कांग्रेस के ही एक नेता ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान की पुष्टि की है जिसमें उन्होंने 11 जुलाई को मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ ‘सीक्रेट मीटिंग’ में कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। जम्मू कश्मीर में छपने वाले उर्दू दैनिक अखबार ‘इंकलाब’ ने 12 जुलाई को इस बारे में खुलासा किया था। अखबार में छपी इस खबर को पार्टी के कई बड़े नेताओं ने सिरे से खारिज करने की कोशिश की, लेकिन अब उसी अखबार में अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रमुख नदीम जावेद का इंटरव्यू छपा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने एक तरह से यह पुष्टि की है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया था।
In an interview to,इंक़लाब, Congress’ Minority Cell President Nadeem Javed has reiterated that Rahul Gandhi was right in saying “हाँ,हम मुसलमानों की पार्टी है” ..Mr Javed further says RahulGandhi is meeting Muslim अकलियत and very soon He will be presiding over a Muslim Convention pic.twitter.com/s6UoSIiPzc
— Sambit Patra (@sambitswaraj) July 16, 2018
अखबार भी रिपोर्ट पर कायम
कांग्रेस भले ही इंकलाब की रिपोर्ट को खारिज कर चुकी हो, लेकिन अखबार अपनी रिपोर्ट पर कायम है। नवभारत टाइम्स के अनुसार इंकलाब के संपादक मुमताज रिजवी ने साफ कहा कि वह रिपोर्ट पर कायम हैं। इतना ही नहीं, अखबार ने सोमवार के अंक में कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चे के चेयरमैन नदीम जावेद का इंटरव्यू छापा है, जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा है कि अखबार ने कोई गलत बयान नहीं छापा है। नदीम जावेद ने कहा कि राहुल गांधी ने मुसलमानों के ताल्लुक से न कोई गलत बात कही है और न ही इंकलाब ने कोई गलत बात लिखी है। यह बयान कांग्रेस के उस रुख से पूरी तरह उलट है जिसमें पार्टी ने राहुल गांधी के ऐसे किसी बयान से इनकार किया है।
अखबार इंकलाब ने 12 जुलाई को फ्रंट पेज पर यह खबर भी छापी कि राहुल ने कहा कि उनका और उनकी मां का कमिटमेंट है कि मुसलमानों को उनका हक मिलना चाहिए और इससे वो कोई समझौता नहीं कर सकते। 12 तुगलक लेन स्थित अपने निवास पर लगभग 2 घंटे तक मुस्लिमों से बातचीत के बारे में कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने ये वादा किया है कि अगर वे 2019 में देश के प्रधानमंत्री बने तो देश के हर जिले में शरिया अदालत बनाने की मांग पूरी कर देंगे।
आगे आपको बताते हैं कांग्रेस पार्टी की उन करतूतों को, जिनसे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस देश में मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रही है। कांग्रेस को सिर्फ सत्ता हासिल करना है, इसके लिए चाहे देश के टुकड़े ही क्यों नहीं जाएं। डालते हैं एक नजर-
इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश में साथ कांग्रेस पार्टी!
आपको बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने देश के सभी जिलों में शरियत कोर्ट स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। भारत में संविधान लागू है और हर विवाद का फैसला भारतीय दंड संहिता यानि इंडियन पीनल कोड के तहत होता है। कट्टरपंथी मुसलमान इसका हमेशा विरोध करते हैं और अपने मजहबी मामलों का समाधान शरियत के मुताबिक करने की मांग करते हैं। फिलहाल सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही इस तरह की 40 शरियत कोर्ट हैं, और AIMPLB इसी तरह की अदालतें पूरे देश में स्थापित करना चाहता है।
मुस्लिम बच्चियों के खतने पर भी कांग्रेस का समर्थन
मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस पार्टी लगातार कट्टरपंथ का साथ दे रही है। कांग्रेस हमेशा से तीन तलाक, बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं के साथ खड़ी रही है। अब कांग्रेस ने मुस्लिम बच्चियों के खतने जैसी क्रूर प्रथा का भी समर्थन किया है। दरअसल मुसलिम समाज में मजहब के नाम पर खतना जैसी अमानवीय कुरीति को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि आखिर किसी के शरीर के साथ हिंसक छेड़छाड़ क्यों होनी चाहिए? मजहब के नाम पर रिवाज के तहत किसी के जननांग को छूने की इजाजत कैसे दी जा सकती है? कोर्ट के इन सवालों का जवाब दाउदी बोहरा के धर्मगुरु की तरफ से कांग्रेस के सांसद व वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिया है। सिंघवी ने कोर्ट से कहा है कि इस्लाम में खतना एक जरूरी रिवाज है। इस्लामिक दुनिया में हर पुरुष खतना कराते हैं, ऐसे में मुस्लिम महिलाओं के लिए खतना प्रतिबंधित क्यों? सिंघवी ने इस्लाम का खास रिवाज बताते हुए मुस्लिम महिला के खतना को वाजिब बताया है।
तीन तलाक के समर्थन में है कांग्रेस पार्टी
एक तरफ मोदी सरकार मुस्लिम समाज का महिलाओं को सदियों पुरानी तीन तलाक जैसी कुप्रथा से मुक्ति दिलाना चाहती है, वहीं कांग्रेस पार्टी इसकी राह में रोड़े अटका रही है। सुप्रीम कोर्ट में जब तीन तलाक के मुद्दे पर बहस चल रही थी तब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने मुल्ले-मौलवियों द्वारा औरतों के शोषण का हथियार बन चुके तीन तलाक के पक्ष में दलील दी थीं। मोदी सरकार इसको लेकर एक बिल लाई है, इस बिल को लोकसभा में पास भी कराया जा चुका है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के विरोध के चलते तीन तलाक से जुड़ा ये बिल राज्यसभा में अटका है। जाहिर है कि अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बज जैसे कांग्रेसी सांसद और वकील जब सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मध्ययुगीन और बर्बरतापूर्ण इस्लामी रिवाजों का समर्थन करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक के लालच में मुसलमानों के कट्टर सोच के साथ खड़ी है। कांग्रेस पार्टी को सिर्फ अपने वोट बैंक से मतलब है और इसके लिए भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने से भी उसे कोई गुरेज नहीं है।
एक और भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार कर रही कांग्रेस!
सालों साल तक सत्ता पर काबिज रहने की कवायद में वंशवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद की आग में देश को जलाने का काम कांग्रेस पार्टी करती रही है। समाज में विभाजन और बंटवारे की राजनीति के आसरे कांग्रेस तो बढ़ती रही, लेकिन देशहित को बहुत नुकसान पहुंचा है। बीते 70 सालों में जिस तरह से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की गई है उससे अब देश के एक और विभाजन की तस्वीर दिखने लगी है। हाल में कुछ ऐसे वाकये सामने आए हैं जिसमें मुसलमान समुदाय देशहित का विरोध करने से भी गुरेज नहीं कर रहा है। हैरत की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी नाजायज मांगों पर भी अपना समर्थन देती जा रही है। आइये एक नजर डालते हैं कुछ ऐसे ही वाकयों पर-
जिन्ना का महिमामंडन कर रही कांग्रेस
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद हो रहा है, लेकिन कांग्रेस चुप है। दरअसल देश के बंटवारे का गुनहगार जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उचित ठहरा रहा है। ऐसे में कांग्रेस की चुप्पी का सबब सहज ही समझा जा सकता है। लेकिन कांग्रेस की ये चुप्पी उस कुत्सित सोच को समर्थन है जो देश के दुश्मन का महिमामंडन करने की सिर्फ इसलिए इजाजत देता है, क्योंकि वह एक मुस्लिम है। जाहिर है यह सोच देश की एकता-अखंडता के लिए बेहद खतरनाक साबित होने वाली है।
खुले में नमाज पर कांग्रेस की सियासत
देश के अधिकतर इलाकों में खुले में नमाज पढ़ने के मामलों के कारण अक्सर तनाव की स्थिति पैदा होती रही है। यह ऐसी समस्या है जो विकराल रूप धारण करती जा रही है। कई बार तो सड़कों पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है और आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। हाल में जब हरियाणा में इसको लेकर विरोध किया गया तो कांग्रेस ने इसपर सियासत शुरू कर दी। कांग्रेस नेता प्रदीप जेलदार ने कुछ पत्रकारों के साथ मिलकर इसे मुद्दा बना दिया। जबकि यह मुद्दा बांग्लादेशी घुसपैठियों से भी जुड़ता है, लेकिन कांग्रेस ने वोट बैंक की खातिर देशहित को भी दरकिनार कर दिया।
मुसलमानों को एक होने का कांग्रेसी मंत्र
”मुस्लिम समाज कांग्रेस को वोट दे और अगर वे उसे वोट देंगे तो इस्लाम उन पर प्रसन्न होगा।” वरिष्ठ कांग्रेसी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यही बात कहते हुए मुसलमानों से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा, “भाजपा को किसी भी हाल में कर्नाटक की सत्ता में नहीं आने देना चाहिए। मुसलमानों को बड़ी तादाद में एकजुट होकर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना चाहिए।” जाहिर है आजाद का यह बयान सीधे तौर पर मुस्लिम मतदाताओं की गोलबंदी का प्रयास भर ही नहीं, बल्कि विभाजन की राजनीति का बीज है।
असम में अवैध घुसपैठियों पर राजनीति
1972 में कांग्रेस सरकार को असम से अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड को अलग करना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस की सत्तापरस्ती के कारण असम और त्रिपुरा में बंगाली शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी। 1961 में ही यह संख्या छह लाख के ऊपर थी, आज यह बढ़कर ढाई करोड़ हो गई है। उस दौर में नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस की केंद्र सरकार ने जबरन बंगाली शरणार्थियों को समाहित करने का दबाव डाला तो तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलई ने इसका विरोध किया, लेकिन जवाहर लाल हरू ने विकास मद के दिये जाने वाले केंद्रीय अनुदान में भारी कटौती की धमकी दी। परिणास्वरूप राज्य सरकार को घुटने टेकने पड़े। आज यही आबादी अब देश से अलग होने की मांग कर रही है, लेकिन कांग्रेस अब भी बांग्लादेशी घुसपैठ को धर्म के आधार पर जोड़कर देखती है और अपनी राजनीति का आधार तैयार करती है।
‘आजादी गैंग’ को राहुल गांधी का समर्थन
जेएनयू में छात्रों के एक वर्ग ने 9 फरवरी, 2016 को देशविरोधी नारेबाजी की थी। जेएनयू छात्र संघ के नेताओं की मौजूदगी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा’ जैसी भड़काऊ नारेबाजी की थी। इन नारों को सुनने के बाद सारा देश स्तब्ध था, सरकार राष्ट्रद्रोहियों पर कार्रवाई में जुटी थी, लेकिन कांग्रेस भारत विरोधियों के समर्थन में कूद पड़ी थी। तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने तब जेएनयू पहुंचकर कहा था- “केंद्र सरकार छात्रों की आवाज नहीं सुन रही है। जो लोग छात्रों की आवाज दबा रहे हैं, वह सबसे बड़े राष्ट्र विरोधी हैं। राहुल गांधी ने भले ही अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान वह देश में एक और विभाजन की लकीर जरूर खींच गए।
आपको आगे बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी किस तरह राष्ट्रविरोधी ताकतों का साथ देती रही है।
पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की भाषा बोल रही कांग्रेस
क्या कांग्रेस पार्टी आतंकवादियों के इशारे पर काम करती है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस और पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एक ही भाषा बोल रहे हैं। इसका सबूत एक बार फिर सामने आया है। लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”
अब तो कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज ने इस बीच कश्मीर की आजादी की मांग को जायज ठहरा दिया है। दरअसल गुलाम नबी आजाद हों या सैफुद्दीन सोज, ये सभी चुनावों की आहट सुनकर अपनी देशद्रोही सोच के साथ सामने आ जाते हैं। जाहिर है कांग्रेसियों के संस्कार और नीति कश्मीर के मामले में हमेशा भारत विरोधी रही है। जाहिर है कश्मीर समस्या के मूल में सिर्फ कांग्रेस की कारस्तानियां ही हैं।
गुलाम नबी आजाद के बयान से कांग्रेस की नीयत पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘’जम्मू-कश्मीर में सेना का निशाना आतंकवादियों पर नहीं, आम नागरिकों पर ज्यादा होता है।‘’ जाहिर है कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग के मुस्लिम उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की है जिसमें भारत पर ह्यूमेन राइट्स के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया गया है क्योंकि पार्टी ने इस मामले पर अपनी सफाई भी पेश नहीं की है।
सैफुद्दीन सोज ने फिर सुलगाई कश्मीर में ‘आजादी’ की आग
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, ‘’कश्मीरी पाकिस्तान के साथ जुड़ना नहीं चाहते, उनकी पहली इच्छा आजादी है।‘’ सोज का यह बयान कांग्रेस की उसी सोच को जाहिर करता है इन्हें न कश्मीर से मतलब है और न ही भारत देश से। मतलब है तो सिर्फ अपनी मुस्लिम परस्त राजनीति चमकाने से। अब जब लश्कर-ए-तैयबा से कांग्रेस का कनेक्शन सामने आ रहा है इससे सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस देश की राजनीतिक पार्टी है या पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठन?
आतंकवादियों के विरुद्ध सेना की सख्ती का विरोधी है कांग्रेस
कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से ही भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन शुरू कर चुकी है। इसी के तहत एनएसजी कमांडो भी कश्मीर पहुंच चुके हैं। आइएस और जैश के सात से अधिक आतंकी ढेर किए जा चुके हैं। साफ है सेना पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों के सफाये के प्लान पर आगे बढ़ रही है। ऐसे में सेना के विरोध में कांग्रेस पार्टी और लश्कर का एक सुर में बोलना कई सवाल खड़े कर रहा है।
कश्मीर घाटी से हिंदुओं के सफाए की गुनहगार है कांग्रेस
1990 में हिंदुओं के नरसंहार के बाद कांग्रेस की शह ने कट्टरपंथियों का हौसला बढ़ा दिया। गौरतलब है कि 1990 में कश्मीर में अलगाववादी मुसलमानों ने हजारों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था। हिंदू औरतों के साथ बलात्कार किया गया था। चार लाख कश्मीरी पंडित अब भी विस्थापन की जिंदगी जी रहे हैं। धर्मनिरपेक्ष भारत के एक हिस्से में धर्म को लेकर ही अधर्म का नंगा नाच हो रहा था, लेकिन कांग्रेस की सरकार उस समय तमाशा देख रही थी।
दरअसल आजादी के बाद से कांग्रेस के कृत्यों पर गौर करें तो ये साफ है कि कांग्रेस पार्टी हिंदू विरोधी और मुस्लिम परस्त रही है।
11 प्वाइंट्स में समझिये कि कांग्रेस क्यों है ‘मुस्लिम पार्टी’ |
1946 : जवाहर लाल नेहरू ने वंदे मातरम को राष्ट्रगान बनाने का विरोध किया। |
1949 : अयोध्या में राम मंदिर बनाने का विरोध किया जो आज तक नहीं बन पाया है। |
1951 : डॉ अम्बेडकर कॉमन सिविल कोड लागू करना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने विरोध किया। |
1975 : इंदिरा गांधी ने मुस्लिमों के विरोध के कारण नसबंदी अभियान को हिंदुओं पर थोप दिया। |
1987 : शाहबानो केस में अलग कानून बनाया और सुप्रीम कोर्ट को की धज्जियां उड़ा दीं। |
2004 : आंध्र प्रदेश में कांग्रेस ने मुसलमानों को आरक्षण दिलाने का वादा किया। |
2006 : मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। |
2007 : मक्का ब्लास्ट में मुस्लिम आतंकियों को छोड़ा और ‘भगवा आतंकवाद’ की साजिश रची । |
2010 : राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से कहा कि मुस्लिम आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं। |
2016 : उत्तराखंड में हर शुक्रवार मुस्लिमों को 90 मिनट का अतिरिक्त अवकाश देने का निर्णय किया। |
2016 : कपिल सिब्बल ने भगवान राम की तुलना तीन तलाक और हलाला से की। |