Home बिहार विशेष …और कितने घोटाले करेगी लालू एंड फैमिली!

…और कितने घोटाले करेगी लालू एंड फैमिली!

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सियासत में कितनी गिरावट आ सकती है अगर देखना हो तो चारा चोर के नाम से मशहूर राजनेता लालू प्रसाद से मिलिए। खुद को गुदड़ी का लाल बताते हुए अपने बेटे-बेटियों को दौलतमंद बनवा दिया। पूरी जिंदगी राजनीति गरीब की सेवा के नाम पर की और मेवा अपनी संतानों के नाम कर दी। जाति और जमात की राजनीति में माहिर लालू प्रसाद और उनके परिवार पर अनेक घोटालों के आरोप हैं। जब मुख्यमंत्री थे तब, जब केंद्रीय मंत्री थे तब, अब जब सजायाफ्ता होकर भी बिहार की राजनीति संचालित कर रहे हैं तब। एक के बाद एक घोटाला, और सबका नाता लालू एंड परिवार से। बेदाग छवि की राजनीति की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में हैं और बिहार की जनता खुद को लुटते हुए देखने को मजबूर है।

लालू परिवार पर ‘पेट्रोल बम’
बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने नया खुलासा करते हुए लालू एंड परिवार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप ने पटना के न्यू बाइपास पर बेऊर के पास गलत कागजों के आधार पर अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 में भारत पेट्रोलियम का एक पेट्रोल पंप अपने नाम आवंटित करा लिया था। जिस समय तेजप्रताप ने पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया और इंटरव्यू दिया, उस समय नेशनल हाईवे-30 पर न्यू बाइपास की 43 डिसमिल जमीन उनके पास नहीं थी।

जमीन की जानकारी भी झूठी
सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि पटना के बिहटा में बीयर फैक्ट्री लगाने वाले अमित कत्याल ने 9 जनवरी, 2012 को एके इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक के नाते तेजस्वी यादव को पेट्रोल पंप लगाने के लिए 136 डिसमिल जमीन लीज पर दी। पेट्रोल पंप के लिए आवेदन तेजप्रताप ने किया, लेकिन पेट्रोल पंप की जमीन लीज तेजस्वी के नाम थी। जब तेजप्रताप की न तो अपनी जमीन थी और न ही लीज उनके नाम से था, तब यह पेट्रोल पंप उन्हें कैसे आवंटित किया गया।

एफिडेविट में भी जानकारी छुपाई
दरअसल किसी भी पेट्रोल पंप लेने की प्रक्रिया से पहले एक शपथपत्र देना पड़ता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि आवेदक किसी भी निजी और सरकारी पद पर आसीन नहीं होगा। किसी भी तरह के सरकारी पद का लाभ नहीं लेगा। जाहिर है तेजप्रताप कैसे सरकारी गाड़ी का प्रयोग करते हैं और सरकार से वेतन और भत्ते लेते हैं। इसके साथ ही उन्होंने जो अपनी संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध कराया है, उसमें भी इस पेट्रोल पंप का जिक्र नहीं है।

मिट्टी घोटाले का भी आरोप
जब सैयां भए कोतवाल तो अब डर काहे का, मिट्टी घोटाले में बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने लालू परिवार को क्लीन चिट दे तो दी है। लेकिन सवालों के जवाब नहीं दिए हैं। लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर अस्सी लाख रुपए के जिस मिट्टी घोटाले का आरोप लगा था उसके बारे में कहा जा रहा है कि मिट्टी वहां से खरीदी ही नहीं गई। लेकिन जिस चिड़िया घर को ये मिट्टी दी गई उसके पास पूरे दस्तावेज हैं, बावजूद पूरा प्रशासन लालू प्रसाद के परिवार को बचाने में लग गया है।

शेयर की जानकारी भी छिपाई
लालू यादव के बड़े बेटे और अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर शेयर की जानकारी छिपाने का आरोप है। 2010 में लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से 45 डेसि‍मल जमीन, 53.34 लाख रुपये में खरीदी और इस जमीन पर एक मोटरसाइकिल कंपनी का शोरूम भी शुरू किया गया। इस शोरूम को शुरू करने के लिए 2.29 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए, तब तेजप्रताप इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि 2015 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजप्रताप यादव ने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए ब्योरे में तेजप्रताप यादव ने न अपने शेयर की जानकारी दी और न कर्ज का कोई उल्लेख किया।


जमीन घोटाले को दबा गए लालू
लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे तब उनपर लोगों से जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा था। ग्रुप सी और डी की कई नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंखें मूंद रखीं थी। लालू एंड परिवार पर इसके साथ ही कई जमीन गलत कागजात के आधार पर खरीदने का आरोप है। करोड़ों रुपये की इन जमीनों की खरीद की जांच करवाने से बिहार सरकार बच रही है।

900 करोड़ का चारा चर गए लालू
1990 के दशक में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बिहार की जनता के खून पसीने की कमाई लूट ली। 900 करोड़ चारा घोटाला के नाम से मशहूर इस स्कैम का डायरेक्ट कनेक्शन लालू प्रसाद से निकला और अदालत ने उन्हें सजा भी सुनाई है। सजायाफ्ता लालू प्रसाद चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन बिहार की नीतीश सरकार के फैसले वे ही करते हैं ये तो सभी जानते हैं।

दिल्ली में लालू परिवार की 115 करोड़ की संपत्ति
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर दिल्ली में अवैध तरीके से 115 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। दरअसल लालू का परिवार डिलाइट मार्केटिंग, ए़ क़े इंफोसिस्टम की तर्ज पर ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी के भी मालिक हैं। इस कंपनी के सभी शेयरधारक और निदेशक पद पर लालू के परिवार के लोगों का कब्जा है। इतना ही नहीं दिल्ली के सबसे पॉश इलाके में जमीन खरीदने के लिए मुंबई के पांच बड़े ज्वेलर्स, सोने के व्यापारियों ने ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी को वर्ष 2007-2008 में एक-एक करोड़ के यानि पांच करोड़ रुपये बिना ब्याज के कर्ज दिए। इसी पांच करोड़ रुपये से उसी वर्ष नई दिल्ली के डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 800 वर्ग मीटर जमीन मकान सहित पांच करोड़ रुपये में खरीदा गया। आज इस जमीन की कीमत 55 करोड़ से ज्यादा है और इस जमीन पर लालू परिवार का चार मंजिला मकान बनकर लगभग तैयार है, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 60 करोड़ रुपये है।

पार्टी का टिकट बेचकर खरीदा बंगला
गोपालगंज के एनएच 28 के किनारे हजियापुर वार्ड नम्बर 16 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का यादव का वह बंगला है, जो कभी गोपालगंज के तत्कालीन सांसद रघुनाथ झा ने बड़े ही शौक से अपने लिए बनवाया था। लेकिन बाद में रघुनाथ झा लालू को यह घर गिफ्ट कर दिया था। कहा जा रहा था कि रघुनाथ झा ने राजद की सीट पर बेतिया से चुनाव लड़ने के एवज में यह बंगला गिफ्ट किया है। दस्तावेजों से भी साफ है कि रघुनाथ झा ने अपने बंगले को लालू परिवार के नाम किया है। गोपालगंज रजिस्ट्री कचहरी से प्राप्त दस्तावेज के मुताबिक में 19 जून 2005 को सांसद रघुनाथ झा ने अपने 4 कट्ठे में बने बंगले को लालू प्रसाद के दोनों नाबालिग (उस वक्त) बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव को गिफ्ट किया था। रजिस्ट्री दस्तावेज के मुताबिक तब दोनों बेटे नाबालिग थे और और तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम से यह बंगला रजिस्ट्री हुआ था।

बहरहाल लालू प्रसाद एंड परिवार और कितने घोटाले करेगी और बिहार की नीतीश की ‘साफ-सुथरी’ सरकार कब तक आंखें मूंदे बैठे रहेगी ये देखने वाली बात है। जाहिर है बिहार की जनता जब तक इस घोटालेबाज परिवार को सबक नहीं सिखाएगी तब तक इनके घोटालों की लिस्ट लंबी होती चली जाएगी।

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