Home विचार इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज होंगी ‘नोटबंदी क्रांति’

इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज होंगी ‘नोटबंदी क्रांति’

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8 नवंबर की वो रात, जब बादल घुमड रहे थे मानो गीत कोई नया गाने रहे हो। हल्की सी ठंड दिल्ली में चुपके से दस्तक दे रही थी। किसी को कानों कान खबर नहीं थी कि क्या आज 8 नवंबर को रात 8 बजे के बाद देश की तस्वीर बदलने वाली है। पीएम मोदी के देश के एक संबोधन ने कालेधन और भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी। और देश को कालेधन और भ्रष्टाचारियों से मुक्ति के लिए एक महायज्ञ की शुरूआत की। 50 दिन तक चलने वाले इस महायज्ञ में लोगों ने बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया। लाइन पर लगे लोगों को किसी ने पानी पिलाया, तो किसी ने लड्डू बांटे। गरीब-अमीर की खाई तो मानो एकदम से पट गई हो। पहली बार गरीबों को लगा कि कोई सरकार है जो उनके हक की बात कर रही है। देश में मानो एक जुनून पैदा हो गया हो और हर कोई आजादी के इस महायज्ञ में अपने हिस्से की पवित्र आहूति दे रहा था।

जिस देश में हजारों बोलियां बोली जाती है जिस देश को सांप और सपेरे का देश कहा जाता था आज पूरी दुनिया इस देश की 125 करोड़ लोगों की ताकत को देख रही थी। बगल में छुरी छुपाए चाहे चीन हो या पाकिस्तान, या फिर दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका या रूस हो या फिर अपनी टेक्नोलॉजी से आंखे चकिया-चौंध करने वाला जापान हो। सबने माना की ये कोई साधारण क्रांति नहीं थी जिसका बिगुल नरेंद्र मोदी ने फूंका था।

पूरी दुनिया चकित थी कि आजतक जहां भी नोटबंदियां हुई है वहां सरकारें पलट गई है। लोग सड़क पर उतर आए। आंदोलन शुरू हो गए लेकिन भारत की 125 करोड़ लोगों ने जिस धैर्य के साथ इस क्रांति को अपने अंजाम तक पहुंचाया वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया, जिसका सकारात्मक असर भी सामने आने लगा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी हुई है। गरीब लोग बैंकिंग की मुख्यधारा से जुड़ रहे है। हर तरफ माहौल ऐसा जैसे कोई त्यौहार का जश्न हो।

50 दिन पूरे हुए देश ने दुनिया को दिखा दिया कि शांति की राह पर चलने वाला ये देश जहां अभी भी 50 फीसदी से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते है। लेकिन जब देश की बात आती है तो एक साथ खड़े होकर कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हो जाते है। इन 50 दिनों में देश के लोगों ने बहुत तकलीफें झेली लेकिन उफ तक नही किया। और ये दिखा दिया कि देश के हित में अगर कोई काम करेगा चाहे वो मोदी या कोई और ये देश उसके साथ कदम से कदम मिलाने के लिए हर वक्त तैयार रहता है। बस चाहिए देश को जगाने की पवित्र मंशा की।

विजय रावत

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