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आयुष्मान भारत से खुलेंगे रोजगार के नए द्वार

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हेल्थ सेक्टर के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत के नाम से एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। यह योजना न केवल जनता का स्वास्थ्य बेहतर रखने में मददगार साबित होगी बल्कि रोजगार सृजन के क्षेत्र में इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। आने वाले चार सालों में आयुष्मान भारत योजना से एक लाख स्थाई रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

10 करोड़ गरीब परिवारों के स्वास्थ्य बीमा से एक लाख नए रोजगार
आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (ABNHPM) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदु भूषण ने बताया कि योजना का लक्ष्य भारत के 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। उन्होंने कहा कि योजना को लागू करने से आने वाले तीन-चार वर्षों में एक लाख से अधिक कुशल और अर्द्ध-कुशल रोजगार पैदा होंगे जो लंबे समय के रोजगार होंगे।

300 नए अस्पताल के निर्माण से पैदा होंगी 80 लाख अस्थायी नौकरियां
श्री भूषण का कहना है कि योजना के लक्ष्य को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए 25,000 अस्पतालों को पैनल पर लिया जाएगा। स्वास्थ्य सेवा की मांग को देखते हुए हमें लगता है कि 300 अस्पताल खोलना होगा। प्रत्येक अस्पताल में 200 लोगों को रोजगार मिलेगा। इस तरह से सीधे तौर पर 60 हजार नौकरियों का सृजन होगा। इसके अलावा अस्पताल के निर्माण, प्राइवेट अस्पताल के विस्तार और योजना को लागू करने में 80 लाख से अधिक रोजगार कम समय के लिए उपलब्ध होंगे जो कुशल और अकुशल लोगों के लिए नौकरी मिल सकेगी। 

देश में अब रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और युवाओं को अपनी मनचाही नौकरी मिल रही है। एक नजर डालते हैं उन कदमों पर जिनकी वजह से यह बदलाव हो रहा है। 

मोदी सरकार के 4 साल यूपीए के 10 वर्षों पर भारी
भारत में रोजगार देने के मामले में जो सरकारी आंकड़ें, रिसर्च और सर्वे प्राप्त हुए हैं, उससे चौंकाने वाली जानकारी हासिल हुई है। अर्थशास्त्री के रूप में मशहूर मनमोहन सिंह ने अपने 10 सालों में जितना रोजगार दिया है, उसके कई गुना रोजगार मोदी सरकार की सिर्फ एक योजना ने चार साल में ही दे दिया है। जनवरी 2014 में प्रकाशित NSSO के सर्वेक्षण के अनुसार यूपीए सरकार के शासन में 2004-05 से जनवरी 2012 तक 53 million यानि 5 करोड़ 30 लाख रोजगार सृजित हुए। जबकि सिर्फ मुद्रा लोन से 3 साल में 13 करोड़ लोगों को रोजगार मिला।

यही नहीं सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए के दो टर्म से पहले वाजपेयी सरकार में भी नौकरियां की बहार रही। सर्वेक्षण के मुताबिक 1999-2000 से 2003-04 के दौरान एनडीए की सरकार के दौरान इससे अधिक 60 million यानि 6 करोड़ रोजगार सृजित हुए थे।

मुद्रा लोन ने 3 साल में 13 करोड़ लोगों को दिए रोजगार
8 अप्रैल, 2015 को शुरू किया गया मुद्रा लोन योजना आज देश में सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए रोजगार ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास भी लेकर आया है। सिर्फ सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 13 करोड़ नए ऋण दिए गए हैं। जाहिर है एक ऋण से अगर एक भी नौकरी सृजित हुई होगी तो चार साल में 13 करोड़ रोजगार का सृजन हुआ। इस योजना के तहत सरकार ने 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिया है। इसमें 55 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी SC/ST और OBC कैटेगरी से हैं। खास बात ये है कि 13 करोड़ लोगों में से 28 प्रतिशत यानी सवा तीन करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार लोन लिया है। एक और विशेष बात ये है कि इनमें से 75 प्रतिशत यानी 9 करोड़ लाभार्थी महिलाएं हैं।

स्किल डेवलपमेंट से 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार
15 जुलाई, 2015 को शुरू की गई मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्किल डेवलपमेंट मिशन ने युवाओं की किस्मत बदलने का काम किया है। Skill Development and Entrepreneurship (MSDE) मंत्रालय के अंतर्गत पिछले वर्ष तक ही 2.5 करोड़ युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके थे, जिनमें से एक करोड़ तो अकेले 2017 में ही प्रशिक्षित हुए थे। Skill Development के लिए युवाओं को घर से अधिक दूर नहीं जाना पड़े इसके लिए सरकार ने पिछले वर्ष तक 27 राज्यों के 484 जिलों में 527 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र बनाया। जो युवा Long Term Training करना चाहते हैं, उनके लिए उनके आवश्यकता के अनुरूप भी व्यवस्था की गई है।

पिछले वर्ष तक कुल 13,912 ITI स्थापित की गई। मात्र पिछले वर्ष ही इनकी Seating Capacity 77,040 बढ़ाकर कुल 22.82 लाख कर दी गई। पिछले वर्ष अकेले ITI Ecosystem से 12.12 लाख युवाओं को प्रशिक्षण का अवसर मिला। सरकार ने अब इस स्कीम की सफलता को देखते हुए 2020 तक 1 करोड़ युवाओं के कौशल विकास का लक्ष्य रखा है। साथ ही सरकार इसमें 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

स्टार्टअप इंडिया से 1 लाख 17 हजार लोगों को रोजगार
भारत में दुनिया का बहुत बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित हो चुका है। 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 419 जिलों में 9, 750 स्टार्टअप पंजीकृत हुए हैं। सर्वे के मुताबिक एक स्टार्टअप में औसतन 12 लोगों को रोजगार मिलते हैं। यानि 1 लाख 17 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। 2013-14 में लगभग 68,000 ट्रेड मार्क रजिस्टर होते थे, लेकिन चार साल में ही अब ये आंकड़ा ढाई लाख से भी ऊपर पहुंच गया है। स्टार्ट-अप के तहत पेटेंट रजिस्ट्रेशन पूर्व के प्रति वर्ष चार हजार की तुलना में अब 11, 500 पेटेंट रजिस्टर हो रहे हैं। गौरतलब है कि चार साल पहले भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्ट्रियां थीं, आज 120 फैक्ट्रियां मोबाइल बना रहीं हैं। विशेष बात यह है कि 45 प्रतिशत स्टार्टअप महिलाओँ द्वारा शुरू किए गए हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती रेलवे में, 1.1 लाख लोगों को रोजगार
रोजगार के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही मोदी सरकार अब सरकारी नौकरी देने में भी दुनिया का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाने जा रही है। भारतीय रेलवे ने दुनिया की सबसे बड़ी भर्ती करने का ऑफर निकाला है। एक साथ 1 लाख 10 हजार लोगों को रेलवे सरकारी नौकरी देगी। हालांकि पहले इसके लिए 90 हजार नौकरियां निकाली गई थीं। इसमें ग्रुप डी, ग्रुप सी (टेक्नीशियन व असिस्टेंट लोको पायलट) के अलावा आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) और आरपीएसएफ (रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स) के रिक्त पद शामिल हैं।

सात महीनों में 39 लाख नए लोगों को मिला रोजगार
22 मई, 2018 को नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़े मोदी सरकार द्वारा रोजगार दिए जाने की स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि EPFO के अनुसार पिछले सात महीने में देश में 39.36 लाख नए लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। EPFO के अनुसार सिर्फ मार्च, 2018 में ही नए रोजगार के 6.13 लाख मौके बने फरवरी में नए रोजगार के 5.89 लाख अवसर पैदा हुए थे। रोजगार के ये आंकड़े सभी आयु वर्ग के हिसाब से PF खाते में योगदान करने वाले सदस्यों के हैं।

IT सेक्टर में 39 लाख लोगों को रोजगार
NASSCOM के अनुसार भारत में आईटी कंपनियों में 39 लाख लोग वर्तमान में काम कर रहे हैं। इसी वर्ष भी एक लाख और लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे यह आंकड़ा 40 लाख हो जाएगा। NASSCOM का अनुमान है कि 2025 तक देश में आईटी क्षेत्र का कारोबार 350 करोड़ डॉलर का होगा और जिसमें 25 से 30 लाख और अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। इस वर्ष एक लाख नई नौकरियों के साथ ही देश के समग्र आईटी-बीपीओ उद्योग का आकार 14-16 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा।

डिजिटल इंडिया के तहत 10 लाख रोजगार
डिजिटल इंडिया से युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं। 2014 में जहां देश में मात्र 83 हजार Common Services Centres (CSC) थे, मार्च 2018 तक उनकी संख्या 2 लाख 92 हजार तक पहुंच चुकी थी। इस समय देश में 1 लाख 83 हजार ग्राम पंचायतों तक डिजिटल सेवाएं उपलब्ध हैं। इन सेवाओं में बैंकिंग, बीमा, पेंशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और आधार आधारित दूसरी सुविधाएं भी शामिल हैं। इन केंद्रों में से 52 हजार केंद्र महिला उद्यमियों द्वारा संचालित हो रहे हैं और वहां 10 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। 

इसके अलावा महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि 2014 में देश में मोबाइल फोन और उससे जुड़े Accessories बनाने के मात्र 2 यूनिट कार्य कर रहे थे। सिर्फ 3 वर्षों में यह संख्या बढ़कर 120  तक पहुंच गई। इनमें से अकेले मोबाइल हैंडसेट बनाने की आज 59 यूनिट काम कर रही हैं।  सिर्फ इस क्षेत्र ने देश में मात्र 3 वर्षों में ही साढ़े 4 लाख रोजगार का अवसर सृजित किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना से 52 करोड़ श्रम दिवस का रोजगार
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के एक स्टडी के अनुसार ग्रामीण आवास योजना ग्रामीण इलाकों में अकुशल और कुशल मजदूरों के लिए रोजगार के बड़े अवसर लेकर आया है। 12 जून तक के आंकड़ों के अनुसार दो साल में 52 करोड़ श्रम दिवस के रोजगार सृजित हुए हैं। इनमें से 20.85 करोड़ व्यक्ति कुशल और अकुशल श्रम के लिए 31.62 करोड़ व्यक्ति हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) 2016 में शुरू की गई थी।

राजमार्ग योजना से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में राजमार्गों के निर्माण कार्यों में तेजी आई है। आज राजमार्ग के साथ-साथ रोजगार के भी अवसरों की भरमार है। 83 हजार किलोमीटर के राजमार्गों के निर्माण और चौड़ीकरण की योजना को लागू करने के लिए 7 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है । इस योजना के साथ 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार युवाओं को मिलेगा।

दीन दयाल कौशल्य योजना से साढ़े तीन लाख रोजगार
दीन दयाल ग्रामीण कौशल्य योजना में 7 लाख 88 हजार लोगों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के तहत 5 लाख 70 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें से 3 लाख 48 हजार से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है।

पर्यटन क्षेत्र में बढ़े रोजगार के अवसर
सत्ता संभालने के बाद से ही मोदी सरकार ने पर्यटन पर फोकस किया। इसका परिणाम है कि केपीएमजी और फिक्की की टूरिज्म सेक्टर पर ‘Expedition 3.0: Travel and hospitality gone digital’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2017 में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में 2 करोड़ 59 लाख रोजगार के अवसर मिले हैं। इतना ही नहीं टूरिज्म सेक्टर ने जीडीपी में 141.1 बिलियन का योगदान दिया है। फरवरी, 2017 की तुलना में फरवरी, 2018 के दौरान विदेशी पर्यटकों के आगमन में 10.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

योग बना रोजगार और करियर का बड़ा क्षेत्र
भारत आज योग के ब्रांड के रूप में उभरकर सामने आया है और देश-विदेश में रोजगार के लिए भी एक बड़ा क्षेत्र बन गया है। एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 20 करोड़ लोग योग सीख रहे हैं। भारत में योग ट्रेनिंग का कारोबार लगभग 2.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसमें योग शिविर, कॉरपोरेट्स कंपनियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग और प्राइवेट ट्रेनिंग शामिल है। योग टीचर प्रति घंटे 400 से लेकर 1500 रुपये तक की फीस लेते हैं। रुपये से हिसाब लगाएं तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में योग गुरु 3 से 5 घंटे के योग सेशन की फीस 2 से 3 लाख के बीच वसूलते हैं।

‘मेक इन इंडिया’ से 2020 तक 10 करोड़ रोजगार 
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत की थी। यही वह योजना है जो रोजगार के क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत रखती है। ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य है।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 7-8 लाख रोजगार
Confederation of Indian Industries (CII) और ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट से यह अनुमान सामने आया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सात से आठ लाख नौकरियां निकलने जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया और मनोरंजन की सामग्रियों को लेकर रुझान काफी बढ़ा है जिसके चलते इस सेक्टर में रोजगार के अवसर काफी बढ़ने वाले हैं।

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