प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का कायापलट करने के मिशन में लगी है। बीते चार वर्षों में रेल यात्रा को सुगम बनाने और रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार ने रेलवे में आधारभूत ढांचे के निर्माण को जितना काम किया है, उतना कार्य पहले कभी नहीं हुआ। अब मोदी सरकार ने रेलवे ट्रैक का सौ फीसदी विद्युतीकरण करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे ट्रैक के सौ फीसदी विद्युतीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद 2022 तक देश की सभी ब्रॉड गेज रेल लाइनों का विद्युतीकरण किया जाएगा।
विद्युतीकरण से ईंधन के बिल में 13,510 करोड़ रुपये की बचत
रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक रेलवे ट्रैक को सौ फीसदी विद्युतीकरण के बाद रेलवे के ईंधन के बिल में प्रतिवर्ष 13,510 करोड़ रुपये की बचत होगी। विद्युतीकरण के इस काम में 12,134 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा और इस कार्य को 2021-22 तक पूरा कर लिया जाएगा।
आज करीब 46% रेलवे रूट्स विद्युतीकृत हैं, 20,000 किलोमीटर रूट्स पर अभी काम चल रहा है जिसके बाद लगभग 78% तक भारतीय रेल का विद्युतीकरण हो जाएगा, आज कैबिनेट ने बचे हुए 13,675 किमी रूट्स को 12,134 करोड़ की लागत पर विद्युतीकरण की मंजूरी दे दी है : @PiyushGoyal #ElectrifiedRailways
— Piyush Goyal Office (@PiyushGoyalOffc) 12 September 2018
सौ फीसदी विद्युतीकरण से बढ़ेगी रेलवे की क्षमता
रेलवे ट्रैक के सौ फीसदी विद्युतीकरण से रेलवे की लाइन क्षमता में बढ़ोतरी होगी। सबसे बड़ी बात है कि बाधारहित ट्रेन संचालन हो सकेगा। सुधरी हुई सिग्नल प्रणाली से ट्रेन संचालन और ज्यादा सुरक्षित होगा। इतना ही नहीं पेट्रोलियम आधारित ईंधनों की आयत निर्भरता की कमी से देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी। जाहिर है कि मोदी सरकार के इस फैसले के तहत कुल 13,675 मार्ग किलोमीटर यानि 16,540 ट्रैक किलोमीटर का विद्युतीकरण किया जाएगा।
मोदी सरकार रेलवे को सुरक्षित और आधुनिक बनाने का लगातार प्रयास कर रही है। सरकार का ध्यान रेल यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण सुविआएं प्रदान करने पर है। एक नजर डालते हैं मोदी सरकार में किस तरह आगे बढ़ रही है भारतीय रेल-
मोदी सरकार में सुरक्षित हुआ रेल का सफर
भारतीय रेल देश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ती है और रोजाना करोड़ों की संख्या में यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं। बीते चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने रेलवे के सफर को सुरक्षित और आरमदायक बनाने के लिए कई उपाय किए है। इन्हीं प्रयासों का असर है कि है पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष रेल हादसों में हताहत होने वाले यात्रियों की संख्या में खासी कमी आई है। इतना ही नहीं इस वर्ष कोई बड़ा रेल हादसा भी नहीं हुआ है।
पिछले एक वर्ष में रेल हादसों में मरने वालों की संख्या घटी
सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच एक साल में 75 रेल हादसों में 40 लोगों की मौत हुई है। बीते 5 सालों में एक साल के भीतर रेल हादसों में यह सबसे कम नुकसान है। इस दौरान दो बड़े रेल हादसे हुए। अगस्त 2017 में उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतरी, जिसमें 20 लोगों की मौत हुई और दूसरी घटना इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश में हुई। इस हादसे में एक स्कूल वैन ट्रेन की चपेट में आ गई थी और 13 बच्चों की मौत हो गई थी।
रेलवे सुरक्षा और पटरियों के नवीनीकरण से रुके हादसे
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2016 से अगस्त, 2017 के बीच आठ रेल हादसे हुए थे, जिनमें 249 लोग हताहत हुए थे। अकेले इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की ही घटना में 150 से अधिक यात्री मारे गए थे। इसी तरह 2014-2015 की इसी अवधि में 108 हादसों में 196 लोग मारे गए थे। सितंबर 2013 से अगस्त 2014 के बीच 139 रेल हादसों में 275 लोगों की जान गई थी। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक रेल हादसों में कमी खासतौर पर पटरियों के बड़े पैमाने पर नवीनीकरण, नियमित सुरक्षा समीक्षाओं, कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए दिए गए बेहतर प्रशिक्षण के कारण आई है।
मोदी सरकार के इस कदम से सालाना होगी 180 करोड़ रुपये की बचत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे का चहुमुंखी विकास और विस्तार हो रहा है। मोदी राज में एक के बाद एक तमाम ऐसी योजनाएं शुरू की गई है जिससे रेल यात्रियों का सफर सुहाना होने के साथ ही किफायती और सुविधाजनक भी होता जा रहा है। ऊर्जा और ईंधन के बचत के क्षेत्र में भी रेलवे ने कई कदम उठाए हैं। सभी रेलवे कार्यालयों, मरम्मत डिपो इत्यादि में भी 100 प्रतिशत एलईडी लगाने से 240 मिलियन यूनिट्स बिजली की बचत हो सकेगी। साथ ही सौर ऊर्जा के उपयोग से सालाना 180 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी। इसके साथ ही रेलवे ने 2020-21 तक सभी रेलवे स्टेशनों में 1000 मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना बनाई है, जिसके तहत 500 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट रेलवे रूफटॉप पर लगाया जाएगा, जबकि 500 मेगावाट की बिजली जमीन पर लगायी जाएगी।
मोदी सरकार रखेगी रेल यात्रियों का ध्यान, ट्रेन लेट होने पर मिलेगा मुफ्त खाना व पानी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के कायापलट में लगी है। पिछले चार वर्षों में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती, यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी, स्टेशनों के आधुनिकीकरण, ऑनलाइन टिकटों की बिक्री, टिकट आरक्षण की प्रणाली में बदलाव समेत तमाम कदम उठाए गए हैं। रेलवे के सामने ट्रेनों की लेटलतीफी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। रेल मंत्रालय के मुताबिक इस समस्या से निजात दिलाने की कोशिश की जा रही है। इसबीच रेल मंत्रालय ने फैसला लिया है कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मुफ्त में खाना-पीना उपलब्ध कराया जाएगा।
अब रविवार के दिन होगा मेगा ट्रैफिक ब्लॉक
रेल मंत्रालय के मुताबिक ट्रेनें लेट होने की मुख्य वजह कई जगहों पर सिग्नल व्यवस्था, ट्रैक सुधार, विद्युतीकरण आदि का कार्य है। अब रविवार के दिन ही मेगा ट्रैफिक ब्लॉक कर छुट्टी वाले दिन ही यह सारे कार्य किए जाएंगे, और जिन जगहों पर ज्यादा समस्या है, जैसे इलाहाबाद और मुगलसराय के बीच, वहां पर एलिवेटेड ट्रैक, बाईपास रेल ट्रैक बनाकर ट्रेनों को राइट टाइम चलाया जाएगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अगर ट्रेन देरी से संचालित होती है तो रेलवे यात्रियों को मुफ्त में खाना व पानी देगा। दरअसल रेलवे ने निर्माणकार्य को ध्यान में रख प्रतिदिन दो-तीन घंटे व रविवार को मेगा ट्रैफिक ब्लॉक लेने का निर्णय लिया है।
इस दौरान अगर ट्रेन किसी भी स्टेशन पर रुकती है तो खाने के समय में यात्रियों को मुफ्त खाना दिया जाएगा। आईआरसीटीसी को अपनी तरफ से यात्रियों के लिए लंच और पीने के पानी की व्यवस्था करेगा, इतना ही नहीं अनारक्षित श्रेणी वाले यात्रियों को खाना देने पर रेल मंत्रालय विचार करेगा।
रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंड बाई रखे जाएंगे
यात्रियों को अब ट्रेनों की रवानगी के लिए आने वाली ट्रेन का इंतजार नहीं करना होगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अब रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंडबाई रखे जाएंगे, ताकि ट्रेन को समय से रवाना किया जा सके। अभी तक होता यह कि आने वाली ट्रेन को ही वापस रवाना किया जाता है, और रवाना होने से पहले ट्रेन की साफ-सफाई आदि में 6 घंटे का वक्त लगता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा कोच निर्माण कर इस समस्या से समाधान ढूंढा जाएगा। इसके लिए रेलवे 700 से 800 नए कोच र्निमित करने के बारे में योजना बना रहा है। ये कोच उस वक्त कामगार साबित होगें जब आने वाली ट्रेन रास्ते में लेट हो रही हो।
अनारक्षित टिकट के लिए मोबाइल एप लांच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश डिजिटलीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे में आरक्षित टिकटों की ऑनलाइन बिक्री तो काफी पहले शुरू हो गई थी लेकिन अनारक्षित टिकटों के लिए आज भी स्टेशन पर रेलवे विंडो पर लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। यात्रियों को इसी परेशानी से निजात दिलाने के लिए मोदी सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप के माध्यम से आसानी से अनारक्षित टिकट बुक किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस टिकट के प्रिंट की जरूरत नहीं है, टीटी को मोबाइल पर ही टिकट दिखाया जा सकता है। मोबाइल आधारित एप्लिकेशन ‘अटसनमोबाइल’ को रेल सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने विकसित किया है।
रेल मंत्रालय के मुताबिक ‘अटसनमोबाइल’ एप में सावधिक (सीजन) और प्लेटफॉर्म टिकटों के नवीनीकरण, आर-वॉलेट की बकाया राशि की जांच और लोड करने तथा यूजर प्रोफाइल मैनेजमेंट और बुकिंग हिस्ट्री की भी सुविधा है। रेल यात्री इस एप को गूगल प्ले स्टोर या विंडोज स्टोर से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। इस एप में यात्री सबसे पहले अपना मोबाइल नंबर, नाम, शहर, रेल की डिफ़ॉल्ट बुकिंग, श्रेणी, टिकट का प्रकार, यात्रियों की संख्या और बार-बार यात्रा करने के मार्गों का विवरण देकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण कराने पर यात्री का जीरो बैलेंस का रेल वॉलेट (आर-वॉलेट) स्वत: ही बन जाएगा। आर-वॉलेट बनाने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। आर-वॉलेट को किसी भी यूटीएस काउंटर पर या वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्प के माध्यम से रीचार्ज किया जा सकता है। इस एप में अग्रिम टिकट बुकिंग की अनुमति नहीं है। यानि हमेशा वर्तमान तिथि में ही यात्रा की जाएगी।
रेल यात्रियों के लिए रेल मदद और मेन्यू ऑन रेल एप
रेल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने 11 जून को दो मोबाइल एप ‘रेल मदद’ और ‘मेन्यू ऑन रेल’ को लॉन्च किया। ‘मेन्यू ऑन रेल’ द्वारा सफर के दौरान यात्री खाने-पीने की चीजों के बारे में सभी जानकारी ले सकेंगे, वहीं, ‘रेल मदद’ मोबाइल ऐप से रेल संबंधी किसी भी शिकायत को दर्ज कराया जा सकेगा। रेलवे ने पिछले महीने इन दोनों एप को लॉन्च करने की घोषणा की थी। ‘मेन्यू ऑन रेल’ एप की मदद से यात्री यह जान पाएंगे कि ट्रेन में खाने के लिए क्या-क्या उपलब्ध है। सामान के साथ-साथ उनकी कीमत भी बताई जाएगी। एप का इस्तेमाल करते हुए यात्री को पहले यह सिलेक्ट करना होगा कि वह किस ट्रेन में सफर कर रहा है, जैसे राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, गतिमान या फिर तेजस। इसके हिसाब से उपलब्ध खाना दिखाया जाएगा।
Union Minister Piyush Goyal and MoS Railways Manoj Sinha launched two mobile applications – ‘Rail MADAD’ and ‘Menu on Rails’ in #Delhi pic.twitter.com/xq6iKOyb5x
— ANI (@ANI) 11 June 2018
मोदी राज में सुरक्षा को प्राथमिकता
पिछले चार वर्षों में मोदी सरकार ने ‘साफ नीयत, सही विकास’ के दर्शन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा को भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है। सुरक्षा अब सर्वोच्च प्राथमिकता हो गई है और इसके परिणामस्वरूप ट्रेन दुर्घटनाएं वर्ष 2013-14 के 118 से घटकर वर्ष 2017-18 में 73 रह गईं। इस तरह ट्रेन दुर्घटनाएं घटकर 62 प्रतिशत के स्तर पर आ गईं। 1 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) फंड को 5 वर्षों में सुरक्षा खर्च के लिए आवंटित किया गया है। असुरक्षित रेलवे क्रॉसिंग की समस्या से युद्ध स्तर पर निपटने के लिए पिछले चार वर्षों में 5,479 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त किया गया है। सुरक्षा में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों के तहत भर्ती के माध्यम से 1.1 लाख सुरक्षा पद भी भरे जा रहे हैं।
रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण में हुआ रिकॉर्ड स्तर पर काम
‘नए भारत’ के लिए बुनियादी ढांचे की नींव रखकर पूंजीगत व्यय में व्यापक वृद्धि की गई है। पिछले 4 वर्षों में औसत वार्षिक पूंजीगत व्यय दरअसल वर्ष 2009-14 के दौरान हुए औसत व्यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। रेलवे अत्यंत तेज गति से पूरे भारत को जोड़ रही है। नई लाइनों को चालू करने की औसत गति में 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो 4.1 किमी (2009-14) से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन (2014-18) के स्तर पर पहुंच गई है।
परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
विस्तार और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए बेंगलुरू उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 17,000 करोड़ रुपये) और मुंबई उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 54,777 करोड़ रुपये) के लिए व्यापक निवेश निर्धारित करने से भारत के शहरी क्षेत्रों में नियमित दैनिक यात्रियों की आवाजाही को काफी बढ़ावा मिला है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एचएसआर) गति, सुरक्षा और सेवा के माध्यम से भारत के परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। एचएसआर परियोजना से ‘मेक इन इंडिया’ संबंधी लाभों के अलावा रेलवे लातूर, (मराठवाड़ा) महाराष्ट्र; न्यू बोंगाईगांव, असम; लुमडिंग, असम; झांसी, (बुंदेलखंड) उत्तर प्रदेश और सोनीपत, हरियाणा में अनेक आगामी परियोजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर और आर्थिक विकास सृजित कर रही है। रेलवे ने विद्युतीकरण में छह गुना वृद्धि के साथ टिकाऊ रेल परिवहन की ओर अग्रसर होना शुरू कर दिया है। इसके तहत विद्युतीकरण को वर्ष 2013-14 के दौरान 610 आरकेएम से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 के दौरान 4,087 आरकेएम कर दिया गया।
माल ढुलाई में भारी वृद्धि
रेलवे ने वर्ष 2017-18 में 1,162 एमटी और वर्ष 2016-17 में 1,107 एमटी की सर्वाधिक माल ढुलाई के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। माल ढुलाई आमदनी भी पिछले साल की तुलना में अनुमानित 12 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2017-18 में लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 तक विभिन्न चरणों में समर्पित माल गलियारों (डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर) के चालू हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।
सुविधा पर जोर
डिजाइन में स्थानीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हुए रेलवे एस्केलेटर, लिफ्ट, नि:शुल्क वाई-फाई इत्यादि सहित आधुनिक सुविधाएं स्थापित करके स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने समेत यात्री सुविधाओं को बेहतरीन कर रही है। मार्च 2019 तक 68 रेलवे स्टेशनों में सुधार लाया जाना निर्धारित है। सरकार ने तेजस, अंत्योदय एवं हमसफर रेलगाडि़यों का परिचालन शुरू करने समेत रेलगाडि़यों एवं रेल डिब्बों को काफी सुधार दिया है। यात्रियों की यात्रा एवं आराम संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए त्योहारी मांग पूरी करने के लिए 1.37 लाख रेल सेवाओं के साथ पिछले चार वर्षों के दौरान 407 नई रेल सेवाएं आरंभ की गई हैं। खान-पान (केटरिंग) भी रेलवे का एक फोकस क्षेत्र रहा है जिसमें 300 से भी अधिक रेलगाडि़यों में खाने-पीने की सभी वस्तुओं पर एमआरपी की प्रिंटिंग अनिवार्य कर दी गई है और इसके साथ ही गुणवत्ता एवं स्वच्छता में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बेस किचनों में भोजन बनाने पर करीबी नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग किया जा रहा है।
सुधार के कारण समय पर असर
बुनियादी ढांचे और सुरक्षा कार्यों को प्राथमिकता देने के कारण अल्पावधि में समय के पालन पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन लंबी अवधि में इससे त्वरित और सुरक्षित ट्रेन आवाजाही सुनिश्चित होगी। रनिंग समय को कम करके और नियोजित रखरखाव ब्लॉकों की अनुमति देकर ट्रेनों की समय-सारणी बेहतर कर दी गई है। ट्रेनों में किसी भी देरी के बारे में यात्रियों को सूचित करने के लिए 1,373 ट्रेनों पर एसएमएस सेवाएं आरंभ की गई हैं।
स्वच्छता को प्राथमिकता
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए भारतीय रेल भी अपनी ओर से इसमें अहम योगदान दे रही है। साफ-सफाई, तीसरे या अन्य पक्ष द्वारा स्वतंत्र सर्वेक्षणों सहित स्वच्छता, एकीकृत मशीनीकृत साफ-सफाई की शुरुआत , बॉयो-टॉयलेट, गंदगी साफ करने के लिए ऑटोमैटिक रेल-माउंटेड मशीन, इत्यादि पर प्रमुखता के साथ फोकस रहा है।
भारतीय रेलवे ने डिजिटल पहलों और पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। ई-रिवर्स नीलामी नीति शुरू की जा रही है जिससे लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन में सरल अनुमोदन प्रक्रियाओं की बदौलत संबंधित प्रक्रिया में लगने वाली समयसीमा 30 माह से घटाकर 6 माह हो गई है।
देश का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय
13 लाख से भी अधिक सदस्यों वाले रेल परिवार को सशक्त बनाने और उनका कौशल बढ़ाने के महत्व को ध्यान में रखते हुए निचले स्तर पर अधिकारों को सौंपने या हस्तांतरण करने सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है। कर्मचारी सशक्तिकरण से लेकर कौशल बढ़ाने के नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रेलवे अपने कार्यबल में एक नई ऊर्जा भर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेलवे जीवन रेखा बन जाए और जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे सके और 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
वर्ष 2017 में रेल मंत्रालय के कार्यों का लेखा-जोखा
यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर काम हो रहा है। उसका असर अब दिखने लगा है। देश में पहला स्वदेश निर्मित 12 कोच की पहली ब्रॉड गेज वातानुकूलित इएमयू मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में शुरू हो गया है। 45000 कोचों में सुधार करने के लिए मिशन रेट्रो-फिमेंट की शुरुआत की गई है। जीपीएस सिस्टम को लगाया गया है। टिकट बुकिंग से लेकर ट्रेन को ट्रैक करने के लिए मोबाइल एप की लांचिंग की गई है। देरी से चलने वाली ट्रेनों की जानकारी के लिए एसएमएस सेवा की शुरुआत की गई।
एसएमएस से मिलती है ट्रेनों के देरी से आने की सूचना – ट्रेन आने में देरी होने पर रेल यात्रियों को एसएमएस के जरिये इसकी सूचना देने की शुरुआत 3 नवंबर, 2017 से हुई। अब तक यह व्यवस्था सभी राजधानी, शताब्दी, तेजस, गतिमान ट्रेनों के अलावा जनशताब्दी, दुरंतो और गरीब रथ ट्रेनों के लिए भी शुरू हो गई है। यह सेवा अब तक 250 ट्रेनों के लिए उपलब्ध है।
आरक्षित सीट के लिए विकल्प व कोटे की सुविधा – सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को आरक्षित सीट उपलब्ध कराने के लिए अल्टनेट ट्रेन को विकल्प के तौर पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2017 से शुरू की है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एसी 3 क्लास में दो बर्थ और स्लीपर में 4 बर्थ की व्यवस्था की गई है।
497 रेलवे स्टेशनों पर ऑनलाइन रिटायरिंग रूम बुकिंग – रिटायरिंग रूम और शयनगृह में उपलब्ध आवास का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के के लिए रात्रि बुकिंग को छोड़कर रिटायरिंग रूम की बुकिंग के साथ-साथ शयनगृह की बुकिंग के लिए निर्देश जारी किए गए जहां बुकिंग को रात्रि 9 बजे से सुबह 9 बजे तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाएगा। यह सेवा अभी मुंबई, अहमदाबाद, वड़ोदरा और सुरत रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध है।
रेलवे में नई खानपान नीति – नई खानपान नीति के तहत सभी श्रेणी के स्टेशनों पर प्रत्येक श्रेणी के छोटे खानपान इकाइयों के आवंटन में महिलाओं के लिए 33% का कोटा दिया गया है। पीएसयू आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग सेवा के जरिए स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूह को तैयार किया गया।
स्टेशनों पर बेहतर लाइट के लिए एलईडी – बेहतर प्रकाश और यात्री सुरक्षा के लिए मार्च 2018 तक सभी स्टेशनों पर 100% प्रतिशत एलईडी प्रकाश व्यवस्था की शुरुआत की गई। अब तक 3,500 से अधिक स्टेशनों पर एलईडी लाइट का काम पूरा हो चुका है।
रेलवे प्लेटफार्म पर चार्जिंग प्वाइंट – सभी रेलवे प्लेटफार्मों पर मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था की जा रही है।
कीट से मुक्ति के लिए मशीन – यात्रियों को क्रीड़े से मुक्त रखने के लिए रेलवे स्टेशनों पर कीट पकड़ने वाले मशीनों की व्यवस्था की जा रही है।
टिकट बुकिंग के लिए नया मोबाइल एप – आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ने एक नया मोबाइल एप लॉन्च किया। आधार से जुड़े यूजर आईडी को एक महीने में 12 ई-टिकट बुक करने की अनुमति दी गई, जबकि गैर आधार यूजर आईडी के लिए 6 टिकट बुक करने का प्रावधान है।
रेल सुरक्षा नया मोबाइल एप – यात्रियों की सुविधा के लिए नया इंटीग्रेटेड मोबाइल एप ‘रेल सुरक्षा’ को लांच किया गया। इसके माध्यम से रेल ई-टिकट बुकिंग, अनारक्षित टिकट, शिकायत प्रबंधन, क्लीन कोच, यात्री पूछताछ आदि की व्यवस्था की गई है।
भीम और यूपीआई से काउंटर पर भुगतान – टिकट के भुगतान के लिए आरक्षण काउंटर पर यूपीआई / बीएचआईएम ऐप का उपयोग कर सकते हैं। ई-टिकटिंग वेबसाइट के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट स्वर्ण – 14 राजधानी और 15 शताब्दी ट्रेनों की “परियोजना स्वर्ण” के तहत यात्री सुविधा में सुधार करने के लिए पहचान की गई। इसके तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ‘कर्मचारी व्यवहार’ को एक महत्वपूर्ण पैरामीटर के रूप में पहचाना गया था। इन प्रमुख ट्रेनों के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को खानपान, प्रबंधन और सफाई जैसे विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया गया था।
दो मार्गों पर 18 हजार करोड़ रुपए खर्च – इसमें दो मार्गों के लिए परियोजनाएं यानी नई दिल्ली-मुंबई सेंट्रल (वड़ोदरा-अहमदाबाद सहित) और नई दिल्ली-हावड़ा (कानपुर-लखनऊ सहित) 160/200 किमी प्रति घंटे की गति बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के कार्य योजना में शामिल किया गया है। इस पर लगभग 18,000 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए बाड़ लगाने, लेवल क्रॉसिंग हटाने, ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्लूएस), मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी), स्वचालित और मैकेनाइज्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम इत्यादि पर काम हो रहा है, जिसके कारण सुरक्षा और विश्वसनीयता में वृद्धि होती है। इससे प्रीमियम राजधानी प्रकार की ट्रेनों हावड़ा राजधानी के लिए यात्रा का समय 17 घंटे के बजाय 12 घंटा हो जाएगा और साथ ही मुंबई राजधानी के 15 घंटे 35 मिनट की जगह कम होकर 12 घंटे की यात्रा अवधि हो जाएगी।
लोको की स्थापना से ईएमयू ट्रेनों की औसत गति में तेजी – लोको की स्थापना से एमईएमयू / डीईएमयू ट्रेनों के साथ ही लोकल ट्रेनों की तुलना में एमईएमयू ट्रेनों की गति में 20 किमी प्रति मील की औसत वृद्धि हुई है।
अर्ध हाई स्पीड के लिए स्टडी– दिल्ली-चंडीगढ़ (244 किमी) रूट पर 200 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रियों की ट्रेनों की गति बढ़ाने को लेकर नई दिल्ली-चंडीगढ़ कॉरिडोर की व्यवहार्यता और कार्यान्वयन की अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। नागपुर – सिकंदराबाद (575 किमी) रूट पर जून 2016 से काम जारी है। इस पर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार काम चल रहा है। चेन्नई – काजीपेट रूट पर ट्रेन परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अध्ययन जारी है।