जम्मू-कश्मीर सरकार से भारतीय जनता पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पूरी मदद दी गई पर राज्य सरकार हालात को सुधारने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में हालात तेजी से खराब होते चले गए, अब राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता को ध्यान में रखते हुए गठबंधन सरकार से अलग होने का फैसला लिया गया।
बीजेपी ने राज्य में गवर्नर शासन लगाने का अनुरोध किया है। ऐसे में जम्मू और कश्मीर में सरकार को लेकर संकट खड़ा हो गया है। पिछले विधानसभा चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो राज्य की कुल 87 सीटों में से पीडीपी को 28, बीजेपी को 25, नैशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं। इसके अलावा अन्य दलों को 7 सीटें मिली थीं।
गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की, जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया। बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी है। बीजेपी की ओर से राज्यपाल शासन की मांग की गई है। आपको बता दें कि बीजेपी नेताओं से मिलने से पहले अमित शाह ने NSA अजित डोभाल से भी मुलाकात की थी।
बताया जा रहा है कि राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात चौधरी की हत्या के बाद राज्य में दोनों दलों के बीच रिश्ते काफी बिगड़ गए थे। केंद्र सरकार द्वारा राज्य से सीजफायर खत्म करने के फैसले के बाद दोनों दलों में तनातनी काफी बढ़ गई थी। फैसले के बाद बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि हमने गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर के तीन साल के कामकाज, सभी एजेंसियों से राय लेकर ये फैसला किया है। जिसके बाद ये तय हुआ है कि बीजेपी अपना समर्थन वापस ले रही है।
राम माधव ने कहा कि तीन साल पहले जो जनादेश आया था, तब ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण ये गठबंधन हुआ था। लेकिन जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था।