कांग्रेस पार्टी हमेशा से अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ रही है। देश की स्वतंत्रता से लेकर अबतक कांग्रेस पार्टी ने हमेशा कलाकारों, पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला है। ताजा मामला नेटफ्लिक्स पर विक्रम चंद्रा के उपन्यास Scared Games की वेब सीरीज में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर की गई एक कथित टिप्पणी को लेकर है।
इस वेब सीरीज में 1975 की इमरजेंसी, नसबंदी, बोफोर्स घोटाला, शाहबानो केस जैसी घटनाओं को बड़ी बेबाकी से प्रदर्शित किया जा रहा है। इसी शो में माफिया का किरदार निभा रहे फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी पूर्व पीएम राजीव गांधी के लिए Fattu शब्द का इस्तेमाल करते हैं। बस इसी बात को लेकर एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने कोलकाता पुलिस में नवाजुद्दीन के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है। उन्होंने शो के निर्माताओं पर राजीव गांधी के कार्यकाल की घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का भी आरोप लगाया है।
कांग्रेस पार्टी द्वारा नवाजुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणियों की बाढ़ आ गई है। लोगों ने कांग्रेस को जमककर धोया है।
Congress worker Rajiv Sinha, in his complaint, referred to a word, fattu used by Nawazuddin Siddiqui for Rajiv Gandhi.
(By @manogyaloiwal )https://t.co/fPwH204wF8— India Today (@IndiaToday) 10 July 2018
Ladies and Gentlemen, Introducing to you, biggest Jumlebaaji of India, “Gareebi Hatao since 1971”
1980s: Rajiv Gandhi in Amethi
2018: Rahul Gandhi in Amethi#BailGaadi pic.twitter.com/EhfpsDGjUv— Shobha Karandlaje (@ShobhaBJP) 10 July 2018
Freedom of expression champion @INCIndia has filed an FIR against @NetflixIndia and @Nawazuddin_S for calling Rajiv Gandhi, a p*ssy. Let’s see what India thinks about it.
Do u think Rajiv Gandhi was a P*ssy? Plz vote & RT.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) 10 July 2018
Though it is wrong to call our former PM Rajiv Gandhi a fattu. So what
– if he sanctioned violence to avenge his mother’s death
– helped gas tragedy accused Anderson run away
– used mother’s death to acquire PM’s seat
– sold nation’s security during Bofors scandal
— Smoking Skills (@SmokingSkills_) 10 July 2018
Like seriously? Does the Congress party endorse this complaint against Nawazuddin Siddiqui for saying something about Rajiv Gandhi that’s unpalatable to this party member? This is how you intend to lead this country, @INCIndia? By acting butthurt? Shame! https://t.co/gvDvWKMhe0
— Manimugdha Sharma (@quizzicalguy) 10 July 2018
“First, it was Nehru, then Indira Gandhi, Rajiv Gandhi, Sonia Gandhi and now Rahul Gandhi. It shows how Congress followed the policy of preservation in order to promote only one family,” BJP national spokesman @sambitswaraj said. https://t.co/mhJ6H5mDSu
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) 9 July 2018
From a party whose president says they have always respected freedom of expression and free speech…
https://t.co/Hzv06MRxCb— Mohan Sinha (@Mohansinha) 10 July 2018
rajiv gandhi, the worst prime minister we’ve had. bar none (that includes modi).
well abused.https://t.co/AP8xP5LTgY— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) 10 July 2018
देश जब से आजाद हुआ है तभी से नेहरू-गांधी परिवार ने देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरे लगाए हैं। डालते हैं एक नजर-
जवाहर लाल नेहरू ने प्रेस की आजादी पर लगाए बैन
- कांग्रेस के नेता अक्सर जवाहर लाल नेहरू को अपना रोल मॉडल बताते रहे हैं, लेकिन हकीकत ये है कि लोकतंत्र के प्रहरी की भूमिका निभा रहे प्रेस की स्वतंत्रता को उन्होंने कुचलने कुचलने का काम किया है।
- पंडित नेहरू ने कई ऐसे कानून को पारित करवाए जिससे देश में प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में पड़ी।
- 23 अक्टूबर 1951 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने “The Press Objectionable Matters Act” पारित करवाया।
- यह कानून अंग्रेजों द्वारा 1908,1910, 1930 और 1931 में पारित कानूनों के समान प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाने वाला था।
- इस कानून के पारित होने पर देश में जबरदस्त विरोध हुआ, The All India Newspapers Editor’s Conference, The Indian Federation of Working Journalists ( IFWJ) और Language Newspapers Association ने इस कानून का विरोध किया, लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री नेहरू ने कानून पारित करवा दिया।
इंदिरा गांधी ने प्रेस की आजादी का दमन किया
कांग्रेसी कुशासन का सबसे बड़ा उदाहरण इंदिरा गांधी के समय देश में लगाया गया आपातकाल है। क्योंकि आपातकाल के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने का जो काम इंदिरा गांधी ने किया वह अभूतपूर्व है।
- इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान न केवल लोगों के नागरिक एवं मौलिक अधिकारों का दमन किया, लोकतंत्र की गरिमा पर आघात किया, बल्कि प्रेस की आजादी को कुचल डाला।
- आजादी के बाद पहली बार इंदिरा सरकार ने 26 जून 1975 को ‘Central Censorship Order’ और ‘Guidelines for the Press’ जारी किया।
- 11 फरवरी 1976 को Prevention of Publication of Objectionable Matters Act of 1976 को भी लागू कर दिया
- इंदिरा गांधी ने 1971 में प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए पहली बार कदम उठाने के लिए सोचा, तब वो सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भी जिम्मा संभाल रहीं थीं।
- इंदिरा गांधी ने ऐसा कानून तैयार करवाया, जिसमें समाचारपत्रों के मालिकों का एकाधिकार खत्म करने के प्रवाधान थे।
- ऐसे प्रावधान किए गए जिससे सरकार के प्रतिनिधियों को समाचार पत्रों के बोर्ड अधिक शक्ति मिले। हालांकि यह कानून की शक्ल नहीं ले सका।
- 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी ने प्रेस की आजादी को यह कहते हुए खत्म कर दिया कि वह राष्ट्रीय नीति के विरूद्ध कार्य कर रहा है। इस दौरान वे सारी बंदिशें लगा दी गईं जो अंग्रेजों द्वारा प्रेस के ऊपर लगाए जाते थे।
राजीव गांधी ने प्रेस पर अंकुश के लिए लाया कानून
- राजीव गांधी, प्रेस की आजादी और मुखरता को गलत मानते थे और अपनी सरकार के मुताबिक ही रखना चाहते थे।
- राजीव गांधी ने लोकसभा से Defamation Bill 1988 पारित करवाकर प्रेस की आजादी को कुचलना चाहा, लेकिन पत्रकारों ने राजीव गांधी की सरकार को मजबूर कर दिया कि वह यह विधेयक राज्यसभा में पेश न कर सके।
एक और आंकड़े जो हैरत में डाल देते हैं, वो ये हैं कि प्रेस की आजादी की बात करने वाले राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने यूपीए-2 के पांच वर्षों के शासन काल में महज छह बार ही मीडिया से इंटरैक्शन किया उनमें से भी दो ऐसे मौके थे जिनमें महज दो मिनट के लिए ही मीडिया का सामना किया।
नेहरू-गांधी परिवार प्रेस की आजादी को कितना तवज्जो देते हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाता है कि राहुल गांधी ने 2004 से राजनीति में आने के 10 साल बाद पहली बार किसी न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया। इसके साथ ही राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस बात का भी विशेष ख्याल रखते हैं कि उनके करीबी पत्रकारों से ही वे मिलें, ताकि कोई मुश्किल प्रश्न पेश न आए।