Home समाचार पंजाब से पकड़ा गया आतंकी गुरदयाल, क्या देशद्रोहियों से मिले हैं केजरीवाल?

पंजाब से पकड़ा गया आतंकी गुरदयाल, क्या देशद्रोहियों से मिले हैं केजरीवाल?

पंजाब को सुलगाने की साजिश के पीछे का सच क्या है?

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ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी छह जून से दो दिन पहले चार जून को पंजाब पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी। पुलिस ने नवांशहर में तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर उनसे हथियार बरामद किए। इन आतंकियों का प्रतिबंधित आंतकवादी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फैडरेशन (ISYF)से सीधा संबंध था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से समर्थन हासिल था। गिरफ्तार आतंकी जगरूप, गुरमेल और गुरदयाल सिंह से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि देश की संप्रभुता और शांति को नुकसान पहुंचाने की उनकी बड़ी साजिश थी। लेकिन सबसे हैरत करने वाली बात इस नेटवर्क का मुखिया गुरदयाल सिंह का आम आदमी पार्टी से कनेक्शन होना है। जीहां, इस आतंकी गुट के मुखिया गुरदयाल सिंह नाम के आतंकी का आम आदमी पार्टी से कनेक्शन कई सवाल खड़े कर रहा है।

खालिस्तान समर्थक है गुरदयाल
गिरफ्तार तीनों आतंकी पाकिस्तान के कनेक्शन में था और तीनों को आईएसआई ने प्रशिक्षण देकर पंजाब में आतंकवादी हमले करने तथा ‘पंथ विरोधी व्यक्तियों’ को निशाना बनाने का कार्य सौंपा गया था। इतना ही नहीं पाकिस्तान में मौजूद ISYF का मुखिया लखबीर रोडे ने पंजाब से लगे प्रांतों में भी तबाही का संदेश दिया था। ISYF खालिस्तान समर्थक संगठन है और इसे पाकिस्तानी ISI समर्थन देती है।


गुरदयाल सिंह के ISI लिंक का खुलासा
भारत में गुरदयाल सिंह इस आंतकवादी गिरोह का मुखिया था और जर्मनी के बलबीर सिंह संघू ने लखबीर सिंह रोडे से उसकी मुलाकात करवाई थी। रोडे इस समय लाहौर के छावनी क्षेत्र में आई एस आई द्वारा मुहैया करवाये गये सुरक्षित घर में रह रहा है। गुरदयाल 6-7 वर्षो से धार्मिक जत्थों के साथ पाकिस्तान की यात्रा करते समय कई बार रोडे को मिला था। गुरदयाल सिंह ने नवंबर, 2016 के अपने अंतिम पाकिस्तानी दौरे के दौरान जगरूप सिंह के लिए वीजे का प्रबंध किया था और वह एक जत्थे के साथ लाहौर गया था। 12 से 21 नवंबर, 2016 तक लाहौर में ठहरने के दौरान बलबीर सिंह द्वारा जगरूप ने रोडे एवं हरमीत से मुलाकात की थी।

गुरदयाल का ‘आप’ से ये है कनेक्शन
आतंकी गुरदयाल सिंह ने हाल ही में गढ़शंकर के गांव रोडमाजरा में ‘आप’ नेताओं के साथ प्रचार किया था और स्टेज साझा किया था। जब गुरदयाल सिंह को पकड़ा गया तो ‘आप’ के स्थानीय नेता उसकी पैरवी करने उसके समर्थन में पहुंचे थे। जाहिर है आम आदमी पार्टी की कथनी करनी में साफ फर्क है। यानि आप कह सकते हैं ‘आप’ को देश तोडऩे वाली ताकतों से किसी प्रकार का कोई परहेज नहीं है और ‘आप’ आतंकी संगठनों के साथ मिलकर पंजाब और देश का माहौल खराब करने में लगी है।


पंजाब में ‘आग’ लगाने की कोशिश
अक्टूबर 2015 में पंजाब में एक हफ्ते में गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने की पांच रिपोर्ट्स आई थी। जालंधर, लुधियाना, अमृतसर के तरन तारन, कोट कपूरा और बठिंडा में ये घटनाएं घटी थीं। पंजाब में धार्मिक भावनाएं भड़क उठीं थीं और पंजाब में गुस्से की चिंगारी सुलग रही थी। आम आदमी पार्टी इस आग को और भड़काने में लगी थी।

मामले की जांच के लिए गठित SIT ने खुलासा किया कि विदेश में बैठी पंजाब विरोधी ताकतें धार्मिक भावना भड़का कर माहौल खराब करने की साजिश रच रही है। जाहिर है अब जब आम आदमी पार्टी से ताल्लुक रखने वाला गुरदयाल पकड़ा जा चुका है तो क्या ये सवाल नहीं उठने चाहिए कि क्या पंजाब में आग लगाने की कोशिश में आम आदमी पार्टी का हाथ था?


बादल ने भी उठाए थे सवाल
तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि वह ”कुछ ऐसी शक्तिशाली ताकतों द्वारा की जा रही गहरी साजिश को देख रहे हैं जिनकी कोशिश राज्य में फिर से आतंकवाद को जिंदा करने की है।” जाहिर है 2016 में पंजाब में चुनाव थे और आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने की जद्दोजहद में जोर-शोर से लगी हुई थी। पंजाब सरकार के तत्कालीन मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी आम आदमी पार्टी के चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि विदेशों में खालिस्तान समर्थकों से फंड ले रहे हैं केजरीवाल। जाहिर है सवाल फिर वही कि क्या पंजाब में ‘आग’ भड़काने की साजिश में आम आदमी पार्टी भी शामिल थी?

बहरहाल राज्य में उस वक्त विघटनकारी ताकतों के मंसूबों के नाकाम कर दिया गया था। लेकिन ये अब भी ये जांच का विषय है कि आखिर पंजाब को सुलगाने की किसने कोशिश की थी। दरअसल ये सवाल इसलिए भी कि आम आदमी पार्टी को पंजाब चुनाव के लिए फंडिंग पर सवाल उठाए जा रहे थे। कपिल मिश्रा, कैलाश विजय वर्गीय और पंजाब के दिवंगत डीजीपी केपीएस गिल ने भी आम आदमी पार्टी के खालिस्तान प्रेम और ISI कनेक्शन को लेकर सवाल उठाए थे।

AAP ने गिल को नहीं दी श्रद्धांजलि
बीते 26 मई को पंजाब में आतंकवाद का खात्मा करने वाले पूर्व डीजीपी ‘सुपरकॉप’ केपीएस गिल का निधन हो गया। उनके निधन के बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी, लेकिन जिस एक पार्टी ने केपीएस गिल को याद करने तक की जरूरत नहीं समझी वो थी आम आदमी पार्टी। केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता ने न तो ट्विटर न ही किसी और जरिए से केपीएस गिल को श्रद्धांजलि दी।


शेखर गुप्ता ने उठाए थे सवाल
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इसे लेकर सवाल भी उठाया है और इसका कारण पूछा था। उन्होंने लिखा था कि- ”बीजेपी और कांग्रेस ने केपीएस गिल को श्रद्धांजलि देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अकाली दल चुप रही यह बात समझ में आती है, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अपने मुंह बंद क्यों कर रखे हैं?”

क्यों चुप हैं केजरीवाल?
ये आरोप लगातार लगते रहे हैं कि पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों से पैसे लेकर मैदान में उतरी थी। यहां तक कि पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भी पंजाब चुनाव के लिए पार्टी की फंडिंग पर सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए करोड़ों रुपये आम आदमी पार्टी के पास कहां से आए इस बात की जांच होनी चाहिए।

गिल ने खोली थी पोल
पंजाब चुनाव से ठीक पहले केपीएस गिल ने ही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की पोल खोली थी। उन्होंने कहा था कि अगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो राज्य में आतंकवाद की वापसी से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने राज्य में अपने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि आम आदमी पार्टी और खालिस्तानी आतंकी संगठनों के बीच बेहद करीबी रिश्ते हैं। पंजाब में दोबारा मजबूत होने के लिए ये संगठन मौके की तलाश में हैं और आम आदमी पार्टी इसके लिए उनकी मददगार बनने को राजी हुई है।

आतंकवादी के घर पर रुके थे केजरीवाल!
एक और वाकया इसी से जुड़ा हुआ है। पंजाब चुनाव प्रचार के वक्त भी केजरीवाल हथियार डाल चुके एक आतंकवादी के घर पर रुके थे, जिसके बाद इसे लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। चुनाव प्रचार से पहले फंड जुटाने के लिए आम आदमी पार्टी के कई नेता यूरोपीय देशों के दौरे पर गए थे। इनमें से कुछ की तस्वीरें सामने भी आई थीं। माना जा रहा है कि केजरीवाल की चुप्पी इसी कारण से थी।

कैलाश विजय वर्गीय ने भी उठाए थे सवाल
बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी पंजाब में आम आदमी पार्टी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कहा था कि पंजाब से ही जानकारी मिली है कि विदेश में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, जोकि आम आदमी पार्टी का समर्थन फंडिग के तौर पर कर रहे हैं। कहीं न कहीं आम आदमी पार्टी को मिल रहे चंदे में गड़बड़ी है। लिहाजा इसकी जांच होनी चाहिए।
बहरहाल केजरीवाल की चुप्पी और केपीएस गिल को श्रद्धांजलि नहीं देने पर तो सवाल थे ही अब आम आदमी पार्टी से कनेक्टेड आतंकी गुरदयाल का पकड़ा जाना आम आदमी पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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