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अपने ही चक्रव्यूह में घिरी कांग्रेस, 6 आरोपों की आंधी में उड़े चिदंबरम

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नोटबंदी इस समय देश की एक ऐसी हकीकत है, जिसे अब कोई झुठला नहीं सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ जिस मुहिम का आगाज कर चुके हैं, अब वो जल्द ही एक पड़ाव पार करने की ओर अग्रसर है। जाहिर है विपक्ष भी पहले से ज्यादा हमलावर होता जा रहा है। ये बात और है कि विपक्ष को अब तक आम जनता का जरा सा भी समर्थन नहीं मिल पाया है।

इसी कड़ी में आज कांग्रेस ने अपने एक मजबूत योद्धा मैदान में उतार दिए। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सवालों और आरोपों की झड़ी लगा दी। हमें उम्मीद थी कि इस बार चिदबंरम सरकार के खिलाफ कुछ मजबूत आरोप लगाएंगे, लेकिन एक बार फिर कांग्रेस से निराशा ही हाथ लगी। सरकार तो छोड़िए, आम जनता भी इससे इत्तेफाक नहीं रखती। आइये चिदंबरम के आरोपों और सोशल मीडिया पर दिए जा रहे जवाब की पड़ताल करते हैं।

चिदंबरम के आरोप नंबर 1- नोटबंदी अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला?

जवाब नंबर 1 – लोगों ने इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कालाधन पकडा जाना घोटाला है, तो टूजी, कोयला और हैलीकॉप्टर कांड तो इस देश पर कांग्रेस के सबसे बड़े अहसान होंगे।

चिदंबरम के आरोप नंबर 2 – नोटबंदी उसी तरह है जैसे खोदा पहाड़ निकली चुहिया। सबकुछ ठीक होने में 7 महीने लग जाएंगे?

जवाब नंबर 2 – एक ने जबाव दिया कि आखिर पी. चिदंबरम ने माना कि 7 महीने में सब ठीक हो जाएगा, तो कोई इनसे पूछे कि आप खुद इतने साल देश के वित्तमंत्री रहे आपने सबकुछ ठीक क्यों नहीं कर दिया। यही नहीं एक ने लिखा कि 40 सालों में देश की अर्थव्यवस्था की बागडोर देश के सबसे बड़े अर्थशास्त्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह के हाथ में रही और दस साल वो देश के प्रधानमंत्री भी रहे, फिर भी देश को ठीक करने के लिए कांग्रेस 70 सालों में से 7 महीने भी नहीं निकाल पाई?

चिदंबरम के आरोप नंबर 3 – प्रधानमंत्री ने गरीबों के खिलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है?

जबाव नंबर 3 – इस पर जवाब आया कि गरीबों को गुमराह करना और गरीब बनाए रखना, ये तो कांग्रेस पार्टी की ख़ासियत रही है। क्या कांग्रेस पार्टी ये बताने का कष्ट करेगी कि क्यों बैंकों के राष्ट्रीयकरण होने के 40 साल से भी ज्यादा होने के बाद भी गरीबों के बैंक खाते तक नही खुल पाए हैं।

चिदंबरम के आरोप नंबर 4 – डिजिटल इंडिया से गरीबों को फायदा नहीं होगा?

जबाव नंबर 4 – इस पर प्रतिक्रिया आई कि कांग्रेस ऐसे लोगों की पार्टी है, जिसने हमेशा दलालों, कमीशनखोरों और अमीरों के हित में काम किया है। और अब उसे डर लग रहा हैं कि अगर गरीब लोग डिजिटल हो जाएंगे तो सरकार और गरीब के बीच में फायदा उठाने वाले दलाल गायब हो जाएंगे। अगर मिडिलमैन गायब हो जाएंगे तो कांग्रेस घोटाले कैसे करेगी!

चिदंबरम के आरोप नंबर 5 – बड़े नोटो को बंद करने से अर्थयव्यस्था को कोई फायदा नहीं होने वाला?

जबाव नंबर 5 – किसी ने जबाव दिया कि उम्मीद है कि पी. चिदंबरम मुझसे इस बात पर इतेफाक रखेंगे कि अधिक मात्रा में बड़े नोटो के चलन से भ्रष्टाचार, कालेधन और आतंकियों को मदद मिलती है। क्या आप बताने का कष्ट करेंगे कि 2004 में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ी मुद्रा 34 फीसदी थी। तो कैसे 2010 तक इन बड़े नोटों की हिस्सेदारी 79 फीसदी तक पहुंच गई। तब तो आपकी ही सरकार थी। जरा इस पर प्रकाश डालेंगे?

चिदंबरम के आरोप नंबर 6 – बैंकों में जमा हुआ सारा पैसा सरकार ने सफेद कर दिया?

जबाव नंबर 6 – इस पर एक ने लिखा कि हमें पी. चिंदबरम के इस तर्क पर दया और सहानुभूति आती है, जिसमें उन्होंने कहा कि बैंकों में जमा हुआ सारा पैसा सफेद हो गया है। हम बस चिदंबरम से यही पूछना चाहेंगे कि क्या वो यही हार्वर्ड विश्वविद्यालय से सीखकर आए हैं? तो चिदंबरम साहब को बता दें कि इतना ज्ञान तो इस देश के मेहनतकश गरीब आदमी को भी है कि भ्रष्टाचार से जमा किए गए पैसे अब बैंक के पास पहुंच गए हैं, अब इन काले धन-कुबेरों के बचने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं।

तो देखा आपने पी चिदंबरम को सोशल मीडिया पर लोगों ने न सिर्फ उनके सवालों के जवाब दिए हैं, बल्कि बुरी तरह से कठघरे में खड़ा कर दिया है। ये तो तय है कि गरीब जनता का अब कांग्रेस से विश्वास उठ गया है। इसलिए उनके किसी भी मुहिम में जनता साथ खड़ी दिखाई नहीं दे रही है। भारत बंद के ऐलान से भी कांग्रेस से पीछे हटना पड़ा है। खुद आम जनता ये मानती है कि बार-बार कांग्रेस गरीबों को गुमराह कर रही है कि विमुद्रीकरण (नोटबंदी) गरीबों के खिलाफ़ है जबकि ये भारत के इतिहास में गरीबों को सशक्त बनाने का अभी तक का सबसे बड़ा कदम है।

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