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महाराष्ट्र महानगरपालिकाओं और जिला परिषद चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

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महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों के लिए हुए चुनावों में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। देश की सबसे धनी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में शामिल बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की 227 सीटों में बीजेपी को 82, शिवसेना को 84, कांग्रेस को 31, एनसीपी को 9 और एमएनएस को 7 सीटें मिली हैं। ठाणे की 131 सीटों में बीजेपी को 23, शिवसेना को 97, कांग्रेस को 3, एनसीपी को 31 सीटें मिली हैं और पुणे में बीजेपी को 74, शिवसेना को 8, कांग्रेस को 2, एनसीपी को 34 और एमएनएस को 5 सीटें मिली हैं। 
नागपुर में बीजेपी को 70, शिवसेना को 1, कांग्रेस को 30, एनसीपी को 1 सीटें मिली हैं। इसके साथ ही नासिक में बीजेपी को 33, शिवसेना को 20, कांग्रेस को 6, एनसीपी को 7 और एमएनएस को 3 सीटें मिली हैं। पिंपरी चिंचवाड़ में बीजेपी को 70, शिवसेना को 9, कांग्रेस को 0, एनसीपी को 35 सीटें मिली हैं। इसी तरह उल्हासनगर में बीजेपी को 34, शिवसेना को 25, कांग्रेस को 1, एनसीपी को 4 सीटें मिली हैं।

सोलापुर में बीजेपी को 49, शिवसेना को 21, कांग्रेस को 14, एनसीपी को 4 सीटें मिली हैं जबकि अकोला में बीजेपी को 48, शिवसेना को 9, कांग्रेस को 11, एनसीपी को 6 सीटें मिली हैं। अमरावती मे बीजेपी को 45, शिवसेना को 7, कांग्रेस को 15 सीटें मिली हैं और 1514 जिला परिषद चुनाव में बीजेपी को 403, शिवसेना को 269, कांग्रेस को 300, एनसीपी को 344 सीटें मिली हैं।

महाराष्ट्र में 10 महानगरपालिकाओं के चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। बीजेपी ने अपनी सीटें पहले से दोगुनी से ज्यादा कर ली है। बीजेपी ने बीएमसी समेत महाराष्ट्र की 10 नगरपालिकाओं में अपना डंका बजा दिया है। मुंबई के अलावा बाकी नौ नगरपालिकाओं में आठ में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। शिवसेना को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिली है। 

कांग्रेस का सफाया

लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब चल रहा है। महाराष्ट्र नगर निगम और जिला परिषद चुनाव में भी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। जो पार्टी कभी पहले पायदान पर रहती थी, अब तीसरे और चौथे स्थान के लिए संघर्ष करती दिख रही है। पार्टी का कई इलाकों में सफाया हो गया है। हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम ने इस्तीफा दे दिया है। संजय निरुपम ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए हमारी सेना का अपमान किया था। मतदाताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों और नोटबंदी का विरोध करने वाली पार्टियों को सबक सिखाया है। कांग्रेस, एनसीपी और सपा को जनता ने महाराष्ट्र से एकतरह से साफ कर दिया है।

एमएनएस और सपा को झटका

चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और समाजवादी पार्टी को भी तगड़ा झटका लगा है। दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हार से राज ठाकरे के राजनीतिक करियर पर सवाल उठने लगे हैं।

नोटबंदी अभियान को समर्थन

इस जीत से साबित कर दिया है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के पक्ष में हैं। लोगों ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ एक करारा प्रहार बताया है और इस अभियान का समर्थन किया है। लोगों ने नोटबंदी का विरोध करने वाली पार्टियों को सबक सिखाते हुए चित्त कर दिया है। नोटबंदी के बाद हुए कई चुनावों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है।

नोटबंदी के बाद गुजरात, महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनावों में और चंडीगढ़ में हुए नगर निगम चुनाव में भी बीजेपी को पहले से काफी ज्यादा सीटें मिलीं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान के उप चुनावों में भी पार्टी ने बाजी मारी।

चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले

नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी अव्वल

महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी ने 51 सीटें जीतीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में।

गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।

उपचुनाव में भी जीत

नोटबंदी के बाद पहली बार 19 नवंबर को देशभर के विभिन्न राज्यों में 10 विधानसभा और चार लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए। भाजपा असम, अरुणाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सभी उपचुनाव जीतने में सफल रही।

असम- नोटबंदी के बाद लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान बरुआ को जीत मिली। बैथालांगसो विधानसभा सीट पर भाजपा के ही मानसिंह रोंगपी ने जीत हासिल की।

मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह और नेपानगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू ने जीत दर्ज की।

अरुणाचल प्रदेश- नोटबंदी के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी भाजपा की लहर देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी देसिंगू पुल को हायूलियांग विधानसभा सीट से जीत मिली।

त्रिपुरा- यहां उपचुनाव के बाद भाजपा का वोट शेयर 1% से बढ़कर पूरे 21% तक पहुंच गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 41% से घट कर मात्र 2% हो गया है।

पश्चिम बंगाल- नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और तामलुक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। कूचबिहार लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 16.4 से बढ़कर 28.5 फीसदी हो गया। वहीं तामलुक लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 6.4 से बढ़कर 15.25 फीसदी तक पहुंच गया। दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा तृणमूल कांग्रेस के सामने खतरा बनकर उभरी है।

नोटबंदी के फैसले के बाद ज्यादातर नतीजे बीजेपी के पक्ष में गए हैं। सारे परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। ये सारे परिणाम पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर जनता की सहमति का मुहर है। बीजेपी की इस जीत को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अच्छे संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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