Home विशेष झूठों के सरदार हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, देखिए कब-कब बोला झूठ

झूठों के सरदार हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, देखिए कब-कब बोला झूठ

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राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन उनमें गंभीरता नाम की कोई चीज नहीं दिखाई पड़ती है। लगता है या तो उन्हें ज्ञान नहीं है या फिर उनमें समझ नहीं है, तभी तो वह हमेशा झूठी बयानबाजी करते हैं। कई ऐसे मामले हैं जिन पर राहुल गांधी ने झूठे बोला या फिर झूठे आंकड़े पेश किए है। एक नजर डालते हैं झूठ के सरदार राहुल गांधी के मिथ्या बयानों पर।

जीएसटी को लेकर राहुल गांधी ने बोला झूठ
कर्नाटक दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी को लेकर बयान दिया कि जब उनकी सरकार केंद्र की सत्ता में आएगी तो वह मौजूदा जीएसटी में सुधार कर इसे सरलीकृत करेगी। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास जीएसटी की जो परिकल्पना थी वो जीवन को आसान बनाने से जुड़ी हुई थी, लेकिन अब यह जटिल हो गया है। राहुल ने गरीब और आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली चीजों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की भी बात कही। अब देखिए राहुल गांधी यह बयान देकर किस तरह झूठ बोल रहे हैं। सच्चाई यह है कि यूपीए के दस वर्षों के शासन में कांग्रेस पार्टी जीएसटी को लेकर तमाम राज्यों के बीच आम राय नहीं बना पाई थी, क्योंकि उसका जीएसटी को लेकर कोई साफ रुख नहीं था। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी तो उसने नए सिरे से जीएसटी को लेकर कवायद शुरू की और सभी राज्य सरकारों के बीच इसे लेकर सहमति बनाई। जीएसटी के मौजूद स्वरूप को लागू करने में कांग्रेस के शासन वाले सभी राज्यों की भी सहमति थी, यानी कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी को लेकर समर्थन किया है। हालांकि इस कानून में जो भी जटिलताएं उन्हें पीएम मोदी के निर्देश पर वित्त मंत्रालय समय-समय पर ठीक करता जा रहा है। आज जो जीएसटी कानून सामने है वो सहज और सरल है, साथ ही चीजों के दाम काबू करने में भी सक्षम है। ऐसे में राहुल गांधी जीएसटी को लेकर झूठ के सिवा और कुछ नहीं बोल रहे हैं।

नोटबंदी को लेकर भी राहुल ने बोला झूठ
कांग्रेस राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर भी झूठ बोला है। कर्नाटक में राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी लागू की थी। उन्होंने कहा कि संघ परिवार के एक खास विचारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी का विचार दिया था। राहुल गांधी का यह बयान सरासर झूठा है। सच्चाई यह है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने और कालाधन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने काफी गहन विचार-विमर्श के बाद नोटबंदी का ऐलान किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी भी कह चुके हैं कि नोटबंदी का पहला विचार फरवरी 2016 में आया था और सरकार ने विमुद्रीकरण के बारे में रिजर्व बैंक की राय मांगी थी। आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने पहले तो सरकार को मौखिक रूप से इस पर राय दी। बाद में एक विस्तृत नोट बनाकर सरकार को भेजा गया जिसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया कि नोटबंदी की खामियां और खूबियां क्या-क्या हैं। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का ऐलान किया गया था। इसके फायदे भी आपके सामने हैं नोटबंदी के बाद जहां डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिला, वहीं कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में सफलता मिली।

यही कोई पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी ने झूठ का सहारा लिया है। इससे पहले भी वह कई बार झूठ बोल चुके हैं या फिर अपनी ही कही बात से पलट चुके हैं।

राफेल सौदे पर राहुल गांधी के झूठे आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगातार झूठ बोल रहे हैं। राहुल गांधी इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश में लगे हैं। आपको बताते हैं कि इस सौदे की सच्चाई क्या है। राहुल का आरोप है कि यूपीए सरकार द्वारा 2012 में राफेल विमान के तय किए गए मूल्य से 3 गुना ज्यादा देकर एनडीए सरकार ने यह सौदा मंजूर किया है। राहुल कहते हैं कि लागत 526 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,570 करोड़ रुपये हो गई है। राहुल गांधी के आरोपों से इतर हकीकत यह है कि ये विमान उड़ने की स्थिति में खरीदे जा रहे हैं और इसके तहत 12,600 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इस बचत में फ्लायवे हालत में विमान के अधिग्रहण की लागत 350 मिलियन यूरो यानी 27 अरब 74 करोड़ 25 लाख 49 हजार 144 रुपये और हथियार, रखरखाव और प्रशिक्षण के यूरो 1300 मिलियन यूरो यानि 10 खरब 30 अरब 43 करोड़ 75 लाख 39 हजार 632 करोड़ शामिल है। दरअसल यूपीए सरकार के समय सिर्फ 18 विमान ही सीधे उड़ने वाली हालत में भारत आने थे, लेकिन अब इन विमानों की संख्या 36 तक बढ़ गई। फ्रांस इस सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था, लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के प्रयासों से सौदे की कीमत कम हो गई। इतना ही नहीं इस सौदे के लिए पीएमओ ने लगातार बातचीत के हर दौर पर नजर बनाए रखा। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने डेसॉल्ट (Dassault) एविएशन द्वारा बताई गई शर्तों से बेहतर शर्तों की आपूर्ति के लिए अंतर-सरकारी समझौते यानि एक देश की सरकार से दूसरे देश की सरकार के साथ हुए समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इस समझौते से जहां कीमतें कम करने में सफलता मिली वहीं बिचौलियों के लिए कोई स्कोप ही नहीं बचा।

पहले अखिलेश पर साधते थे निशाना, बाद में किया गठबंधन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कामकाज की बहुत तारीफ की थी। पर हम आपको एक ऐसी सच्चाई बताते हैं, जिससे आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे की यह शख्स कितना झूठा और मौकापरस्त है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने वाले राहुल गांधी पहले अखिलेश यादव और उनकी सरकार को पानी पी-पी कर कोसते थे। अक्टूबर 2016 में मुलायम के गढ़ मैनपुरी में एक रैली में राहुल गांधी ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उस साईकल का पैडल मार रहे हैं जो अपने स्टैंड पर खड़ी है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश आगे नहीं बढ़ पाया है।’

रायबरेली से भेदभाव को लेकर भी बोला झूठ
राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में विकास की योजनाओं को लेकर भी मोदी सरकार पर झूठे आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनीवर्सिटी के लिए 360 रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने के कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।

लोकसभा सदस्यों की संख्या पर झूठ बोला
झूठ बोलना राहुल गांधी की आदत में शुमार हो चुका है। जाने-अनजाने में वो अपने झूठ की वजह से मजाक के पात्र भी बनते रहे हैं। पिछले वर्ष सितंबर में राहुल गांधी जब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या ही 546 बता डाली। जबकि सच्चाई यह है कि लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है, इनमें से 543 को जनता चुनती है और दो सदस्य (ऐंग्लो-इंडियन) मनोनित किए जाते हैं। आप ही बताइए जो शख्स इतने वर्षों से लोकसभा का सदस्य है, उसे लोकसभा के सदस्यों की संख्या तक नहीं पता है।

गरीबी का भोजन से लेना-देना नहीं- राहुल
अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जबतक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’

इंदिरा कैंटीन को बताया अम्मा कैंटीन
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन योजना की लॉन्चिंग में भी राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठ गए। पहली बार में उन्होंने योजना का नाम ही गलत बता दिया। जबकि यह योजना उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे तमिलनाडु में जयललिता के नाम पर चलने वाली अम्मा कैंटीन बता दिया। हालांकि, बाद में उन्हें भूल का अंदाजा हुआ और उन्होंने गलती सुधारने की कोशिश की। लेकिन जिस व्यक्ति में सामान्य ज्ञान का इतना अभाव है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है? 

राहुल गांधी की इन्हीं हरकतों के चलते जनता लगातार हर चुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाती रही है, लेकिन वे समझने के लिए तैयार नहीं हैं। पिछले कुछ समय में, खासकर गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने ऐसी ही कई उल्टी-सीधी हरकतें की हैं, जिसके चलते उनकी मानसिकता और समझ को लेकर गंभीर सवाल पैदा हो रहे हैं। वे कभी गलत आंकड़ा पेश करते हैं, तो कभी झूठ बोलकर जनता को बरगलाने का प्रयास करते हैं।

महंगाई को लेकर राहुल की समझ पर सवाल
राहुल ने पिछले वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान  ट्विटर पर लिखा “जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई “ “GST सारी कमाई मार गई बाकी कुछ बचा तो – महंगाई मार गई “ “बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?” राहुल गांधी ने इस सवाल के साथ एक इन्फोग्राफिक्स भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने गैस सिलिंडर, प्याज, दाल, टमाटर, दूध और डीजल के दामों का हवाला देकर 2014 और 2017 के दामों की तुलना में सभी चीजों के दामों में वास्तविक दामों से सौ फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी दिखा दी है। जैसे ही राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया, लोगों ने इस चालाकी को पकड़ लिया और फिर शुरू हो गई राहुल की खिंचाई। 

महिला साक्षरता के गलत आंकड़े देने पर घिरे 
राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पिछले वर्ष 3 दिसंबर को “22 सालों का हिसाब, गुजरात मांगे जवाब” अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी से महिला सुरक्षा, पोषण और महिला साक्षरता से जुड़ा सवाल पूछा था, लेकिन इस सवाल के साथ राहुल ने जो इन्फोग्राफिक्स पोस्ट किया था उसमें गुजरात की महिला साक्षरता के उल्टे आंकड़े दिखाए थे। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि 2001 से 2011 के बीच गुजरात में महिला साक्षरता दर में 70.73 से गिरकर 57.8 फीसदी हो गई है।

राहुल गांधी ने जो आंकड़े दिखाए थे वे सरासर गलत थे। गुजरात में महिला साक्षरता की सच्चाई इसके उलट है। सही आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2001 से 2011 के बीच महिला साक्षरता में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि 1991 से 2001 के बीच हुई 8.9 फीसदी बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर हुई साक्षरता वृद्धि से भी ये काफी ज्यादा है। इससे एक बार फिर साफ हो गया है कि राहुल गांधी झूठे आंकड़े पेश कर गुजरात सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैे।

गुजरात में बेरोजगारी के झूठे आंकड़े देकर फंसे
पिछले वर्ष 24 नवंबर को गुजरात में दो रैलियों में राहुल गांधी ने बेरोजगारी के अलग-अलग आंकड़े पेश कर दिए। 24 नवंबर को पोरबंदर में राहुल गांधी ने कहा कि गुजरात में 50 लाख बेरोजगार युवा क्यों हैं? वहीं उसी दिन अहमदाबाद में चुनावी सभा में कहा कि गुजरात में 30 लाख बेरोजगार क्यों हैं? 

45,000 करोड़ एकड़ जमीन की बात कहकर बने सवाल
गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलने के क्रम में ऐसा कुछ कह दिया था जो कि असंभव है। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्तों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन दे दी, लेकिन राहुल ने जमीन का जो आंकड़ा बोला वह असंभव है। 45,000 करोड़ एकड़ जमीन इस धरती से भी तीन गुना ज्यादा है। आपको बता दें कि पूरी धरती ही लगभग 13,000 करोड़ एकड़ की है।

Statue of Unity पर झूठ बोलकर फंसे
राहुल गांधी ने गुजरात में पाटीदारों को कहा कि मोदी सरकार के लिए शर्मनाक है कि नर्मदा नदी पर बनने वाला Statue of Unity सरदार पटेल की प्रतिमा made in China होगी। राहुल गांधी एक बार फिर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चक्कर में सरदार पटेल के नाम पर झूठ बाेला। 

जवाब का सवाल मांगते राहुल
पिछले दिनों जवाब का सवाल मांगते हुए राहुल गांधी का एक वीडियो बहुत ज्यादा वायरल हुआ था। उस वीडियो को देखने के बाद ये बात साफ हो गई कि राहुल गांधी अपनी ही फजीहत क्यों करा बैठते हैं। क्योंकि उन्हें न तो भारत की और न ही भारतवासियों के बारे में कुछ भी पता है। उन्हें जो कुछ सिखाया जाता है, जो कुछ समझाया जाता है, वे उसी के आसपास मंडराते रह जाते हैं। उनकी अपनी कोई सोच ही नहीं है, शायद वे कभी बना ही नहीं पाए हैं।

 

जाहिर है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही मोदी सरकार पर सवालों की बौछार करने में जुटे हों, लेकिन असलियत ये है कि वे खुद ही सवालों में घिरे हुए हैं। राहुल गांधी को झूठ बोलने में भले ही महारत हासिल हो, लेकिन हर बार उनका झूठ पकड़ा जाता है। और यही वजह है कि चुनाव दर चुनाव देश की जनता उनकी पार्टी को धूल चटाती जा रही है।

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