Home नरेंद्र मोदी विशेष प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों की बड़ी उपलब्धियां

प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों की बड़ी उपलब्धियां

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले डेढ़ साल में 30 से अधिक विदेशी दौरे किए और अब जब उनकी सरकार के साढ़े तीन साल हो गए तो वे 65 से अधिक विदेश दौरों पर जा चुके हैं। उनकी विदेश यात्राओं को लेकर विपक्ष लगातार सवाल भी उठाता रहा है लेकिन वे अपने अंदाज से आगे बढ़ते रहे हैं। इन विदेश यात्राओं का आकलन किया जाय तो साफ है कि उनकी दूरदर्शी नीति ने दूसरे देशों से संबंधों को एक नई रफ्तार और धार दी है। प्रधानमंत्री मोदी पहले के सभी प्रधानमंत्रियों से कुछ अलग हैं इस का सबूत विश्व में भारत की बढ़ती धाक है। उनकी विदेश यात्राओं का सिलसिला और फ्रीक्वेंसी सबकुछ निराला है। अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ गहरे संबंध बना लेने की उनकी विशेषता का कोई सानी नहीं है। प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के कई सकारात्मक असर हुए हैं जिन्हें जानना जरूरी है।

अरब देशों से भी भारत से प्रगाढ़ हुए संबंध

प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने अरब देशों के दौरे किए। इसके बाद वर्ष 2018 के फरवरी में भी उन्होंने जॉर्डन, यूएई, ओमान जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिले। लेकिन इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण रहा उनका फिलीस्तीन का दौरा। कहा जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के इजरायल दौरे से फिलीस्तीन के साथ संबंधों पर असर पड़ सकता है। लेकिन फिलीस्तीन के मामले पर मोदी सरकार की नीति अटल है जिसका असर है कि अरब देशों से भारत के संबंध और भी प्रगाढ़ हुए हैं। इतना ही नहीं इजरायल ने भी ऐसे संबंधों को दुनिया की आवश्यकता करार देते हुए भारत के पक्ष को मजबूती दी है। 

दुश्मन-दुश्मन भी भारत का दोस्त

अमेरिका और रूस के बीच तनातनी के बीच दोनों ही देशों से भारत की दोस्ती। ईरान-सऊदी अरब की अदावत के बावजूद दोनों से भारत के बेहतर संबंध। इजरायल-फिलीस्तीन में दुश्मनी के बाद भी दोनों ही देशों से अच्छी समझ। यमन और सऊदी अरब को एक साथ साध लेना भी कोई आसान काम नहीं था। लेकिन पीएम मोदी की दूरदर्शी विदेश नीति ने इन दुश्वारियों के बावजूद भारत की अहमियत को बनाए रखा है और दिनों दिन भारत और इन ‘दुश्मन’ देशों के बीच संबंधों को नयी रोशनी में देखा जा रहा है। आलम यह है कि अरब देशों ने बीते साढ़े तीन सालों में चार अरब डॉलर का भारत में निवेश किया है जो आने वाले समय में 25 अरब डॉलर हो जाने की संभावना है। इसी का नतीजा है कि भारत में अब तक 403 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी हो चुका है। 

कश्मीर पर मुस्लिम देशों का भी भारत को समर्थन

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान हमेशा भारत के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश करता रहा है। विशेषकर मुस्लिम देशों को अपने पक्ष में बयान देने का दबाव देता रहता है। लेकिन पीएम मोदी की विदेश नीति ने पाकिस्तान की ऐसी हर कोशिश नाकाम कर दिया है। यहां तक कि सऊदी अरब, फिलीस्तीन, जॉर्डन, ओमान, इंडोनेशिया जैसे देशों ने कश्मीर मसले पर इन साढ़े तीन वर्षों में एक भी बयान नहीं दिया है। इंडोनेशिया ने तो पाकिस्तान जाकर भी कश्मीर पर एक शब्द भी नहीं कहा। जाहिर है प्रधानमंत्री मोदी की विशिष्ट विदेश नीति ने पाकिस्तान की कुत्सित कोशिशों को विफल किया है।

आतंकवाद पर पूरी दुनिया भारत के साथ

प्रधानमंत्री मोदी जहां भी जाते हैं वहां के मंच से आतंकवाद का मुद्दा अवश्य उठाते हैं। इसका दूरगामी असर यह हुआ है कि आतंकवाद के मसले पर पूरी दुनिया भारत के रुख से सहमत है और आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा करने को बाध्य है। दरअसल आतंकवाद को अब तक कई देश अपने हिसाब से अच्छे और बुरे आतंकवाद के नजरिये से देखा करते थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को केवल मानवता के दुश्मन के तौर पर स्थापित कर दिया है और दुनिया इसक मसले पर भारत के साथ खड़ी है।

पाकिस्तान को अलग-थलग करने में मिली सफलता

पूरी दुनिया में पाकिस्तान को अलग-थलग करने में भारत ने जो कामयाबी प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पाई है वह पहले कभी नहीं हुआ था। आज चीन को छोड़कर पाकिस्तान के पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं है। कई मसलों पर तो चीन भी पाकिस्तान के विरोध में खड़ा है। आतंकी हाफिज सईद के साथ दिखने पर फिलीस्तीन द्वारा अपने राजदूत को पाकिस्तान से वापस बुलाने का वाकया हो या फिर ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद पर प्रस्ताव पारित करने को मजबूर हुआ चीन हो, या फिर इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा पाकिस्तान द्वारा दबाव देने के बावजूद कश्मीर मसले पर कुछ नहीं बोलना प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की सफलता की एक और कड़ी है।

चीन की हेकड़ी पर लगाम लगाने में कामयाबी

दक्षिण पूर्व एशिया में चीन स्वयं को सर्वशक्तिमान मानता रहा है। वह 1962 में भारत की हार को आधार बनाकर हमेशा अपनी हेकड़ी दिखाता रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निर्देशित सशक्त विदेश नीति के आगे उसकी हेकड़ी भी जाती रही है। डोकलाम विवाद में जब उसे 200 मीटर जाना पड़ा तो यह प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की नई ऊंचाई प्रदान कर गया। पूरी दुनिया ने चीन की हरकत की निंदा की और उसकी हेकड़ी गुम हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने बिना एक शब्द कहे ही डोकलाम विवाद पर चीन को मात दे दी।

रक्षा क्षेत्र में सशक्त हो रहा भारत

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की विशेष उपलब्धि यह है कि उन्होंने देश की रक्षा को सशक्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं और कई अहम देश इस मामले पर भारत के साथ खड़े हैं। रूस से विमान भेदी S-400  टैंक की खरीद हो या फिर इजरायल से 10 हेरोन टीपी किलर ड्रोन का सौदा हो या फिर भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच डायरेक्ट 36 राफेल विमानों की सस्ती डील हो। ये सभी प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत सूझ-बूझ और दूरदर्शी नीतियों के कारण संभव हो पाया है।

आतंकवाद पर दुनिया साथ के लिए इमेज परिणाम

कृषि तकनीक के आयात से बदल रही देश में खेती

प्रधानमंत्री मोदी को तकनीक और वैज्ञानिक दक्षता को देखने-समझने का जब भी कोई अवसर मिलता है वे इसे गंवाते नहीं हैं। विदेशी दौरों में व्यस्तताओं के बीच  भी वे इसके लिए समय निकाल लेते हैं और भारत के परिप्रेक्ष्य में इनकी उपयोगिता को फिट करने की कोशिश करते हैं। 13 अक्टूबर,2017 को फिलीपींस के लॉस बनोस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) का दौरा किया। यहां पीएम मोदी ने ‘श्री नरेंद्र मोदी रेजिलियंट राइस फील्ड लैबोरेटरी’ (चावल प्रयोगशाला) का उद्घाटन किया और चावल उत्पादन के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधानों की बारीकियों को समझा। गौरतलब है कि जल्द ही आईआरआर का एक सेंटर वाराणसी में भी खुलेगा। नवंबर, 2014 पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (क्यूयूटी) का दौरा किया। उन्होंने यहां एग्रो रोबोट देखा और कृषि के क्षेत्र में चल रहे शोध की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि एग्रो रोबोट कम वजन की एक मशीन है जो कि बड़े ट्रैक्टर का काम कर सकता है। गुजरात में उन्होंने इजरायल के स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया था। आज इन तकनीकों के विकास से भारत में कृषि क्षेत्र को नई रफ्तार मिल रही है।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर भारत की सराहना

प्रधानमंत्री मोदी जब भी विदेश दौरे पर होते हैं तो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर जरूर चिंता करते हैं। वे भारत की सनातन संस्कृति में प्रकृति पूजा को दुनिया के लिए बेहतरीन विचार मानते हैं और इसे अपनाने की अपील करते हैं। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए पेरिस डील का नेतृत्व करने के लिए भारत को सबसे सही विकल्प माना जा रहा है। इस मसले पर यूरोपियन यूनियन ने भारत से नेतृत्व करने की अपील भी कर दी है।

पड़ोसी देशों से संबंधों को मिला नया आयाम

प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई, 2014 को जब देश की कमान संभाली तो सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था। तब से लेकर भारत की विदेश नीति ने एक नई करवट ली है। सार्क देशों में जहां पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है वहीं सार्क सेटेलाइट के माध्यम से पाकिस्तान को छोड़ सभी पड़ोसी देशों से संबंधों को नया आयाम दिया है।

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