Home विपक्ष विशेष कांग्रेस काल के काले कारनामे

कांग्रेस काल के काले कारनामे

SHARE

देश में कांग्रेस एक संस्कृति को परिभाषित करती है। ऐसी संस्कृति जिसमें विशेष परिवारों में जन्म लेना ही किसी पद के लिए आवश्यक योग्यता बन जाती है। इस संस्कृति में भाई-भतीजों को सत्ता की मलाई बांटी जाती है, जिससे सरकारी तंत्र में नागरिकों को कोई भी काम कराने के लिए घूस देना पड़ता है। आजादी के बाद से कांग्रेसी संस्कृति ने धीरे-धीरे पूरी शासन व्यवस्था को ही अपनी गिरफ्त में ले लिया। इसका ज्वलंत उदाहरण 2004 से 2014 के बीच देश में देखने को मिला, जब देश में शिक्षा से लेकर रक्षा के क्षेत्र तक मंत्रियों ने घोटाले किए। आज भी जिन प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां शासन में भ्रष्टाचार और लापरवाही भरी हुई है।

कांग्रेस वादा पूरा नहीं करती है
कांग्रेस का पुराना इतिहास है कि वह जनता से किए वादों को पूरा नहीं करती। 1971 में इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का वादा किया था, जो वह कभी पूरा नहीं कर सकीं। उसके बाद उनके बेटे राजीव गांधी ने 1985 में वादा किया कि वह भी देश से गरीबी हटा देंगे, लेकिन वह भी पूरा न कर सके। उनके बाद बारी आयी उनकी पत्नी सोनिया गांधी की जो दस सालों तक गरीबी दूर करने का वादा करती रहीं। उन्हें जनता ने दो बार मौका भी दिया, लेकिन वह भी पूरा न कर सकीं।

कांग्रेस ने किसानों को छला है
कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए झूठ, फरेब और छल सभी दांव इस्तेमाल करती है। वह किसानों से लगतार झूठ बोलने का काम करती रही है। 2008 में कांग्रेस ने किसानों से झूठ बोला कि वह कर्ज माफ कर देगी, लेकिन चार लाख करोड़ रुपये की जगह उसने मात्र 60 हजार करोड़ रुपये ही माफ किए। इसमें भी उन लोगों के कर्ज माफ हुए जिन लोगों ने खेती के काम के लिए कर्ज लिया ही नहीं था।

हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने चुनाव के समय वादा किया कि वह एक महीने के अंदर सभी किसानों का दो लाख रुपये तक का ऋण माफ कर देगी। लेकिन दो महीने से भी अधिक का समय होने वाला है, अभी तक किसानों का कोई कर्ज माफ नहीं किया गया है। इन तीनों राज्यों से पहले कर्नाटक में भी चुनाव जीतने के लिए किसानों के कर्ज माफ करने का झूठ बोलकर कांग्रेस सत्ता में आ गई। लेकिन, वहां भी छह महीने से ऊपर हो चुके हैं, मात्र 800 किसानों का ही कर्ज माफ हो सका है। कांग्रेस के काम करने का ऐसा तरीका है। करोड़ों किसानों के कुछ पैसे माफ करने में दशकों लगा देगें और उसमें कई चुनाव जीतने का काम हो जाएगा। यह कांग्रेस की काली करतूतें हैं, जो परदे के सामने नहीं दिखाई पड़ती हैं। परदे के सामने तो सिर्फ इस देश की बहू, बेटी और बेटा बताकर गरीब और भोले-भाले भारतीयों से वोट झटका जाता है।

कांग्रेस की सत्ता में भ्रष्टाचार होता है
कांग्रेस, जब छल और झूठ से सत्ता पाने का तरीका जानती है, तो वह जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए मेहनत भी नहीं करती है और व्यवस्था में जैसा चल रहा है वैसा चलता रहे इसका पूरा प्रयास करती है। इस प्रयास में कांग्रेस अपने इकोसिस्टम के लोगों को सरकारी तंत्र के जरिए भ्रष्ट तरीकों से पैसा कमाने का मौका देती है। ये सभी कांग्रेस के मंत्रियों से मिलकर दलाली का काम करते थे।

पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार ने दुबई से क्रिश्चियन मिशेल, दीपक तलवार और संजीव सक्सेना जैसे उन बड़े बिचौलियों को पकड़कर लायी है, जो कांग्रेस के समय में सरकारी दलाली करते थे।

कांग्रेस के शासन में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम और उनका बेटा कार्ति चिदंबरम जिस तरह से विदेशी निवेश करने वाली कंपनियों को सरकारी सहायता पहुंचाने के एवज में दलाली खाते थे, आज वह किसी से नहीं छिपा है। इन दोनों के खिलाफ अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं।

कांग्रेस में भ्रष्टाचार की गंगोत्री गांधी परिवार भी धन कमाने के लिए भ्रष्ट तरीकों को अपनाता है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने फर्जी कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की पूरे देश में फैली पांच हजार करोड़ रुपये की जमीन को हड़पने का काम किया, आज ये भी अदालत से जमानत पर चल रहे हैं। सिर्फ कांग्रेस की चेयरपर्सन और अध्यक्ष ही भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं, बल्कि इस परिवार का दामाद रॉबर्ट वाड्रा तो राजस्थान और हरियाणा के किसानों की जमीनों का लुटेरा निकला। उसने कांग्रेसी शासन में सरकार से मिलकर किसानों की जमीनें सस्ते में खरीद लीं और बाद में सरकारी योजनाओं की घोषणा होते ही बड़े-बड़े बिल्डरों को सैकड़ों गुना मुनाफे पर बेच डालीं।

कांग्रेस की सरकारें लापारवाह होती हैं
कांग्रेस की संस्कृति में भ्रष्टाचार इस कदर हावी होती है कि सरकारी तंत्र पूरा लापरवाह हो जाता है और आम जनता की दिक्कतों की सुध लेना वाला कोई नहीं होता। 2004 से 2014 के बीच इस देश ने ऐसा दौर देखा है, जब समाज का हर वर्ग इस लापरवाही के खिलाफ आंदोलित हो उठा था। आज भी कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में वही हो रहा है। कर्नाटक के उच्च न्यायलय को कहना पड़ा कि वृहत बंगलुरु महानगरपालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है और जनता बहुत अधिक परेशान है। एक सर्वेक्षण बताता है कि कर्नाटक में 77 प्रतिशत परिवार मानते हैं कि सरकारी तंत्र से कोई भी काम कराने के लिए घूस देना पड़ता है।

कांग्रेस का देश पर या किसी राज्य पर जब शासन होता है तो वहां कि जनता परेशान रहती है जिसका खामियाजा जनता कांग्रेस को जरूर ही सिखाती है। 2014 में सिखाया था और 2019 में फिर सिखाने वाली है।

Leave a Reply