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दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की चीन ने की तारीफ, कहा- हम भारत के साथ

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चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में दिए गए भाषण का स्वागत किया है। चीन ने खुलकर प्रधानमंत्री के भाषण को सराहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद को आतंकवाद की तरह ही खतरनाक बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में आतकंवाद, जलवायु परिवर्तन और संरक्षणवाद को दुनिया के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौती बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई देश आत्मकेंद्रित बन रहे हैं और वैश्वीकरण सिकुड़ रहा है। इस तरह का रुख आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से कम खतरनाक नहीं है।

भाषण की प्रशंसा करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनयिंग ने कहा, ‘ हमने प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद के खिलाफ भाषण सुना। बयान से पता चलता है कि वैश्वीकरण समय का ट्रेंड है और यह विकासशील देशों के साथ सभी देशों के हितों को पूरा करता है। संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने तथा वैश्वीकरण का समर्थन करने की जरूरत है। इसके लिए चीन भारत और अन्य देशों के साथ काम करना चाहता है।’

दावोस के विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं यह देखता हूँ कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि ग्लोबलाइजेशन अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को क्लाइमेट चेंज या आतंकवाद के ख़तरे से कम नहीं आंका जा सकता। हालांकि हर कोई interconnected विश्व की बात करता है लेकिन ग्लोबलाइजेशन की चमक कम हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्श अभी भी सर्वमान्य हैं। World Trade Organization भी व्यापक है। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने हुए विश्व संगठनों की संरचना, व्यवस्था और उनकी कार्य पद्धति क्या आज के मानव की आकांक्षाओं और उसके सपनों को, आज की वास्तविकता को परिलक्षित करते हैं?’

उन्होंने कहा कि, ‘इन संस्थानों की पुरानी व्यवस्था और आज के विश्व में खासतौर पर बहुतायत विकासमान देशों की आवश्यकताओं के बीच एक बड़ी खाई है। ग्लोबलाइजेशन के विपरीत protectionism की ताकतें सर उठा रहीं हैं। उनकी मंशा है कि न सिर्फ वे खुद ग्लोबलाइजेशन से बचें बल्कि ग्लोबलाइजेशन के प्राकृतिक प्रवाह का रुख भी पलट दें। इसका एक परिणाम यह है कि नये-नये प्रकार के टैरिफ और नॉन टैरिफ बैरियर देखने को मिलते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते और बातचीत रुक-से गये हैं. क्रॉस बॉर्डर वित्तीय निवेश में ज्यादातर देशों में कमी आई है। और ग्लोबल सप्लाई चेन्स की वृद्धि भी रुक गयी है। ग्लोबलाइजेशन के विरुद्ध इस चिंताजनक स्थिति का हल अलगाव में नहीं है। इसका समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है।’

प्रधानमंत्री मोदी के बयान का समर्थन करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने सभी देशों के साथ समन्वय बढ़ाने का आह्वान किया है।

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