कर्नाटक में सत्ता में वापसी के बाद हिंदुओं को एक बार फिर आतंकवादी घोषित करने के पीछे कांग्रेसी साजिश सामने आ रही है। दो दिनों पहले ही जहां दिग्विजय सिंह ने ‘संघी आतंकवाद’ कहकर नया नाम देने की कोशिश की वहीं कर्नाटक में गौरी लंकेश हत्याकांड में हिंदुओं को फंसाने की साजिश शुरू हो गई है।
कर्नाटक में हिंदू जनजागृति और श्री राम सेना को फंसाने की साजिश
कर्नाटक में दोबारा सत्ता में आते ही कांग्रेस ने हिंदू जनजागृति समिति और श्रीराम सेना को टारगेट करना शुरू कर दिया। पुलिस ने परशुराम वाघमोरे नाम के एक शख्स को गिरफ्तार करके उससे हत्या का गुनाह कबूल भी करवा लिया। कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले हिंदू संगठनों को घेरने का काम शुरू कर दिया गया। अब पता चला है कि इस केस में जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें टॉर्चर करके गुनाह कबूल करवाया जा रहा है।
एसआईटी जांच की प्रक्रिया में अब भी हैं कई पेंच, उलझे हैं कई सवाल
गृह विभाग भी कांग्रेस के पास है इसलिए यह साफ है कि कर्नाटक के पुलिस तंत्र पर अब भी कांग्रेस का कब्जा है। अब खबरें आ रही हैं कि आरोपियों की गिरफ्तारी में न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसकी शिकायत मिलने पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस शिकायत पर मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि पुलिस की थ्योरी में कई गड़बड़ियां साफ दिखाई दे रही हैं। दावा किया जा रहा है कि वाघमोरे ने कहा है कि मैंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए गौरी लंकेश की हत्या की। इसके लिए उसे 13 हजार रुपये दिए गए। यह अपने आप में बताता है कि एसआईटी की कहानी में क्या गड़बड़ है। दरअसल जांच में आरोपियों के पास कोई पैसा भेजे जाने या खर्च होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए 13 हजार रुपये की मामूली रकम बताई गई है। पुलिस ने अब तक कुल 4 लोगों को पकड़ा है, लेकिन हत्या में इस्तेमाल हथियार से लेकर घटनाक्रम पर कुछ भी जानकारी देने में नाकाम रही है।
तथाकथित सेक्यूलर मीडिया फैला रही है फर्जी खबरें
कर्नाटक पुलिस की एसआईटी के हाथ अब तक कोई सबूत नहीं लगा है, लिहाजा मीडिया में फर्जी खबरें छपवाकर हिंदू संगठनों के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया गया। जो संकेत मिल रहे हैं उनके मुताबिक कांग्रेस पार्टी की इस साजिश में सेकुलर मीडिया खुलकर साथ दे रहा है।
इसी के तहत हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया जा रहा है जो पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाने की कोशिश कर रहा है। कुछ स्थानीय लोगों ने आरोपियों की कानूनी मदद के लिए पैसे जुटाना शुरू किया तो उसके खिलाफ दिल्ली के अखबारों में लंबे-लंबे लेख लिखे गए।
इसी तरह श्रीराम सेना के प्रमोद मुतालिक के बयान को खूब तूल दिया गया, ताकि इसी बहाने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम उछाला जा सके।
तथाकथित सेक्यूलरों को हिंदुओं में ही दिखता है ‘आतंकवाद’, इस मौलाना में क्यों नहीं?
दो दिन पहले ही सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक मौलाना सरेआम गाय काटने की बात कह रहा है। मना करने पर उसकी भी कुर्बानी देने की धमकी दे रहा है, लेकिन इस तथाकथित सेक्यूलर मीडिया ने मौलाना तनवीर हाशमी के बयान को कोई तवज्जो नहीं दी। महत्वपूर्ण यह भी है कि इसी मंच पर कांग्रेस पार्टी मंत्री शिवानंद पाटिल बैठे हुए थे, लेकिन तथाकथित सेक्यूलरवादियों को यह नहीं दिखा। इसकी खबरों को दबा दिया गया। बहरहाल आइये आप उस मौलाना की ये नफरत भरा वीडियो देखिये।
सीबीआई जांच की सिफारिश क्यों नहीं कर रही कांग्रेस की सरकार?
गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को गोली मारकर कर दी गई थी। शुरुआत में यह बात सामने आई थी कि हत्या में नक्सलियों का हाथ है। आरोप है कि तब चुनाव को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने जांच को धीमा करवा दिया था और अब जब वो एक बार फिर से सत्ता में है उसने अपना असली खेल शुरू कर दिया है। पहले भी इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की जाती रही है, लेकिन कांग्रेस ने इस मांग को जैसे अनसुना कर दिया है। जाहिर है हिंदू आतंकवाद को लेकर कांग्रेस के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए इस बार भी उसकी नीयत ठीक नहीं लग रही है।
पुलिस ने नक्सलवादियों की आपसी दुश्मनी को ठहराया था जिम्मेदार
हत्या के बाद शुरुआती जांच में ही यह निकलकर आ गया था कि गौरी लंकेश की अपनों से भी दुश्मनी थी। वामपंथियों और नक्सलियों से गौरी लंकेश के तनाव की खबरें भी आम थीं। दरअसल 2014 में कांग्रेस सरकार ने उन्हें नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई कमेटी का सदस्य बना दिया था। स्पष्ट है कि वह सत्ता के करीब थीं, लेकिन यह भी साफ है कि वो अपनों के ही निशाने पर भी थीं।
मौत से कुछ दिन पहले के ये दो ट्वीट इस बात का इशारा भी करते हैं कि गौरी और उनके वामपंथी (शायद नक्सली) साथियों में कोई विवाद चल रहा था। गौरी लंकेश ने पहले ट्वीट में लिखा, ‘मुझे ऐसा क्यों लगता है कि हममें से कुछ लोग अपने आपसे ही लड़ाई लड़ रहे हैं? हम अपने सबसे बड़े दुश्मन को जानते हैं। क्या हम सब इस पर ध्यान लगा सकते हैं?’
Ok some of us commit mistakes like sharing fake posts. let us warn each other then. and not try to expose each other. peace… comrades
— Gauri Lankesh (@gaurilankesh) 4 September 2017
एक अन्य ट्वीट में लंकेश ने लिखा, ‘हम लोग कुछ फर्जी पोस्ट शेयर करने की गलती करते हैं। आइए, एक-दूसरे को चेताएं और एक-दूसरे को एक्सपोज करने की कोशिश न करें।’
why do i feel that some of `us’ are fighting between ourselves? we all know our “biggest enemy”. can we all please concentrate on that?
— Gauri Lankesh (@gaurilankesh) 4 September 2017
बहरहाल गौरी लंकेश से नक्सलियों के संबंध थे, ये तो जगजाहिर है, लेकिन मनमुटाव की खबरें सामने आने के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया था कि वे इसकी जांच करवाएंगे।
Journos are abusing RW.
Kar HM hints at Naxalites.
Kar CM condemns as if it is in another state.Residents are left as a scared lot.
— shilpi tewari (@shilpitewari) 5 September 2017
सिद्धा रमैया सरकार में गहरी पैठ रखती थीं गौरी लंकेश
गौरी लंकेश की हत्या के बाद जिस तरीके से कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धा रमैया उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच गए, उससे लोगों के मन में सवाल उठने शुरु हो गए थे। दरअसल कहा जा रहा है कि गौरी लंकेश मुख्यमंत्री सिद्धा रमैया सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले पर ही जांच कर रही थी। एबीपी न्यूज के संवाददाता विकास भदौरिया ने तब ट्वीट किया था कि वह कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़ी एक खबर पर काम कर रही थीं। उनके अलावा भी कई स्थानीय और दूसरे पत्रकारों ने इस एंगल की तरफ लोगों का ध्यान दिलाया था।
A journo #GauriLankesh was killed in a dastardly crime Period #Bangluru. she was working on Siddhramaiah’s Govt Curruption Story pic.twitter.com/1KP20qdaZL
— Vikas Bhadauria ABP (@vikasbha) September 5, 2017
कविता लंकेश ने सीएम सिद्धा रमैया से नहीं की बात !
इस हत्या का दूसरा पहलू यह है कि सीएम सिद्धा रमैया ने यह स्वीकार किया है कि गौरी लंकेश उनसे मिलती रही हैं, लेकिन उन्होंने किसी तरह के डर की बात कभी नहीं की थी। बहरहाल, सीएम के अनुसार गौरी लंकेश चार सितंबर को उनसे मिलने वाली थीं, लेकिन वह मिलने नहीं पहुंचीं। अगले दिन पांच सितंबर को उनकी हत्या हो जाती है और सीएम तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं और हत्यारों को पकड़ने की बात करते हुए एसआइटी का गठन भी कर देते हैं।
There are two CCTV cameras; three teams are working on this: Karnataka Home Minister Ramalinga Reddy #GauriLankesh pic.twitter.com/y3rO0ryhvB
— ANI (@ANI) September 5, 2017
इन सब के बीच ये खबरें भी आम थी कि हत्या के बाद जब सीएम ने गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि कविता लंकेश और सीएम सिद्धा रमैया के बीच हत्या से कुछ दिनों पहले तक बेहद अच्छे संबंध हुआ करते थे। इतना ही नहीं जिस फिल्म में सिद्धा रमैया एक्टिंग कर रहे हैं, उसकी प्रोड्यूसर भी कविता लंकेश ही हैं। फिर आखिर क्या हुआ है जो कविता लंकेश ने सीएम सिद्धा रमैया से बात नहीं की?
डी के शिवकुमार का ‘कच्चा चिट्ठा’ खोलने वाली थीं गौरी लंकेश?
गौरी लंकेश का कांग्रेसी नेताओं से कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है, लेकिन कांग्रेस के ही कद्दावर नेता डी के शिवकुमार से उनकी तनातनी की खबरें भी सामने आई थीं। दरअसल डी के शिवकुमार वही हैं, जिन्होंने 2017 में गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के विधायकों को अपने आलीशान रिसार्ट में पनाह देकर अहमद पटेल की राज्यसभा में जीत पक्की करने की कांग्रेसी रणनीति पर अमल किया था। शिवकुमार 68 शहरों में अकूत संपत्ति के मालिक हैं। आयकर विभाग आज भी उनकी काली कमाई को खंगालने में लगा है। ऐसी खबरें हैं कि गौरी लंकेश भी डी के शिवकुमार का ‘कच्चा-चिट्ठा’ खोलने के काम में लगी थीं।
नीचे वह जवाब देखा जा सकता है जिसमें गौरी लंकेश ने खुद ही बताया था कि उनकी पत्रिका कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के खिलाफ एक खबर पर काम कर रही है।
#GauriLankesh had reported scams of recently raided #DKShivakumar pic.twitter.com/ZPgfQPZ6Hy
— Bruhannale (@Bruhannale) September 5, 2017
साफ है कि सिद्धा रमैया सरकार गौरी लंकेश की हत्या के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ ठहराकर इसे सांप्रदायिक एंगल देने के साथ ही कांग्रेसी कनेक्शन को भी छिपाना चाह रही है। ऐसे में इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। क्या सिद्धारमैया सरकार ऐसा करेगी?