Home विचार बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थन कर देशहित को नुकसान पहुंचा रही कांग्रेस और...

बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थन कर देशहित को नुकसान पहुंचा रही कांग्रेस और ममता बनर्जी

SHARE

असम में नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजंस यानि एनआरसी ड्राफ्ट रिलीज कर दिया गया है। इसके अनुसार दो करोड़ 89 लाख लोग भारतीय नागरिक हैं और करीब 40 लाख लोग ऐसे हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं। एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नामों को शामिल किया गया है जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं। गौरतलब है कि असम की कुल जनसंख्‍या तीन करोड़ 29 लाख है।

गौरतलब है कि असम में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों का मामला बहुत बड़ा मुद्दा रहा है। इस मुद्दे पर कई बड़े और हिंसक आंदोलन भी हुए हैं। 80 के दशक में इसे लेकर एक बड़ा स्टूडेंट मूवमेंट हुआ था जिसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ कि 1971 तक जो भी बांग्लादशी असम में घुसे उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा। तब से यह मामला लटका हुआ था। काम में सुस्ती रहने के बाद यह मामला 2013 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। आपको बता दें कि एनआरसी का ड्राफ्ट उच्चतम न्यायालय की निगरानी में ही अपडेट हो रहा है ताकि इसकी निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठे।

हालांकि राजनीति की अपनी चाल है और इसमें सबसे आगे पश्चिम बंगाल है। प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी ने इसे भाजपा की चाल बता कर वोट बैंक की राजनीति करनी शुरू कर दी है। ममता बनर्जी ने कहा है कि इसमें बंगालियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। जाहिर है वे ऐसा कहकर न केवल भाषावाद और संप्रदायवाद का कार्ड खेल रही हैं बल्कि सीधा सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठा रही हैं। ऐसा इसलिए कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एनआरसी का यह ड्राफ्ट तैयार किया गया है।

हालांकि इससे भी खतरनाक स्टैंड कांग्रेस पार्टी का है जिसने इस मामले में दोहरा रवैया अपनाया है। दरअसल यूपीए सरकार की सहमति से एनआरसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया था। अब वह कह रही है कि इसमें मनमानी की गई है। जाहिर है ऐसा कहकर कांग्रेस राजीव गांधी को झूठा करार देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट को भी कठघरे में खड़ा कर रही है। साथ ही वह अपने वोटबैंक की राजनीति को आगे बढ़ा रही है।

आपको बता दें कि बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण असम की स्थानीय जनसंख्या में भारी असंतोष है। इसकी वजह से साम्प्रदायिक हिंसा भी होती रहती हैं। अवैध घुसपैठ ने जहां जनसंख्या का समीकरण बदल दिया है, वहीं बांग्लादेशी घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिए भी गम्भीर खतरा हैं।

गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक असम में मुसलमानों की आबादी में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है। 2001 में जहां यह 30.9 प्रतिशत थी, वहीं 2011 में बढ़कर 34.2 प्रतिशत हो गई है, जबकि देश भर में मुसलमानों की आबादी में 13.4 प्रतिशत से 14.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। असम में 35 प्रतिशत से अधिक मुस्लिमों वाली 2001 में 36 विधानसभा सीटें थीं, जो 2011 में बढ़कर 39 हो गईं।

गौरतलब है कि 1971 में बांग्लादेश के स्वतन्त्र होने के बाद से 1991 तक असम में हिंदुओं की जनसंख्या में 41.89 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इसी अंतराल में मुस्लिम जनसंख्या 77.42 प्रतिशत की वृद्धि बेलगाम वृद्धि हुई। 1991 से 2001 के बीच असम में हिंदुओं की जनसंख्या 14.95 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या में 29.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 1971 के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों की जनसंख्यां में अभूतपूर्व वृद्धि हुई और वहां का जनसंख्या संतुलन ही बिगड़ गया है।

बहरहाल दूसरे देशों से अवैध घुसपैठियों का भारत में घुस आना बहुत बड़ा मुद्दा है? यही नहीं इससे भी बड़ा मुद्दा ये है कि उन्हें सियासत के चक्कर में देश में वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसी सुविधाएं मुहैया करवा दी जाती हैं और इसी आधार पर वे देश की आबादी से जुड़ जाते हैं। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मणिपुर में भी ऐसे ही हालात हैं। जाहिर है ऐसे जनसांख्यिकीय असंतुलन से देश की एकता अखंडता को खतरा उत्पन्न हो रहा है

आपको बता दें कि बांग्लादेश के रास्ते पहले इन्हें पश्चिम बंगाल में प्रवेश दिलाया जाता है। फिर उनका राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनवा जम्मू से केरल तक पहुंचा दिया जाता है। बांग्लादेशी मुस्लिमों को 1971 से एक योजना के तहत पूर्वोत्तर भारत, बंगाल, बिहार और दूसरे प्रांतों में बसा कर इस्लामिस्तान बनाने की तैयारी चल रही है।

फरवरी, 2018 में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने भी सीमापार से घुसपैठ पर चिंता जताते हुए कहा, ”हमारे पश्चिमी पड़ोसी के चलते योजनाबद्ध तरीके से प्रवासन चल रहा है। वे हमेशा कोशिश और यह सुनिश्चित करेंगे कि परोक्ष युद्ध के जरिये इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया जाए।”

बहरहाल देश के सेक्युलर दल देश की फिकर करते है या फिर सत्ता की और उसके लिए ये देश की सुरक्षा से भी किस प्रकार का खिलवाड़ कर सकते हैं ये तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने साबित कर दिया जो अवैध घुसपैठिये के लिए भारत के खिलाफ संगर्ष की बाते कर रहे हैं। 

ये सही नहीं है कि इस घुसपैठ के पीछे चीन और पाकिस्तान है?  क्या ये सही नहीं है कि पूर्वोत्तर के मूल निवासियों में इस अवैध घुसपैठ को लेकर काफी गुस्सा है जो कभी भी मुश्किल हालात पैदा कर सकते हैं? क्या ये सही नहीं है कि AIUDF जैसी पार्टियां बांग्लादेशी घुसपैठियों और देश विरोधी जमात को इकट्ठा कर बनी है? क्या ये सही नहीं है कि 2005 में बनी ये पार्टी लोकसभा और विधानसभा में अच्छी दखल रखने लगी है? क्या ये सही नहीं है कि देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियों की नाकामी है कि वो AIUDF जैसी पार्टियों के उभार के लिए जिम्मेदार हैं?

अब सवाल उठता है कि ममता बनर्जी या कांग्रेस के नेता अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति इतनी अधिक सहानुभूति क्यों रख रहे हैं? वे देश के संसाधनों पर दूसरे देशों के नागरिकों का बोझ डालकर देश की अर्थव्यवस्था को क्यों चौपट करना चाहते हैं? सवाल यह भी कि क्या अपनी राजनीति के लिए कांग्रेस और ममता बनर्जी देश हित से खिलवाड़ नहीं कर रही है?

Leave a Reply