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कांग्रेस शासित राज्यों में हैं कोरोना संक्रमण के 70 प्रतिशत और मौतों के 43 प्रतिशत मामले, देखिए हैरान करने वाले आंकड़े

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देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार ने केंद्र और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों पर नजर डालते हैं, तो हैरान करने वाली तस्वीर उभरकर सामने आती है। देश के कोरोना के कुल सक्रिय मामलों में 68.94 प्रतिशत उन 5 राज्यों में हैं, जहां कांग्रेस की सरकारें हैं या पार्टी सरकार में साझीदार है।

देश में फ़िलहाल कोरोना के कुल 7,85,787 सक्रिय मामले हैं, जिनमें से 5,41,740 इन्हीं 5 राज्यों में हैं। इनमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान और झारखंड शामिल हैं। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पूरे देश में सक्रिय कोरोना मामलों का गढ़ बना हुआ है। अकेले महाराष्ट्र में कोरोना के 4,51,375 सक्रिय मरीज हैं, जो देश के कुल सक्रिय संक्रमितों का 57.44 प्रतिशत है।

महाराष्ट्र के साथ छत्तीसगढ़ के सक्रिय मामलों को जोड़ दिया जाए, तो ये आंकड़ा 4,95,671 हो जाता है। यानि देश के कुल सक्रिय मामलों का 63.08 प्रतिशत के बराबर। ये दोनों राज्य टॉप पर बैठे हुए हैं। यहां न सिर्फ कोरोना, बल्कि कई दूसरी समस्याएं भी सिर उठा कर खड़ी हैं। 

कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े भी चौकने वाले हैं। देश में कोरोना से अब तक 1,65,585 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक चौथाई मौतें यानि 33.83 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र में हुई है। यहां कोरोना से 56,033 लोग मरे हैं। दूसरे नंबर पर आने वाले तमिलनाडु में 12,789 मौतें हुईं। लेकिन मौतों का आंकड़ा तमिलनाडु की तुलना में महाराष्ट्र में 4.38 गुना ज्यादा है।

देश में कोरोना संक्रमण के कारण जितने लोग मरे हैं, उनमें 43.21 प्रतिशत मौतें अकेले कांग्रेस शासित 5 राज्यों में हुईं। कांग्रेस शासित इन पांच राज्यों में कोरोना के कारण अब तक 71,562 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर इन पांच राज्योंं में कोरोना संक्रमण और मौतों के बढ़ते आंकड़ों के पीछे की वजह क्या है। 

दरअसल आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों की लापरवाही, राजनीति, दुष्प्रचार का खामियाजा इन राज्यों की जनता को भुगतना पड़ रहा है। ये वहीं महाराष्ट्र की उद्धव सरकार है, जिसे कोरोना से लड़ने की जगह रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी से लड़ रही थी। सचिन वाजे जैसे विवादास्पद पुलिस अधिकारी से वसूली कराने में लगी हुई थी। 

कांग्रेस शासित छत्तसगढ़ ऐसा पहला राज्य था, जिसने 16 जनवरी को जब भारत सरकार ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीकों को उपयोगी मानते हुए देश भर में टीकाकरण की शुरुआत की, तो कोवैक्सीन का विरोध किया था। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा था कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परिणाम जब तक नहीं आ जाते, तब तक इसके टीकाकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही कोवैक्सीन पर एक्सपायरी तारीख नहीं होने को लेकर सवाल उठाया था। 

छत्तीसगढ़ के बाद पंजाब की राज्य सरकार ने भी कोवैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाकर सियासत को प्राथमिकता दी और जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ किया। इन राज्य सरकारों ने देश के वैज्ञानिकोंं और शोधकर्ताओं की क्षमता पर संदेह कर ना सिर्फ उनका अपमान किया, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी ठेस पहुंचाई। 

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