरफ जा रही थी। चलनिधि यानि Liquidity की कमी से उत्पन्न होने लगी थी। परिणामस्वरूप देश की आर्थिक वृद्धि दर घटते-घटते 2013 में 4.4 प्रतिशत तक आ गई थी।

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