Home झूठ का पर्दाफाश बीएचयू को सुलगाने की किसने रची साजिश !

बीएचयू को सुलगाने की किसने रची साजिश !

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन की एक चूक से हंगामा क्या हुआ विश्वविद्यालय के गेट पर NDTV के लोग धरने पर बैठ गए… जाने-माने ‘पक्षकार’ रवीश कुमार ने स्टूडियो से बीएचयू में हंगामे को राष्ट्रीय आपात बता दिया। मृणाल पांडे, स्वाति चतुर्वेदी, प्रशांत भूषण जैसे तथाकथित बुद्धिजीवियों ने तो लखीमपुर की एक तस्वीर बीएचयू की बता कर पोस्ट कर अपनी ‘बौद्धिकता’ का बखान ही कर दिया। दिल्ली से लेकर कई अन्य शहरों में बीएचयू की घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगे। सपाई, कांग्रेसी, वामपंथी… सभी देश में आपातकाल बताने लगे और सियासत पर उतर आए। सवाल उठ रहा है कि आखिर बीएचयू की छात्राओं की छोटी सी डिमांड से यह इतना बड़ा सियासी मुद्दा कैसे बन गया?

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BHU को पूरी प्लानिंग से सुलगाया गया
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एक छात्रा से हुई छेड़छाड़ ने ऐसा तूल पकड़ा कि स्थिति पूरी तरह संभल नहीं सकी, लेकिन बीएचयू में हुए बवाल के बाद अब जांच में पता चला है कि विश्वविद्यालय को पूरी प्लानिंग से सुलगाया गया था और सारा बवाल पहले से ही प्लान था। दरअसल इस मामले को पीएम के दौरे के दौरान ही बड़ा बनाने की भी पूरी तैयारी कर ली गई थी। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार जेएनयू प्रकरण के तौर पर बीएचयू को सुलगाने में जुटे लोगों को विश्वविद्यालय प्रशासन के अड़ियल और लापरवाह रवैये से खूब मौका मिला और वे अपने मंसूबे में कामयाब हो गए।

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बीएचयू में ‘आग’ लगाने के लिए की गई फंडिंग
खुफिया रिपोर्ट के अनुसार जिन छात्राओं ने धरना दिया था वह कुछ ही घंटों के बाद नेपथ्य में चली गईं। क्योंकि कुछ ही घंटे बाद बाहरी तत्वों और राजनीतिक दलों ने इस विरोध धरने पर कब्जा कर लिया। वामपंथी और समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेसी और एनएसयूआइ के लोगों ने इसे सियासत का मुद्दा बना दिया। बताया जा रहा है कि इसके लिए बाकायदा फंडिंग की गई और खाने-पीने की व्यवस्था के साथ बैनर-पोस्टर लगाए गए। बीएचयू आंदोलन की शुरुआत करने वाली एकता सिंह के इस पोस्ट के जरिये समझा जा सकता है कि यह किस तरह की साजिश थी। 

बीएचयू साजिश का एक पोस्टर से हुआ खुलासा
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस आंदोलन के लिए छात्र-छात्राओं का जत्था देश के कई अन्य विश्वविद्यालयों से आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक छात्र आंदोलन को हवा देने वाले स्लीपिंग माड्यूल में इलाहाबाद, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली से लोग छात्र-छात्राओं की शक्ल में आए थे। जाहिर है बीएचयू के राष्ट्रवादी चरित्र को तार-तार करने की एक बड़ी साजिश रची गई। इसी में से एक बड़ा पोस्टर लहुराबीर में लगाया गया इसके शब्द पढ़कर स्वत: समझ आ जाएगी कि यह किसकी साजिश थी।

घटना एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा
साजिश का खुलासा इससे भी होता है कि बीएचयू में जिन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया वे बनारस से जुड़ी ही नहीं थीं। इतना ही नहीं राजबब्बर और पीएल पुनिया सरीखे नेताओं का छात्र आंदोलन में भला क्या काम? तीस्ता सीतलवाड़ आखिर गुजरात से सीधे बनारस कैसे पहुंच गईं? इतना ही नहीं मीडिया का एक वर्ग बीएचयू की घटना को इतना बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने लगा कि इसपर एक एक घंटे का प्राइम टाइम तक चलाने लगे। सोचने वाली बात है कि आखिर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और राष्ट्रीय मीडिया द्वारा इस मुद्दे इतना हाइलाइट क्यों किया गया?

कई विश्वविद्यालयों में ‘आग’ लगाने की कोशिश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर मुद्दे पर घेरने वाला तथाकथित सेक्युलर जमात और तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग ऐसी हरकतें हमेशा करता आया है जिससे देश को बदनाम किया जा सके। जेएनयू में भारत के टुकड़े करने वालों के साथ यही जमात खड़ा था तो हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला को जबरदस्ती दलित साबित करने पर तुला था। डीयू को देशद्रोहियों का अड्डा बनाने की भी साजिश रची गई थी तो जाधवपुर यूनिवर्सिटी में किस ऑफ लव कैंपेन कर भारती संस्कृति का सरेआम मजाक बनाया गया। मद्रास आइआइटी में बीफ पार्टी देने के पीछे भी तो समाज को बांटने की साजिश का ही हिस्सा थी।

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी प्रशासन की एक चूक को किस तरह से राजनीतिक इस्तेमाल कर लिया गया इसका सीधा सबूत है बीएचयू की घटना, लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसे जरूरत से ज्यादा खींचना देश को बदनाम करने की एक साजिश नहीं तो क्या है? अरुंधति रॉय के कोट करते हुए जिस तरह से पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत को नीचा दिखाने की कोशिकी और भारत में लोकतंत्र के ऊपर सवाल उठाए गए क्या देश का तथाकथित बुद्धिजीवी जमात यही चाहता है?

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