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ट्रिपल तलाक: दो कहानियों से उजागर हो गया नेहरू और राजीव गांधी का दोगलापन

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ट्रिपल तलाक को लेकर जितनी मुंह, उतनी बातें। इसमें कोई दोमत नहीं कि आजादी के 70 साल बाद भी मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार होता रहा। इसमें कोई दोमत नहीं कि पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुस्लिम महिलाओं के लिए फरिश्ता बनकर सामने आए हैं। ऐसे में हम न तो ज्ञान की बातें करेंगे और न ही कोई तर्क देंगे। केवल आपको दो कहानियां बताएंगे जिससे पता चल सके कि मुस्लिम महिलाओं को लेकर किस प्रकार पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक ने दोगला व्यवहार किया।

पहली कहानी में नेहरू के दोगलेपन से जुड़ी है 
अगर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चाहते तो ट्रिपल तलाक पर जो काम आज प्रधानमंत्री मोदी ने किया है वह लगभग 6 दशक पहले ही हो सकता था। एक समय कांग्रेसी नेता रहे वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने एक मार्मिक कहानी सुनाकर नेहरू की दोगली राजनीति का जो कच्चा चिट्ठा खोलना शुरू किया तो पूरी संसद दंग रह गई। उनके मुताबिक, ‘एक पत्रकार थीं ताया जिनकिन। अंग्रेजी अखबार द गार्डियन की रिपोर्टर। यह बात 1960-61 की है। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से प्रश्न किया कि आपकी सबसे बड़ी कामयाबी क्या है ? जवाहर लाल ने कहा – हिंदू कोड बिल। ताया जिनकिन ने फिर पूछा, क्या मुसलमान औरतों का हक नहीं था बदलाव का। जवाहर लाल ने जवाब दिया- वक्त सही नहीं था।’ ट्रिपल तलाक को अपराध घोषित किए जाने वाले मोदी सरकार के बिल अपना भाषण खत्म करते हुए अकबर ने कहा- ‘अब वक्त आ गया है।’

दूसरी कहानी राजीव गांधी के दोगलेपन की है
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दोगलेपन की कहानी की पीड़ा से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान आज भी तड़प रहे हैं। उनकी कहानी आगे बताएंगे, पहले उस पूरे मामले को देख लेते हैं, जिसके चलते एक समय राजीव सरकार दोगलेपन पर उतर आई थी। इंदौर की रहने वाली शाहबानो को उसके पति मोहम्मद खान ने तीन तलाक दे दिया था। पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और पति के खिलाफ गुजारे भत्ते का केस सुप्रीम कोर्ट में जीत लिया। उस समय मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा बरकरार रखने के लिए राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही अध्यादेश से पलट दिया। बाद में राजीव सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986 भी पारित कर दिया।

आरिफ मोहम्मद खान ने राजीव गांधी के दोगलेपन का पर्दाफाश किया था
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान पहले मुस्लिम राजनेता हैं, जिन्होंने 32 साल पहले संसद में ट्रिपल तलाक का मुद्दा उठाया था। जब राजीव गांधी ने अध्यादेश के जरिए शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया, तो आरिफ मोहम्मद उनके फैसले के विरोध में उठ खड़े हुए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में और ट्रिपल तलाक के खिलाफ 23 अगस्त, 1985 को लोकसभा में ऐतिहासिक भाषण भी दिया था। इसके लिए उन्होंने देश के पहले शिक्षा मंत्री और इस्लामी मामलों के जानकार मौलाना आजाद के विचारों को पेश किया था। उन्होंने तो यहां तक कहा कि मोहम्मद साहब की मौत के कई सालों बाद ये कुप्रथा शुरू हुई और तब उसे लागू करने वालों को 40 कोड़ों की सजा भी मिली थी।

लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा ट्रिपल तलाक अपराध बनाने बिल पास होने पर आमतौर पर ट्विटर से दूर रहने वाले आरिफ मोहम्मद खान ने ट्विटर पर ही प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया है। उन्होंने लिखा है, “लोकसभा से मुस्लिम महिला विधेयक पास कराये जाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बहुत-बहुत धन्यवाद। सदियों पुरानी बिद्दत की कुप्रथा अब दंडात्मक अपराध बन गया है, जो मुस्लिम महिलाओं को आतंकित करता आया है। एक छोटा कानून, लेकिन लिंगभेदी अन्याय समाप्त करने के लिए बहुत बड़ा कदम।”

सोनिया-राहुल के कार्यकाल में कांग्रेस का दोगलापन
मुस्लिम महिलाओं को उनका हक न मिले इसके लिए कांग्रेस ने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। जब सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक खत्म करने का मामला चल रहा था तो कांग्रेस ने उसे रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई कर रहे संविधान पीठ से कहा था, ‘तीन तलाक की प्रथा 637 ईसवी से है। इसे इस्लाम विरोधी बताने वाले हम कौन होते हैं। मुसलमान बीते 1,400 वर्षों से इसका पालन करते आ रहे हैं। यह आस्था का मामला है, इसलिए इसमें संवैधानिक नैतिकता और समानता का कोई सवाल ही नहीं उठता।’ यहां तक की जब सुप्रीम कोर्ट के सामने ये मामला आया तो अदालत ने भी यहां तक कह दिया कि अगर ये धर्म से जुड़ा मसला है तो कोर्ट इसपर सुनवाई ही नहीं करेगा। हालांकि बाद में संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले से ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक ठहरा दिया।

ट्रिपल तलाक पर अभी भी जारी है कांग्रेस का दोगलापन
कांग्रेस को पता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रिपल तलाक को अपराध की श्रेणी में लाकर रहेंगे। इसलिए कांग्रेस ने इस मसले पर 6 दशकों पुरानी अपनी चाल बदलनी शुरू कर दी है। पार्टी ने वोट बैंक के लिए जिन कठ्ठमुल्लाओं को अबतक पाल-पोस कर बड़ा किया, अब उन्हीं की नकेल कसने वाले कानून का खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। लेकिन सलमान खुर्शीद जैसे उसके नेता ट्रिपल तलाक को अपराध बनाने का खुलकर विरोध कर रहे हैं। ऐसे में आधिकारिक तौर पर पार्टी बिल से जुड़े कुछ प्रावधानों पर गोल-गोल सवाल उठाकर इसे तत्काल लागू नहीं होने देने के लिए अड़ंगा लगाने के फिराक में है।

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